करौली. राजस्थान आदिवासी मीणा महासभा संस्थान के तत्वावधान में जिला कलेक्ट्रेट के सामने (Protest regarding ERCP and Chambal Lift Project) ईआरसीपी एवं चम्बल लिफ्ट परियोजना को लेकर बुधवार को सांकेतिक धरना प्रदर्शन किया गया. इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामेश्वर मूंडरी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया.
जिलाध्यक्ष रामखिलाड़ी आगिर्री व वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोरेलाल गढ़ी ने बताया कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) भाजपा शासन में तैयार की गई थी. यह परियोजना दक्षिण व दक्षिण पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की तकदीर बदलने में सक्षम है. इस परियोजना से करौली, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, धौलपुर, अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, बूंदी, कोटा, झालावाड़ व बारां जिलों में निवास करने वाले राजस्थान के 41.13 प्रतिशत जनता और 23.67 प्रतिशत क्षेत्रफल को पीने व सिंचाई का पानी उपलब्ध होगा.
इसके अतिरिक्त इस परियोजना से वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण, दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा (डी.एम.आई.सी.) के लिए पानी, राज्य घरेलू उत्पादन (एस.डी.पी.) में वृद्धि, रोजगार व निवेश में वृद्धि सम्भव हो सकेगी. चूंकि यह परियोजना लागत की दृष्टि से बड़ी परियोजना है, अकेले राज्य सरकार इसका निर्माण करने में सक्षम नहीं है. इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करें. ताकि लागत का 90 प्रतिशत केन्द्र व 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करके परियोजना पूर्ण हो सकें.
मीनेष बोर्ड का हो गठन : युवा शाखा प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार नारौली ने कहा कि मीणा समाज राजस्थान का सबसे बड़ा समाज है. मीणा समाज राजस्थान विधानसभा की 35 से 40 सीटों पर अपना प्रभाव रखता है. करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, भरतपुर, अलवर, दौसा, जयपुर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, टोंक, उदयपुर, प्रतापगढ़ आदि मीणा बहुल जिले हैं.
ये इलाके शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पानी, बिजली आदि आधारभूत सुविधाओं से आज भी वंचित (Meena Samaj Protest in Karauli) हैं. मीणा आदिवासी समाज मूलतः खेतीहर समाज रहा है, व्यापार व उद्योगों में उसकी भागीदारी शून्य है. खेती-किसानी आज के दौर में अलाभकारी व्यवसाय है. ऐसी स्थिति में मीणा आदिवासी समाज के विकास के लिए 'मीनेष उत्थान बोर्ड' का गठन करना समय की आवश्यकता है. यह समाज हमेशा से कांग्रेस का वफादार वोटर रहा है. इसलिए आगामी बजट 2023-24 में मीनेष उत्थान बोर्ड का गठन किया जाए.
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प्रदेश संयोजक अमरसिंह नीमरोठ व प्रदेश मुख्य महासचिव महेंद्र कैमला ने बताया कि चम्बल के पानी (Chambal Lift Project) को लेकर करौली व सवाई माधोपुर जिलों में क्षेत्रवार संघर्ष छिड़ा हुआ है. कमांड एरिया के किसान पांचना से नहरों में पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं. कुछ किसान गंभीर नदी में पानी छोड़कर भरतपुर के केवलादेव पक्षी अभ्यारण तक पानी ले जाने की मांग कर रहे हैं. कुछ गांवों के किसान पांचना अगिर्री जगर बांध में पानी पहुंचाने की मांग को लेकर आंदोलित हैं.
हाल ही में हाईकोर्ट ने पांचना का पानी कमांड एरिया में खोलने के आदेश दिए हैं. जिसकी पालना पांचना बांध के आस पास के किसानों के कारण अभी तक नहीं हो सकी है. ऐसे में समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब एक बड़ी परियोजना चम्बल नदी लिफ्ट परियोजना के नाम से स्वीकृत हो. साथ ही इस पानी को पांचना बांध में पहुंचाकर तीनों क्षेत्र के किसानों को पीने व सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाए.