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SPECIAL: लॉकडाउन की मार, फूल और किसानों के चेहरे दोनों मुरझाए

हर किसी के जीवन में खूशबू बिखेरने वाले फूल अब इन किसानों की मासूसी का कारण बन चुके हैं. इन फूलों को खरीददार नहीं मिलने से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं. लॉकडाउन की वजह से फूलों की खेती भी पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है.

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फूलों की खेती पर लॉकडाउन का असर
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Published : Apr 13, 2020, 11:30 AM IST

करौली. कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन का असर हर वर्ग पर पड़ा है. अब इन दिनों फूल भी लॉकडाउन हो चुके हैं. फूलों के व्यापार पर लॉकडाउन का व्यापक असर हुआ है. खेतों में पड़े-पड़े फूल मुरझा रहे हैं.

फूलों की खेती पर लॉकडाउन का असर

ईटीवी भारत की टीम ने फूलों की खेती और बाजार की स्थिति को लेकर किसानों के हालात की जानकारी ली. लॉकडाउन के चलते फूल मंडिया भी बंद पड़ी हुई है. ऐसे में कई महीनों की मेहनत करके लगाई गई फूलों की फसलें किसानों के खेतों में ही खराब हो रही है. इस बार किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसानों को फूलों की फसल की लागत भी नहीं मिल पाई है.

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मुरझाया किसान का चेहरा

साल भर में कमा लेते थे लाखों

किसान मदन मोहन बताते हैं कि करौली के फूल दूर-दूर तक जाते हैं. फूलों की खेती से काफी घरों का चूल्हा जलता है. लेकिन इस लॉकडाउन के चलते एक फूल भी नहीं बिक रहा है. चैत्र माह में लगने वाला कैला मां का लक्खी मेला और महावीर जी का मेला और शादी पार्टियों में लाखों रुपये के फूलों का कारोबार होता है. लेकिन इस बार लाख रुपए तो छोड़ो एक रुपए का भी कारोबार नहीं हुआ है. जिसके चलते हमारे चूल्हे भी ठंडे पड़ गए हैं.

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गुलाब के फूलों की महक हुई फीकी

यह भी पढ़ें- स्पेशल: 'काले सोने' की रखवाली कर रहा किसान, पहले मौसम और अब कोरोना की मार

मेले और शादी में होता लाखों का कारोबार

कैलामाता के चैत्र नवरात्र मेले से फूल विक्रेता बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे. मेले में हर दिन कई क्विंटल फूलों की जरूरत होती थी. इस बार मेला 20 मार्च से 5 अप्रैल तक निर्धारित था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मेला स्थगित हो गया. वहीं शादी विवाह के सीजन में प्रतिदिन अनेक वाहनों को सजाने के लिए ले जाया जाता है. इसके अलावा शादी विवाह में स्टेज को सजाने पार्टियां, धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों में भी फूलों की डिमांड रहती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब धन्धा बिल्कुल ठप है.

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खेतों में ही खराब हो रहे फूल

यहां के बगीचों में उगाए जाते हैं विभिन्न किस्मों के फूल

यहां प्रमुख रूप से गुलाब, कोबरा, केशन्ती, गेंदा के पुष्पों के पौधे लगे हैं. विभिन्न रंगों के यह फूल आमजन को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. लेकिन इन्हें तैयार करने वाले लोग अब मायूस हैं.

करौली. कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन का असर हर वर्ग पर पड़ा है. अब इन दिनों फूल भी लॉकडाउन हो चुके हैं. फूलों के व्यापार पर लॉकडाउन का व्यापक असर हुआ है. खेतों में पड़े-पड़े फूल मुरझा रहे हैं.

फूलों की खेती पर लॉकडाउन का असर

ईटीवी भारत की टीम ने फूलों की खेती और बाजार की स्थिति को लेकर किसानों के हालात की जानकारी ली. लॉकडाउन के चलते फूल मंडिया भी बंद पड़ी हुई है. ऐसे में कई महीनों की मेहनत करके लगाई गई फूलों की फसलें किसानों के खेतों में ही खराब हो रही है. इस बार किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसानों को फूलों की फसल की लागत भी नहीं मिल पाई है.

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मुरझाया किसान का चेहरा

साल भर में कमा लेते थे लाखों

किसान मदन मोहन बताते हैं कि करौली के फूल दूर-दूर तक जाते हैं. फूलों की खेती से काफी घरों का चूल्हा जलता है. लेकिन इस लॉकडाउन के चलते एक फूल भी नहीं बिक रहा है. चैत्र माह में लगने वाला कैला मां का लक्खी मेला और महावीर जी का मेला और शादी पार्टियों में लाखों रुपये के फूलों का कारोबार होता है. लेकिन इस बार लाख रुपए तो छोड़ो एक रुपए का भी कारोबार नहीं हुआ है. जिसके चलते हमारे चूल्हे भी ठंडे पड़ गए हैं.

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गुलाब के फूलों की महक हुई फीकी

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मेले और शादी में होता लाखों का कारोबार

कैलामाता के चैत्र नवरात्र मेले से फूल विक्रेता बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे. मेले में हर दिन कई क्विंटल फूलों की जरूरत होती थी. इस बार मेला 20 मार्च से 5 अप्रैल तक निर्धारित था. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से मेला स्थगित हो गया. वहीं शादी विवाह के सीजन में प्रतिदिन अनेक वाहनों को सजाने के लिए ले जाया जाता है. इसके अलावा शादी विवाह में स्टेज को सजाने पार्टियां, धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों में भी फूलों की डिमांड रहती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अब धन्धा बिल्कुल ठप है.

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खेतों में ही खराब हो रहे फूल

यहां के बगीचों में उगाए जाते हैं विभिन्न किस्मों के फूल

यहां प्रमुख रूप से गुलाब, कोबरा, केशन्ती, गेंदा के पुष्पों के पौधे लगे हैं. विभिन्न रंगों के यह फूल आमजन को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. लेकिन इन्हें तैयार करने वाले लोग अब मायूस हैं.

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