करौली. देश-प्रदेश में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए लॉक डाउन- 2 के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. वही चांद का दीदार होने के साथ ही मुस्लिम समुदाय का पवित्र रमजान का महीना भी शुरू हो गया है. ऐसे में जिला प्रशासन ने मस्जिदों में नमाजियों के जाने पर पाबंदी लगाई है. प्रशासन ने लोगों से कोराना संक्रमण के बढ़ते खतरे को लेकर घरों में ही इबादत इफ्तार की अपील की है.
जिला कलेक्टर डॉ. मोहन लाल यादव ने बताया कि रमजान महीने को लेकर सीएम अशोक गहलोत के निर्देशानुसार सभी धर्मगुरुओं, मौलवियों, इमामो से अपील की गई है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखकर सभी लोग घरों में ही नवाज अदा करें. अनावश्यक भीड़ इकट्ठी ना करें. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. साथ ही घरों में इबादत करें. लॉकडाउन के चलते सभी धार्मिक स्थलों पर भीड़ इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई गई है.
पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल ने बताया कि रमजान के पवित्र महीने को लेकर मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु और समाज के प्रबुद्ध लोगों के साथ बैठक की गई. सभी ने वादा किया है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और बचाव के लिए लागू किए गए लॉगडाउन का पूरी तरीके से पालन करेंगे. अनावश्यक भीड़ ना करेंगे. साथ ही सोशल डिस्टेंस का भी पालन करेंगे.
जिले के मस्जिदों के इमामो ने भी समाज के सभी लोगों से कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर बचाव की अपील करते हुए कहा कि सभी लॉकडाउन के नियमों का बखूबी से पालन करें. यह सभी की सुरक्षा का समय है. सभी घरों में रहकर नमाज अदा करें.
बता दें कि चांद दिखाई देने के साथ ही रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. पहला रोजा शनिवार को रखा गया है. मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम समाज के लोग पूरे एक महीने खुदा की इबादत करते हैं. मुसलमान दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं, रोजा (उपवास) रखते है. तड़के सहरी और शाम को सूरज ढलने के बाद इफ्तार करते हैं.
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रमजान के मुबारक महीने के मौके पर मुस्लिम समुदाय हर रोज देर शाम विशेष रूप से लंबी नमाज सामूहिक रूप से अदा करते हैं. जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है. रमजान का चांद निकलने के साथ ही तरावीह शुरू हो जाती है. देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लॉकडाउन की स्थिति है. ऐसे में उन्हें रमजान में भी घरों में रहना होगा. तरावीह की नमाज से लेकर रोजा रखने और इफ्तार तक घरो में रहकर ही अल्लाह की इबादत करनी होगी.