करौली. कैलादेवी-रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य के आसपास रहने वाले लोगों और खनन व्यवसायियों को इको सेंसिटिव जोन निर्धारण के कारण आ रही समस्याओं को लेकर करौली-धौलपुर सासंद डॉ. मनोज राजौरिया ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात कर इको सेंसिटिव जोन निर्धारण की मांग की है.
सासंद डॉ. मनोज राजौरिया ने वन पर्यावरण मंत्री से मिलकर बताया कि अभ्यारण्य का ईको सेंसिटिव जोन निर्धारित नहीं होने की वजह से चारों ओर 10 किलोमीटर परिक्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो गया है. खनन करौली जिले में रोजगार का मुख्य स्त्रोत था. लेकिन कैलादेवी रणथंभौर सेंसिटिव जोन के निर्धारण नहीं होने के कारण यह व्यवसाय बंद होने की कगार पर है.
इसके अलावा क्षेत्र में सड़क, लाईट जैसी मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इससे करौली जिले के विकास पर प्रभाव पड़ रहा है. इस पर वन पर्यावरण मंत्री ने संबधित अधिकारियों से बात कर बताया कि इसके संबंध में प्रधान वन संरक्षक राजस्थान को पूर्व मे लिखा गया है और फिर से जल्द ही रिपोर्ट भिजवाने के निर्देश दिए हैं.
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पॉजिटिव रिपोर्ट मिलते ही अभ्यारण्य के ईको सेंसिटिव जोन के निर्धारण के लिए निर्देश जारी करने का अश्वासन दिया है. सासंद ने बताया की इसके अलावा पर्यावरण वन मंत्री को अवैध बजरी खनन की समस्या से भी अवगत कराया गया. मंत्री से कहा कि वैध बजरी खनन की स्वीकृति नहीं मिल पाने के कारण क्षेत्र में अवैध बजरी खनन की समस्या बढ़ रही है.
संसदीय क्षेत्र के करौली और धौलपुर दोनों जिलों में अवैध बजरी खनन की समस्या से लोग पीड़ित हैं. इस पर खातेदारी की भूमी पर बजरी खनन की स्वीकृति की मांग की गई है. जिसे लेकर मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राज्य सरकार खातेदारी की जमीन पर बजरी खनन से संबंधित प्रस्ताव केंद्र को भेजती है तो इस संबध में निश्चित सकारात्मक काम किया जाएगा.