करौली. अब तक देश के कई व्यापार कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं. इस बीच छोटे-मोटे व्यापारियों की हालत तो इस कदर खराब हो गई है कि उनका गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया है. आलम यह है कि ना ही ये अपना पेट पाल पा रहे हैं और ना ही अपने परिवार की जीविका चला पा रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल करौली शहर के 11-B सड़क मार्ग पर स्थित होटल एवं ढाबों से जुड़े व्यवसायियों का है. कोरोना के इस संकट काल में लगभग 75 फीसदी तक की बिक्री प्रभावित हुई है. लोग घरों से बाहर तो निकल रहे हैं लेकिन होटल और ढाबों पर जाने से बच रहे हैं.
होटल-ढाबों पर ग्राहकों की संख्या में आई कमी
कोरोना का बढ़ता संक्रमण लोगों के अंदर इस कदर भय पैदा कर चुका है कि लोग होटल-ढाबों में जाना तो दूर, देखना तक करना पसंद नहीं करते हैं. इसके चलते होटल-ढाबा व्यवसायी पिछले दो महिने से इसकी मार झेल रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा असर ढाबा कारोबारियों पर पड़ रहा है. साथ ही होटल्स में भी बुकिंग नहीं के बराबर हो रही है. अब तो ऑनलाइन डिलेवरी भी बिल्कुल थम सी गई है.
हाईवे पर वाहनों के रुकने की भी घटी संख्या
NH-11B सड़क मार्ग से आगरा-जयपुर-धौलपुर की तरफ जाने वाले वाहन इन होटल-ढाबों पर ठहरते थे, लेकिन कोरोना के चलते अब तो वाहन भी नहीं गुजरते. और तो और कोई यात्री यहां रुकना तक पसंद नहीं करता. अब तो सिर्फ केवल ट्रक वालों की आवाजाही होती है, जिनकी संख्या भी काफी कम हो गई है. वहीं, दूसरी ओर जिले के प्रसिद्ध आस्थाधाम कैलादेवी मंदिर में उतर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य जिलों से यात्रियों का आवागमन बना रहता था. लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते मंदिर बंद होने के कारण भी यात्री भार अब कम हो गया है, जिसके चलते होटल्स एवं ढाबों पर इसका असर देखने को मिल रहा है.
अधिकांश दिहाड़ी मजदूर ही करते हैं काम
इन होटल-ढाबों पर अधिकांश दिहाड़ी मजदूर ही काम करते हैं. अब कोरोना काल में काम कम होने के चलते व्यवसायी इनका पैसा काट रहे हैं, जिससे इन मजदूरों का घर चलाना मुश्किल हो गया है. जब ईटीवी भारत की टीम ने इन मजदूरों से बात की तो इनका कहना था कि कोरोना के चलते ग्राहक नहीं आ रहे हैं, जिससे तनख्वाह भी नहीं मिल रही, अब तो घर चलाना मुश्किल हो गया है.
घर से देना पड़ रहा है दुकानों का भाड़ा
इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने होटल-ढाबा संचालकों से बात की तो उनका कहना था कि कोरोना की वजह से दुकान का किराया भी नहीं निकल पा रहा हैं, ऊपर से मजदूरों का भी पैसा देना है और दुकानों का किराया भी देना है. व्यवसायियों का कहना था कि हालत इतनी खराब हो चुकी है कि ब्याज पर पैसे लेकर किराया देना पड़ रहा है. इस कारण काफी मुश्किलें उठानी पड़ रही है.