करौली. शहर में एक और तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरों को स्वच्छ बनाने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन स्वच्छता के इस मिशन में करौली नगर परिषद फेल नजर होती जा रही है. वहीं दूसरी ओर सफाई भर्ती में सफाई कर्मियों को वरीयता देने की मांग को लेकर सफाई कर्मचारी हड़ताल पर हैं. जिससे शहर में जगह-जगह जमा कचरे के ढेर से होने वाली बदबू से लोग परेशान हैं.
सफाईकर्मियों की हड़ताल बनी नासूरः सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण शहर की सड़कों पर गंदगी का आलम है. हड़ताल के कारण सबसे ज्यादा असर मदनमोहन जी मंदिर, जैन मंदिर के आसपास देखने को मिला. ऐसे में दर्शनों के लिए पहुंचे दर्शनार्थी को गंदगी की बदबू से परेशान होना पड़ रहा है. इसके साथ ही शहर की विभिन्न कॉलोनियों में भी गंदगी का आलम दिखाई दिया.
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यह बोले स्थानीय निवासीः स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर की सफाई नहीं कराई जा रही है. वार्डों में फैले कचरे के कारण लोगों का चलना मुश्किल हो गया है. कांग्रेस नेता कृपाल मीना, पूर्व वार्ड पार्षद शिवकुमार शर्मा ने कहा कि अभी शादी विवाह का समय है. गंदगी के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. नगर परिषद द्वारा इस विषय पर कोई विचार नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
ये हैं सफाई कर्मचारियों की मांगेः सफाई कर्मचारियों ने वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता नहीं देने और संविदा कर्मियों को नियमित नहीं करने पर कार्य बहिष्कार किया है. जिला कलेक्ट्रेट पर भी सफाई कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर विरोध जाहिर किया और जिला कलेक्टर को ज्ञापन प्रेषित किया. सफाई कर्मचारी नगर परिसर में जुटे और विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारी नेता ने बताया कि सफाई कर्मचारी भर्ती 2023 में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता दी जाए. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तब तक सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जारी रहेगी.
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नगर परिषद के अधिकारी लापरवाह: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कृपाल मीणा का कहना है कि अस्थाई कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिलता है. वहीं अधिकारियों द्वारा बिना काम कराए ब्लॉक को उठा लिया जा रहा है. शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए हैं. नगर परिषद के अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं. नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त नरसी मीणा ने बताया कि लोगों और कांग्रेसी नेताओं के आरोप निराधार हैं. किसी भी कर्मचारी का एक रुपए भी बकाया नहीं है. रही सफाई की बात तो नगर परिषद की ओर से अतिरिक्त कर्मचारी लगाकर जेसीबी मशीन की सहायता से कचरा उठाया जा रहा है.
अजमेर में दुर्गंध से जीना मुहालः राजस्थान सरकार की ओर से 13 हजार पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर बुधवार से सफाईकर्मी हड़ताल पर हैं. गुरुवार को भी शहर में सफाई का काम पूरी तरह से ठप रहा. 4 हजार सफाई कर्मी काम पर नहीं आए. वहीं 92 हजार घरों से कचरे का संग्रहण भी नहीं हुआ है. बाजारों और गली मोहल्लों में भी गंदगी के ढेर नजर आने लगे हैं. इससे दुर्गंध उठ रही है और आवारा पशुओं का जमावड़ा भी लग रहा है. सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से दरगाह शेत्र, मदार गेट, डिग्गी बाजार, कपड़ा बाजार, पड़ाव, सब्जी मंडी सहित अन्य बाजारों में सड़कों पर कचरा उड़ता हुआ नजर आ रहा है.
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मांग पर अड़े सफाई कर्मचारीः अखिल राजस्थान सफाई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष सत्यनारायण लखन ने बताया कि राजस्थान सरकार ने सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जो घोषणा की है. इसमें रोस्टर नियम गलत लागू किया है. आरक्षण चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में ही लागू है. सन 2012 में सफाई कर्मचारियों की भर्ती की गई थी. उसी के अनुसार 2023 की भर्ती भी की जाए. लखन ने कहा कि सफाई कर्मचारी भर्ती में आरक्षण समाप्त नहीं किया जाएगा, तब तक सफाई कर्मचारियों का आंदोलन जारी रहेगा.
नगर निगम में धरना जारीः यूनियन के पदाधिकारी ओम प्रकाश गोयर ने बताया कि 26 अप्रैल से नगर निगम परिसर में सफाई कर्मचारियों का धरना जारी है. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने 30 हजार सफाई कर्मचारियों की घोषणा की थी. जबकि 13 हजार की भर्ती ही निकाली है. इस भर्ती में भी आरक्षण प्रक्रिया लागू की गई है, जो वाल्मीकि समाज के लिए विपरीत है. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि समाज का जन्मजात सफाई का ही काम रहा है. इसलिए भर्ती का लाभ वाल्मीकि समाज के लोगों को मिलना चाहिए. भर्ती में आरक्षण केवल वाल्मीकि समाज को ही दिया जाना चाहिए.