करौली. जिले में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जिसका प्रभाव इंसानों के साथ-साथ जानवरों पर भी हो रहा है. इसके चलते पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक खुशीराम मीना ने ईटीवी भारत से खास चर्चा की. जिसमें उन्होंने पशुपालकों को अपने पशुओं को ठंड से बचाने की अपील की. और उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए उपाय बताए.
संयुक्त निदेशक ने कहा कि शीतकाल में दिन की अपेक्षा रात्रि के तापमान में अधिक गिरावट हो जाती है. जिससे पशुओं को अपने शरीर का तापमान सामान्य बनाएं रखने में काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. इसके साथ ही भू सतह ठंडी हो जाने के कारण पशुओं के शरीर में ऊर्जा ह्मस होती रहती है और पशु आराम से बैठकर जुगाली भी नहीं कर पाता है. जिससे पशुओं में उत्पादन व पशु वृद्धि दर घट जाती है.
ऐसे करें देखभाल...
इसके अलावा पशुओं में सर्दी जनित निमोनिया सहित अन्य बीमारियों के शिकार होकर मृत्यु होने तक की भी आंशका बढ़ जाती है. इसके बचाव के लिए पशुपालकों को पशुबाड़े की खिड़कियों पर जूट के पर्दे, फर्श पर पशु का बिछामन सूखा, नरम एवं मूत्र को अवशोषित करने वाला होना चाहिए. साथ ही बिछावन के लिए भूसा,सूखी घास, रेत एवं पुआल का उपयोग कर सकते है.
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पशुबाड़े का निर्माण...
उन्होंने कहा कि पशुबाड़े का निर्माण यदि शीट, लौहे या प्लास्टिक की चादरों से किया गया है. तो उनके ऊपर सरकंडे या जूट की एक परत बिछा देनी चाहिए. जिससे पशुओं को सर्दीजनित बीमारियों से बचाया सकता है.
पशुओं को दें प्रोटीनयुक्त आहार...
उन्होंने बताया कि शीतकाल में दुधारू पशुओं को प्रोटीनयुक्त पशु आहार, खल एवं छिलकेदार अनाज अवश्य देना चाहिए. वहीं दूध की मात्रा बनाएं रखने के लिए 50 ग्राम मिनरल मिक्चर और 100 एमएल तरल कैल्सियम, गुड़ व 200 ग्राम तेल प्रतिदिन देना चाहिए.
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ना दें सिर्फ हरा चारा...
पशुओं को सिर्फ हरा चारा नहीं देना चाहिए.बल्कि हरे चारे की कुटी कर के एक भाग हरे चारा, तीन भाग सूखा चारा मिलाकर देने से फायदा होता है. ऐसे मौसम में नवजात बछड़े व बछड़ियों की विशेष देखभाल की भी आवश्यकता होती है.