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ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की किसानों ने प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन... - Rajasthan hindi news

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग को लेकर (declare ERCP as a national project) मंगलवार को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति से जुड़े 50 से ज्यादा पदाधिकारियों और किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्टर अंकित कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा है.

declare ERCP as a national project
पीएम के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते किसान
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Published : May 3, 2022, 5:34 PM IST

करौली. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग जोर पकड़ने (declare ERCP as a national project) लगी है. इस संबंध में मंगलवार को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति से जुड़े 50 से ज्यादा पदाधिकारियों और किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्टर अंकित कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा है. पदाधिकारियों ने बताया कि कि समस्या के चलते आमजन पलायन को मजबूर है.

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना और प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने बताया कि प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में बताया है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वर्ष 2016 में राजस्थान के उत्तरी- पूर्वी 13 जिलों करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, झालावाड़, कोटा, बांरा, बूंदी, अलवर, जयपुर, टोंक और अजमेर की पानी, सिंचाई व औद्योगिक संस्थाओं को आपूर्ति के लिए ईआरसीपी का प्रस्ताव तैयार कर आया था. अनुमानित लागत से 30247. 12 करोड़ रुपए के इस प्रस्ताव को 19 नवंबर 2017 को केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया था. उस वक्त केंद्र सरकार ने आश्वस्त किया था कि यह प्रस्ताव केंद्रीय योजना का हिस्सा बनेगा. उन्होंने कहा कि परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना आवश्यक है.

पढ़े:नीति आयोग की बैठक में बोले गहलोत- वादा याद कीजिए प्रधानमंत्री जी, ERCP को घोषित करें राष्ट्रीय परियोजना

आमजन पलायन को मजबूर: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेश महामंत्री सदस्यों ने बताया कि उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पानी और सिंचाई की गंभीर समस्या बनी हुई है. हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि खेत तेजी से बंजर हो रहे हैं. भूजल स्तर लगातार नीचे चले जाने से बांध, कुएं, तालाब एवं अन्य जलस्रोत पानी से रीते हो गए हैं. कृषि आधारित जीवन घटता जा रहा है और मवेशियों की संख्या में भी लगातार कमी हो रही है. राज्य के पूर्वी क्षेत्र में पानी के अभाव में औद्योगिक संस्थान भी स्थापित नहीं हो पा रहे हैं. इन हालातों में गांवों से आमजन का पलायन बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की पानी और सिंचाई की समस्या के स्थाई समाधान के लिए ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए, ताकि इन जिले के निवासी लोगों को पानी की उपलब्धता होने से नया जीवन में सके.

पढ़े:Rajendra Rathore tweets on ERCP: करौली उपद्रव पर जनता का ध्यान भटकाने के लिए सीएम गहलोत ईआरसीपी को लेकर इलेक्शन मोड़ में आए-राजेन्द्र राठौड़

आज ही के दिन प्रधानमंत्री ने की थी हिण्डौन में घोषणा: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना और प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मई 2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हिण्डौन के कैलाश नगर गांव में आए थे. उस दौरान आयोजित सभा में उन्होंने इस परियोजना का उल्लेख करते हुए अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाए जाने एवं ईआरसीपी को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात कही थी. उन्होंने बताया कि इसी कारण प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने का दिन 3 मई निर्धारित किया है.

करौली. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग जोर पकड़ने (declare ERCP as a national project) लगी है. इस संबंध में मंगलवार को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति से जुड़े 50 से ज्यादा पदाधिकारियों और किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम कलेक्टर अंकित कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा है. पदाधिकारियों ने बताया कि कि समस्या के चलते आमजन पलायन को मजबूर है.

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना और प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने बताया कि प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में बताया है कि प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने वर्ष 2016 में राजस्थान के उत्तरी- पूर्वी 13 जिलों करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, झालावाड़, कोटा, बांरा, बूंदी, अलवर, जयपुर, टोंक और अजमेर की पानी, सिंचाई व औद्योगिक संस्थाओं को आपूर्ति के लिए ईआरसीपी का प्रस्ताव तैयार कर आया था. अनुमानित लागत से 30247. 12 करोड़ रुपए के इस प्रस्ताव को 19 नवंबर 2017 को केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया था. उस वक्त केंद्र सरकार ने आश्वस्त किया था कि यह प्रस्ताव केंद्रीय योजना का हिस्सा बनेगा. उन्होंने कहा कि परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना आवश्यक है.

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आमजन पलायन को मजबूर: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेश महामंत्री सदस्यों ने बताया कि उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में पानी और सिंचाई की गंभीर समस्या बनी हुई है. हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि खेत तेजी से बंजर हो रहे हैं. भूजल स्तर लगातार नीचे चले जाने से बांध, कुएं, तालाब एवं अन्य जलस्रोत पानी से रीते हो गए हैं. कृषि आधारित जीवन घटता जा रहा है और मवेशियों की संख्या में भी लगातार कमी हो रही है. राज्य के पूर्वी क्षेत्र में पानी के अभाव में औद्योगिक संस्थान भी स्थापित नहीं हो पा रहे हैं. इन हालातों में गांवों से आमजन का पलायन बढ़ रहा है. प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि उत्तरी- पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की पानी और सिंचाई की समस्या के स्थाई समाधान के लिए ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए, ताकि इन जिले के निवासी लोगों को पानी की उपलब्धता होने से नया जीवन में सके.

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आज ही के दिन प्रधानमंत्री ने की थी हिण्डौन में घोषणा: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना किसान संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष भामाशाह रामनिवास मीना और प्रदेश संयोजक अमर सिंह नीमरोठ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 मई 2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हिण्डौन के कैलाश नगर गांव में आए थे. उस दौरान आयोजित सभा में उन्होंने इस परियोजना का उल्लेख करते हुए अलग से जल शक्ति मंत्रालय बनाए जाने एवं ईआरसीपी को शीघ्र राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की बात कही थी. उन्होंने बताया कि इसी कारण प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने का दिन 3 मई निर्धारित किया है.

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