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करौली के आर्यन ने सात समंदर पार भारत का किया नाम रोशन, बनाया दुर्व्यवहार रहित ऐप - ऐप बनाया

शहर के ज्योति नगर के रहने वाले दामोदर मंगल के पौत्र ने दुर्व्यवहार रहित, रिकॉर्ड करने और क्लाउड करने वाले एक ऐप का निर्माण किया है. सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में फ्रेमोंट निवासी 12 साल के छात्र आर्यन मंगल ने बच्चों पर दुर्व्यव्हार को पकड़ने, रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने के लिए ऐप तैयार की है. जिसके लिए उन्हें अमेरिका के डेअर्बोन में आयोजित एक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया है.

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Published : Jul 31, 2019, 11:44 PM IST

करौली (हिंडौन सिटी). शहर के ज्योति नगर के रहने वाले दामोदर मंगल के पौत्र ने दुर्व्यवहार रहित, रिकॉर्ड करने और क्लाउड करने वाले एक ऐप का निर्माण किया है. जिसके लिए उन्हें अमेरिका के डेअर्बोन में आयोजित एक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया है. बताया जा रहा है कि इस ऐप से दुनियाभर में बच्चों के साथ हो रहे अत्याचार से निजात मिल सकेगी.

आर्यन ने सात समंदर पार भारत का किया नाम रौशन

बता दें, इस ऐप को बनाने वाले आर्यन मंगल 7वीं कक्षा में पढ़ते हैं, जिनके आयु 12 साल है. इस ऐप के निर्माण के बाद प्रदेश का ही नहीं, बल्कि देश का भी पूरी दुनिया में नाम रौशन हुआ है. वहीं, हिंडौन सिटी में रह रहे उनके पूरा परिवार में खुशी का माहौल है. हालांकि, आर्यन मंगल अपने माता-पिता के साथ अमेरिका के कैलिफोर्निया में ही रहते हैं. जहां, उनके पिता नौकरी करते हैं.

वहीं, आर्यन के दादाजी दामोदर मंगल ने बताया कि वर्तमान समय में परिवारों में आए दिन झगड़े होते हैं, जिससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. बच्चों पर पड़ने वाले दुर्व्यवहार से बचाने के लिए आर्यन ने एक ऐप बनाया है. हमें बहुत खुशी है कि हमारे आर्यन ने इस प्रकार के एप का निर्माण कर देश का नाम रौशन किया है.

यह भी पढ़ेंः अजमेर के इस परिवार को देख सारे सरकारी दावे फेल नजर आते हैं...20 साल से झेल रहा गरीबी का दंश

उधर, आर्यन की दादी पुष्पा मंगल ने बताया कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले आर्यन ने जिस प्रकार से इस ऐप का निर्माण कर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, उससे मेरे परिवार और रिश्तेदारों में खुशी का माहौल बना हुआ है. आर्यन द्वारा बनाए गए ऐप से शोषण से जूझ से बच्चों को दुर्व्यवहार से छुटकारा मिल पाएगा.

इधर, आर्यन के पिता शैलेश मंगल ने बताया कि आर्यन ने जब बच्चों पर हो रहे दुर्व्यवहार देखा, तो तभी से उसके मन में बच्चों को दुर्व्यवहार से छुटकारा दिलाने की ठानी थी. उसके बाद वो हमेशा इसके बारे में सोचकर एक दुर्व्यवहार रहित ऐप का निर्माण किया. दुर्व्यवहार रहित ऐप के अलावा ये ऐप घर रह रहे लोगों की आकस्मिक घटना की भी जानकारी अपने रिश्तेदारों तक पहुंचाएगा. हमें खुशी है की आर्यन ने इस प्रकार के ऐप का निर्माण किया है.

यह भी पढ़ेंः सदन में 1 अगस्त को विधायकों के लिए सीपीए का सेमिनार, पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी करेंगे उद्घाटन

सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में फ्रेमोंट निवासी 12 साल के छात्र आर्यन मंगल ने बच्चों पर दुर्व्यव्हार को पकड़ने, रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने के लिए ऐप तैयार की है. "आर्टिमिस" नाम की यह ऐप ध्वनि के आयाम के विचलन के द्वारा दुर्व्यव्हार का निर्धारण करती है और स्वतः रिकॉर्डिंग शुरू कर देती है. इसके बाद में रिकार्डेड ध्वनि क्लिप को क्लाउड में अपलोड कर देती है.

कैलिफ़ोर्निया इन्वेंशन कन्वेंशन 2019 में राज्य स्तर पर टॉप करने के बाद आर्यन के इस ऐप का राष्ट्रीय इन्वेंशन कन्वेंशन के लिए चयन हुआ है. मिशिगन राज्य के डेअरबोर्न शहर में आयोजित इस प्रतियोगिता में इस ऐप को सातवीं कक्षा श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. बताया जा रहा है कि ध्वनि का इस तरह का इस्तेमाल अत्यंत ही आधुनिक और अद्वितीय है.
वहीं, आविष्कर्ता आर्यन अपनी उपलब्धियों से प्रसन्न हैं और अपने इस आविष्कार को और अधिक क्षेत्रों में इस्तेमाल करना चाहते हैं. मिसाल के तौर पर इस तकनीक का इस्तेमाल घरेलू हिंसा को पकड़ने के लिए, वृद्व व्यक्तियों के मूवमेंट की खबर रखने लिए भी किया जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः महिला विधायक टीम ने रोमांचक मुकाबले में ऑफिसर्स को 1 रन से हराया, ममता भूपेश को "वुमैन ऑफ द मैच"

इस तकनीक को व्यापरीकरण से रोकने के लिए, आर्यन ने पेटेंट भी फाइल किया है. विश्व को दुर्व्यव्हार और घरेलू हिंसा रहित करना अब आर्यन का मुख्य ध्येय है. हिंडौन निवासी दामोदर मंगल और पुष्पा मंगल के पौत्र आर्यन अपनी इस सफलता का श्रेय अपने कठिन परिश्रम, अपनी मां मनीषा मंगल के अनुशासन को और अपने पिता शैलेष मंगल के दिशा निर्देश को देते हैं.

करौली (हिंडौन सिटी). शहर के ज्योति नगर के रहने वाले दामोदर मंगल के पौत्र ने दुर्व्यवहार रहित, रिकॉर्ड करने और क्लाउड करने वाले एक ऐप का निर्माण किया है. जिसके लिए उन्हें अमेरिका के डेअर्बोन में आयोजित एक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया है. बताया जा रहा है कि इस ऐप से दुनियाभर में बच्चों के साथ हो रहे अत्याचार से निजात मिल सकेगी.

आर्यन ने सात समंदर पार भारत का किया नाम रौशन

बता दें, इस ऐप को बनाने वाले आर्यन मंगल 7वीं कक्षा में पढ़ते हैं, जिनके आयु 12 साल है. इस ऐप के निर्माण के बाद प्रदेश का ही नहीं, बल्कि देश का भी पूरी दुनिया में नाम रौशन हुआ है. वहीं, हिंडौन सिटी में रह रहे उनके पूरा परिवार में खुशी का माहौल है. हालांकि, आर्यन मंगल अपने माता-पिता के साथ अमेरिका के कैलिफोर्निया में ही रहते हैं. जहां, उनके पिता नौकरी करते हैं.

वहीं, आर्यन के दादाजी दामोदर मंगल ने बताया कि वर्तमान समय में परिवारों में आए दिन झगड़े होते हैं, जिससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. बच्चों पर पड़ने वाले दुर्व्यवहार से बचाने के लिए आर्यन ने एक ऐप बनाया है. हमें बहुत खुशी है कि हमारे आर्यन ने इस प्रकार के एप का निर्माण कर देश का नाम रौशन किया है.

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उधर, आर्यन की दादी पुष्पा मंगल ने बताया कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले आर्यन ने जिस प्रकार से इस ऐप का निर्माण कर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, उससे मेरे परिवार और रिश्तेदारों में खुशी का माहौल बना हुआ है. आर्यन द्वारा बनाए गए ऐप से शोषण से जूझ से बच्चों को दुर्व्यवहार से छुटकारा मिल पाएगा.

इधर, आर्यन के पिता शैलेश मंगल ने बताया कि आर्यन ने जब बच्चों पर हो रहे दुर्व्यवहार देखा, तो तभी से उसके मन में बच्चों को दुर्व्यवहार से छुटकारा दिलाने की ठानी थी. उसके बाद वो हमेशा इसके बारे में सोचकर एक दुर्व्यवहार रहित ऐप का निर्माण किया. दुर्व्यवहार रहित ऐप के अलावा ये ऐप घर रह रहे लोगों की आकस्मिक घटना की भी जानकारी अपने रिश्तेदारों तक पहुंचाएगा. हमें खुशी है की आर्यन ने इस प्रकार के ऐप का निर्माण किया है.

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सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में फ्रेमोंट निवासी 12 साल के छात्र आर्यन मंगल ने बच्चों पर दुर्व्यव्हार को पकड़ने, रिकॉर्ड करने और रिपोर्ट करने के लिए ऐप तैयार की है. "आर्टिमिस" नाम की यह ऐप ध्वनि के आयाम के विचलन के द्वारा दुर्व्यव्हार का निर्धारण करती है और स्वतः रिकॉर्डिंग शुरू कर देती है. इसके बाद में रिकार्डेड ध्वनि क्लिप को क्लाउड में अपलोड कर देती है.

कैलिफ़ोर्निया इन्वेंशन कन्वेंशन 2019 में राज्य स्तर पर टॉप करने के बाद आर्यन के इस ऐप का राष्ट्रीय इन्वेंशन कन्वेंशन के लिए चयन हुआ है. मिशिगन राज्य के डेअरबोर्न शहर में आयोजित इस प्रतियोगिता में इस ऐप को सातवीं कक्षा श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. बताया जा रहा है कि ध्वनि का इस तरह का इस्तेमाल अत्यंत ही आधुनिक और अद्वितीय है.
वहीं, आविष्कर्ता आर्यन अपनी उपलब्धियों से प्रसन्न हैं और अपने इस आविष्कार को और अधिक क्षेत्रों में इस्तेमाल करना चाहते हैं. मिसाल के तौर पर इस तकनीक का इस्तेमाल घरेलू हिंसा को पकड़ने के लिए, वृद्व व्यक्तियों के मूवमेंट की खबर रखने लिए भी किया जा सकता है.

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इस तकनीक को व्यापरीकरण से रोकने के लिए, आर्यन ने पेटेंट भी फाइल किया है. विश्व को दुर्व्यव्हार और घरेलू हिंसा रहित करना अब आर्यन का मुख्य ध्येय है. हिंडौन निवासी दामोदर मंगल और पुष्पा मंगल के पौत्र आर्यन अपनी इस सफलता का श्रेय अपने कठिन परिश्रम, अपनी मां मनीषा मंगल के अनुशासन को और अपने पिता शैलेष मंगल के दिशा निर्देश को देते हैं.

Intro:आर्यन ने दुर्व्यवहार रहित एप् का अविष्कार कर अमेरिका में देश का किया नाम रोशन,


परिजनों में खुशी का माहौल।


हिंडौन सिटी। शहर स्थित ज्योति नगर निवासी दामोदर मंगल के पौत्र बारह वर्षीय आर्यन मंगल ने डेअर्बोर्न में आयोजित एक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया। सातवीं कक्षा में पढ़ते हुए आर्यन मंगल ने दुर्व्यवहार रहित,रिकार्ड करने तथा क्लाउड करने वाले एक एप का अविष्कार किया । जिससे बच्चों पर हो रहे अत्याचार से निजात मिल सकेगी। आर्यन मंगल ने इस प्रकार के ऍप का अविष्कार कर अपने परिवार सहित देश का नाम रोशन किया है। जिससे परिजनों में खुशी का माहौल बना हुआ है। दामोदर मंगल के पुत्र शैलेश मंगल अमेरिका के कैलोफोर्निया राज्य के फ्रेमोंट रहकर जॉब करते है।
आर्यन के दादाजी दामोदर मंगल ने बताया कि वर्तमान समय मे परिवारों में आये दिन झगड़े होते है। जिससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों पर पड़ने वाले दुर्व्यवहार से बचाने के लिए आर्यन ने एक ऍप का अविष्कार किया है। हमें बहुत खुशी है कि हमारे आर्यन ने इस प्रकार के एप का अविष्कार कर देश का नाम रोशन किया है।
आर्यन की दादी माँ पुष्पा मंगल ने बताया कि सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले आर्यन ने जिस प्रकार से इस एप का अविष्कार कर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उससे मेरे परिवार व रिश्तेदारों में खुशी का माहौल बना हुआ है। आर्यन द्वारा बनाई गई एप शोषण से जूझ से बच्चों को दुर्व्यवहार से छुटकारा दिला पाएगी।
आर्यन के पिता शैलेश मंगल ने बताया कि आर्यन ने जब बच्चों पर हो रहे दुर्व्यवहार देखा तो तभी से उसके मन मे बच्चों को दुर्व्यवहार से छुटकारा दिलाने की ठानी थी। उसके बाद वो हमेशा इसके बारे में सोचकर एक दुर्व्यवहार रहित ऍप का अविष्कार किया। दुर्व्यवहार रहित ऍप के अलावा ये ऍप घर रह रहे लोगों की आकस्मिक घटना की भी जानकारी अपने रिश्तेदारों तक पहुंचाएगा। हमें खुशी की आर्यन ने इस प्रकार की ऍप का अविष्कार किया है।

बाईट 01 ---------आर्यन के दादाजी दामोदर मंगल

बाईट 02---------आर्यन की दादीमां पुष्पा मंगल

बाईट 03-------आर्यन के पिता शैलेष मंगलBody:Aaryan ne bachcho ke saath hone vaale durvyavahar ko rokne ke liye bna diya ek appConclusion:
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