जोधपुर. शहर की बाहरी सीमा पर हजारों की तादाद में पाक विस्थापित एक अरसे से खानबदोश की जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं. भारतीय एजेंसी उनसे नवीनीकृत पासपोर्ट मांग रही हैं जिसके लिए उन्हें दिल्ली स्थित पाक दूतावास में जाना पडता हैं. जहां कोरोना के बाद पासपोर्ट रिन्यू करना लगभग बंद कर दिया गया है. सभी को बैरंग लौटाया जा रहा है.
इतना ही नहीं, वहां इन लोगों को कहा जाता है कि पाकिस्तान जाकर पासपोर्ट रिन्यू करवाओ, यहां रहने वालों का पासपोर्ट रिन्यू नहीं किया जाएगा. बीते कुछ दिनों से जोधपुर में रह रहे ये पाक विस्थापित दिल्ली पाक दूतावास में धक्के खा रहे हैं. इनके परिवार के लोगों के पासपोर्ट अवधिपार हो गए है. इनकी मांग है कि भारत सरकार एलटीवी और नागरिकता आवेदन के लिए नवीवीकृत पासपोर्ट की बाध्यता समाप्त करे. कोरोना से पहले भी भारत में एलटीवी पर रहने वाले विस्थापितों के पासपोर्ट रिन्यू करने में पाक दूतावास दोहरा रवैया अपनाता रहा है.
खाने का ठिकाना नहीं, कहां से रिन्यू कराएं पासपोर्ट
दिल्ली एंबेसी सिर्फ 1 साल के लिए ही पासपोर्ट रिन्यू करती थी. इस अवधि में न तो एलटीवी मिलता और न ही नागरिकता के कागजात तैयार होते. ऐसे में हर साल इन लोगों को मोटी फीस चुकानी पडती है. पाकिस्तान एंबेसी तुरंत रिन्यू के लिए प्रत्येक पासपोर्ट के लिए 4500 रुपए और सामान्य के लिए 2200 रुपए लेती है. लेकिन अब कोरोना के चलते विस्थापितों के जहां खाने-पीने के लाले पड गए, वहां परिवार के 6 से 8 सदस्यों के पासपोर्ट रिन्यू करवाना मुमकिन नहीं हो पा रहा है. ऊपर से जो लोग दिल्ली पहुंच रहे हैं उन्हें टरकाया जा रहा है.
पाक विस्थापितों का दर्द
पाकिस्तान से आए डोनियो के छह सदस्यों के पासपोर्ट एक्सपायर हो गए. दिल्ली जाकर आया लेकिन खाली हाथ लौटा दिया. उसके पास एलटीवी भी नहीं है. इसी तरह से बुद्धाराम के 12 पासपोर्ट एक्सपायर हो चुके हैं. उसके पास इतनी राशि नहीं है कि वह रिन्यू करवा सके. लूणाराम एंबेसी दो बार जा चुका है, उसने बताया कि वहां उसे कह दिया गया कि परिवार के साथ वापस पाकिस्तान चले जाओ. विजयराज भी इसी तरह से परेशान है, उसका कहना है कि हम यहां आ गए लेकिन मुसीबतें पीछा नहीं छोड रही हैं. चेतनराम के तो पासपोर्ट जल चुके हैं. आग की घटना की पुलिस रिपोर्ट ही उसके पास एकमात्र दस्तावेज है.
क्यों है जरूरी नवीनीकृत पासपोर्ट
दरअसल 2014 से पहले जितने भी पाक विस्थापित हिंदू आए हुए हैं. उन्हें किसी तरह के नवीनीकरण की आवश्यकता नहीं है. लेकिन इसके बाद आने वाले लोगों के लिए यह बाध्यता रखी गई है. जिसमें पाकिस्तानी पासपोर्ट का नवीनीकरण करवाना आवश्यकता है. इसके अभाव में एलटीवी यानी लांग टर्म वीजा लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं किया जा सकता. क्योंकि पोर्टल में पासपोर्ट की अवधि भरना अनिवार्य है.
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नहीं होने पर यह नुकसान
पाक विस्थापितों को नियमों के मुताबिक 1947 के बंटवारे से पहले जिनके परिवार भारत में थे उनके परिजन वापस आते हैं तो उन्हें 7 वर्ष के बाद नागरिकता मिलती है. 1947 के बाद वालों के लिए बाध्यता 12 वर्ष की है. लेकिन सीएए में 2014 तक आने वालों को नागरिकता देने का रास्ता खोला गया और बाकी के लिए 7 वर्ष का रहवान अनिवार्य किया गया है. ऐसे में इन सात वर्षों में रहने वालों को भारत में अगर कोई सुविधा चाहिए तो लांगटर्म वीजा के आधार पर मिल सकती है. जिसके लिए पासपोर्ट का रिन्यू होना आवश्यक है. इसके अभाव में हमेशा डिपोर्ट करने का खतरा बना रहता है और भारत में किसी तरह की सुविधा जैसे पेनकार्ड, आधार और ड्राइविंग लाईसेंस नहीं बन सकता.
बहरहाल, इन विस्थापितों का दर्द भी अजीब है, एक वतन को छोड़ आए हैं और दूसरे वतन के नियम आड़े आ रहे हैं. ऐसे में ये गरीब विस्थापित कहां जाएं, यह समझ से परे है.