जोधपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना काल में हर वर्ग प्रभावित हुआ है. चाहे सरकारी कर्मचारी हो, सरकारी निगम बोर्ड के कर्मचारी या निजी कामगार सभी पर आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि, इस दौरान किसी को-ऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े कर्मचारियों को संकट की इस घड़ी में उबरने में मदद मिली है.
अनलॉक के बाद भी आमजन को परिवार चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. एक जून से स्थितियां बदली हैं. कोरोना से बचाव के एहतियात के साथ जनजीवन को सामान्य करने की कोशिश है. इस दौरान जिन कर्मचारी संगठनों की को-ऑपरेटिव सोसायटी या साख समितियां थी, उनसे जुड़े लोगों को आवश्यकताएं पूरी करने में ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ी. जोधपुर शहर में दी रेलवे एम्पलॉयज को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड अपने कर्मचारी सदस्यों के लिए हमेशा काम करता रहा है.
बैंक के 5 हजार सदस्य
बता दें कि जोधपुर में इस को-ऑपरेटिव बैंक की स्थापना को 100 साल पूरे हो चुके हैं. 1913 में स्थापित बैंक में शुरुआती तौर पर कर्मचारी प्रतिमाह सिर्फ 25 पैसे जमा करवाते थे. आज बैंक विशाल हो चुका है. बैंक के माध्यम से रेलवे के कर्मचारियों ने अपने मकान बनाए और बच्चों को उच्च शिक्षण में सहयोग लिया. इस बैंक में करीब 5 हजार से अधिक सदस्य हैं, जो हर माह एक निश्चित राशि जमा करवाते हैं.
कोराना संकट में ब्याज दर किया कम
बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मनोज परिहार ने बताया कि कोरोना काल में हमने हाउस लोन पर 2 फीसदी और पर्सनल लोन पर 1 फीसदी ब्याज दर कम कर कर्मचारी साथियों को राहत दी. इसके अलावा बैंक ने जरूरतमंद कर्मचारियों और सामान्य नागरिकों के लिए भी राहत सामग्री वितरित किया.
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परिहार बताते हैं कि हमारी बैंक में प्रतिदिन एक से डेढ़ करोड़ रुपए का सर्कुलेशन होता है. वहीं सालाना 450 करोड़ का टर्न ओवर होेता है. उनका कहना है कि इस तरह की सोसायटी कर्मचारियों को बडे़ संकट से कभी भी उबार सकती है.
पंचायती राज बचत एवं साख सहकारी समिति लिमिटेड ने भी की मदद
इसी तरह से जोधपुर में पंचायत राज कर्मचारी संगठन की ओर से पंचायतीराज बचत एवं साख सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना 5 साल पहले हुई थी. इसमें 3 हजार सदस्य हैं. इसके सदस्य प्रतिमाह आवृति के रूप में एक राशि जमा करवाते हैं. जिसका उन्हें ब्याज दिया जाता है. समिति आवश्यकता होने पर अपने सदस्यों को लोन उपलब्ध करवाती है.
समिति के चेयरमैन शंभू सिंह मेड़तिया बताते हैं कि कोरोना काल मेंं कई कर्मचारी साथियों को वित्तीय परेशानी हुई तो हमने उनके आवेदन पर बिना ब्याज के उनके वेतन के बराबर तीन माह तक राशि उपलब्ध करवाई. जिससे वह अपने निजी काम कर सके.
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मेड़तिया ने कहा कि सहकार की भावना से एक दूसरे का सहयोग से हम सभी की परेशानी बांट सकते हैं. वर्तमान समय में सबसे ज्यादा किसी सरकारी निगम बोर्ड के कर्मचारी सर्वाधिक परेशान हैं तो वह राजस्थान रोडवेज के कर्मचारी हैं. जिसके भविष्य पर हमेशा तलवार लटकी रहती है.
रोडवेज के वरिष्ठ परिचालक शेर सिंह खिंची बताते हैं कि यहां कोई सोसायटी नहीं है सिर्फ कर्मचारी संगठन है. कोरोना काल में सरकार की ओर से जरूरतमंद कर्मचारियों को डेढ माह की अतिरिक्ति पगार के आदेश थे. संगठन के मार्फत हमने कर्मचारियों की इसके लिए मदद की.