जोधपुर. भारतीय संस्कृति में दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति और उनके प्रति श्रद्धा से जुड़े पर्व श्राद्ध पक्ष की बुधवार से शुरुआत हुई. इस दौरान जोधपुर शहर के जल सरोवर में आम जनता द्वारा अपने पूर्वजों को लेकर तर्पण किया गया.
मंगलवार को अनंत चतुर्दशी और पूर्णिमा एक साथ होने के पश्चात बुधवार से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए. जिसके चलते बुधवार सुबह से ही जोधपुर के जल सरोवर में तर्पण का दौर जारी रहा. श्राद्ध पक्ष को देखते हुए जोधपुर शहर के जल सरोवर में सुबह से ही लोगों का आना जाना लगा रहा शहर के भीतरी इलाके स्थित रानीसर पदमसर तालाब में भी जल सरोवर पर तर्पण किया गया. पूर्वजों के तर्पण को लेकर बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे.
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पितृपक्ष में हर साल पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण और हवन भी किया जाता है. सभी लोग अपने-अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध करते हैं. माना जाता है कि जो लोग पितृपक्ष में पितरों का तर्पण नहीं करते, उन्हें पित्रृ दोष लगता है. श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर पूरे परिवार को आशीर्वाद देते हैं.
कोरोना को देखते हुए अपने पूर्वजों को तर्पण करने आए लोगों ने राजस्थान सरकार द्वारा जारी की गई कोविड-19 गाइडलाइनों के नियमों की भी पालना की. श्राद्ध पक्ष को देखते हुए प्रतिदिन जोधपुर के प्रमुख जल सरोवर पर लोगों द्वारा अपने अपने पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण किए जाएंगे. कोरोना को देखते हुए तर्पण करने आए सभी लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग सहित गाइडलाइन के अन्य नियमों की पालना की.
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आपको बता दें कि इस साल पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को होगा और मलमास आरंभ हो जाएगा. अंतिम श्राद्ध यानी अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर को होगा. पूर्णिमा का श्राद्ध 2 सितंबर को होगा, जबकि पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर को किया जाएगा. पितृपक्ष के दौरान 13 सितंबर को एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. हर साल लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए बिहार के गया जाकर पिंडदान करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना काल में यह संभव नहीं दिख रहा है. इस बार लोगों के गया जाकर पिंडदान करने पर रोक रहेगी. सभी लोग अपने घर पर कर्मकांड और दान कर पाएंगे.