जोधपुर. भारत जोड़ो यात्रा से प्रदेश कांग्रेस में एकता का संदेश देने की कवायद को अब झटका लग सकता है. यात्रा के राजस्थान से प्रस्थान के (Split scope in Rajasthan Congress ) महज एक दिन बाद ही पश्चिमी राजस्थान के एक बड़े नेता ने इसके संकेत भी दे दिए हैं. दरअसल, पार्टी के वरिष्ठ नेता व सूबे के पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने पार्टी में उनकी उपेक्षा व सीएम से चल रही सीधी टक्कर के बीच एक बड़ा बयान दे दिया है. जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि अब वो भी पूर्व में बाड़मेर में बागी जाट कांग्रेसी नेताओं की तरह ही सख्त रुख अख्तियार करने की मूड में नजर आ रहे हैं.
चौधरी ने गुरुवार को चौहटन के कापराउ में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी भविष्य (Harish Chowdhary Spoils Gehlot Game) की सियासत को लेकर संकेत दिए. उन्होंने कहा कि यहां आया हूं तो सच कहूंगा जो बहुत कड़वा होता है. प्रदेश के वन मंत्री हेमाराम चौधरी की मौजूदगी में हरीश चौधरी ने कहा कि जो हालात बने हैं, उससे उन्हें यह पता चल गया है कि अब अंतिम पड़ाव क्या है. इस दौरान चौधरी ने कई नेताओं के नाम का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि रामनारायणजी, गंगारामजी, कर्नल सोनारामजी और हेमारामजी तक सब देख चुके हैं. ऐसे में हरीश चौधरी कोई इतना समझदार और ताकतवर नहीं है, जो उस अंतिम पड़ाव से बच सके. यानी वो भी इन नेताओं की तरह ही आगे बगावत का रुख अख्तियार कर सकते हैं.
इन नेताओं ने दिखाए तेवरः चौधरी ने अपने बयान में जिन नेताओं के नामों का जिक्र किया, वो सभी कांग्रेस में हाशिए पर चले गए थे. आखिरकार बाड़मेर के पूर्व मंत्री गंगाराम चौधरी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए तो इसी तरह से कर्नल सोनाराम भी भाजपा में चले गए, जो सांसद बने. रामनारायण चौधरी (Chances of split in Rajasthan Congress) नेता प्रतिपक्ष रहे, लेकिन उन्हें भी हाशिए पर धकेल दिया गया. हालांकि उन्होंने बगावत नहीं की और उनकी बेटी को उपचुनाव में टिकट दिया गया. हेमाराम चौधरी पायलट गुट में हैं, जिन्हें बगावत के बाद मंत्री बनाया गया.
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सीएम चला रहे प्रायोजित पार्टीः पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने अपने संबोधन में सीएम गहलोत पर हमला किया. चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पॉलिटिकल मैनेजमेंट पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश की तीसरी पार्टी उनकी ही प्रायोजित पार्टी है. हालांकि उन्होंने पार्टी का नाम नहीं लिया. लेकिन उनका इशारा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की ओर था. चौधरी ने इशारों इशारों में कहा कि जब हम कांग्रेस जन आपस में लड़ते हैं तो उनको सुकून की नींद आती है. जैसे अर्जेंटीना के कप्तान को विश्वकप जीतने पर आई थी. अशोकजी हमारी पार्टी के आदमी है तो सीधे हमारी मदद करो. तीसरी पार्टी को मदद करने से क्या फायदा. उस खड्डे में वोट डालने से क्या फायदा. तीसरे को मदद करने से हमारे बीच कभी समन्वय नहीं हो सकता.
चौधरी को किया साइडः माना जाता है कि हरीश चौधरी को गहलोत ने ही आगे बढ़ाया था. लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनकी नजदकियां आलाकमान से हो गई. प्रदेश में सरकार बनी तो गहलोत हेमाराम चौधरी की जगह उन्हें मंत्री पद दिए. जिससे विवाद हुआ. हरीश चौधरी को पंजाब का (Political strategy of CM Gehlot) प्रभारी बनाया गया तो उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया. इसके बाद वे प्रदेश में साइड लाइन हो गए. ओबीसी आरक्षण में विसंगति के मामले में बेनीवाल ने चौधरी पर निशाना साधा तो पूर्व मंत्री ने इसकी वजह सीएम गहलोत को बताया और विसंगति को लेकर मोर्चा खोल दिया.
गहलोत का पॉलिटिकल मैनेजमेंटः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वो सोने के अतिरिक्त हर समय राजनीति करते हैं. उनके हर मूवमेंट में कोई न कोई राजनीतिक संदेश छुपा होता हैं. वे कब किस के कंधे पर हाथ रखेंगे, कब किसे इग्नोर करेंगे, इन सब बातों के राजनीतिक मतलब निकाले जाते हैं. प्रदेश में रालोपा नेता हनुमान बेनीवाल हमेशा कांग्रेस पर हमलावर रहते हैं. भूतपूर्व (Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra) सैनिकों से जुड़े आरक्षण के मुद्दे पर इन दिनों वे हरीश चौधरी पर भी हमलावर रहे. लेकिन कभी गहलोत ने बेनीवाल या उनकी पार्टी को लेकर कोई आक्रामता नहीं दिखाई. अलबत्ता गत चुनाव में ये जरूर कहा था कि वे किसान हैं, उन्हें हमसे हाथ मिलाना चाहिए था.