जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर का खान-पान देश-विदेश में विशेष पहचान रखता है. यहां के लोगों को खावण खंडा भी कहा जाता है. यहां खास तौर से देसी मिठाइयों और नमकीन सर्वाधिक चलन है, इसलिए लोग हर भोजन में इनका उपयोग करते हैं. आलम यह है कि शादी-विवाह में परोसी जाने वाली मिठाइयां अब श्राद्ध के भोजन में भी शामिल हो गई हैं.
श्राद्ध पक्ष स्पेशल मालपुए और घेवर : मान्यता है कि श्वेत भोजन से पितर तृप्त होते हैं. ऐसे में पहले श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण को और पारिवारिक भोज में खीर-पूड़ी ही परोसी जाती थी, लेकिन बदलते समय के साथ लोगों ने दूध से बनी मिठाइयों को भी इस भोजन में शामिल कर दिया. खास तौर से रबड़ी के मालपुए और घेवर भोज में शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा रसमलाई, राजभोग को भी काम में लिया जा रहा है. जोधपुर के भीतरी शहर में इसका प्रचलन ज्यादा हैं, जिसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अब तो श्राद्ध पक्ष में ऑर्डर बुक होने लगे हैं. नामचीन दुकानों पर श्राद्ध पक्ष स्पेशल मालपुए और घेवर के पोस्टर देखे जा सकते हैं.
श्राद्ध पक्ष में मिलते हैं ऑर्डर : मिठाई विक्रेताओं का कहना है कि पिछले कुछ समय से श्राद्ध पक्ष में भी घेवर की बिक्री में तेजी आई है, जबकि रक्षाबंधन के बाद घेवर की बिक्री लगभग कम हो जाती है. इसी तरह से मालपुए भी सर्दियों में ही ज्यादा बिकते हैं, लेकिन श्राद्ध के दिनों में शहरवासी अपने घर पर भोज में इसका उपयोग करने लगे हैं. ऐसे में हमें भी ऑर्डर मिलते हैं.
श्वेत भोजन से प्रसन्न होते है पितर : आडा बाजार महादेव मंदिर के पंडित रोहित दवे का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि हमारे पितर श्वेत भोजन से प्रसन्न होते हैं, इसलिए पितर की थाली में दूध और दही से बने व्यंजन का उपयोग होता है. इसमें खीर मुख्य होती है. इसके अलावा रबड़ी, मालपुए भी उपयोग में लिए जाने लगे हैं. अब धीरे-धीरे दूध से बने व्यंजन और मिठाइयों का भी प्रचलन बढ़ गया है.