जोधपुर. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत जोधपुर में संचालित काजरी के वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक से टमाटर के पौधे को 10 से 12 फीट तक की लंबाई दी है. खास बात यह है, कि लंबाई के साथ इस पौधे से जो टमाटर का उत्पादन हो रहा है, वह भी ज्यादा है. एक पौधा 10 से 12 किलो टमाटर दे रहा है. काजरी इस तकनीक को किसानों तक पहुंचाने के लिए जल्दी प्रशिक्षण शिविर में मेलों का आयोजन करेगी. इसके अलावा प्राइवेट नर्सरी को भी यह तकनीक देने पर विचार किया जा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें.
काजरी ने इस तकनीक को यहां तक पहुंचाने के लिए अपने सीनियर साइंटिस्ट डॉ प्रदीप कुमार को 3 वर्ष के लिए यूरोप भेजा था. डॉक्टर प्रदीप कुमार ने इस तकनीक को लेकर विभिन्न प्रयोग किए और उसके बाद जोधपुर आकर काम शुरू किया. डॉ प्रदीप कुमार ने बताया, कि ग्राफ्टिंग तकनीक को हमने आजमाया और सफल प्रयोग किया.
पॉली हाउस में टमाटर की फसल साढ़े 5 माह में तैयार हुई है. इस तकनीक में जड़ और तने को अलग-अलग तरीके से ग्राफ्ट किया जाता है. इसमें देसी जंगली टमाटर और देसी व जंगली बैंगन की जड़ का उपयोग किया गया है और उसके ऊपर सामान्य टमाटर के पौधे की तने की ग्राफ्टिंग की गई है और उसके परिणाम उत्साह से अधिक प्राप्त हुए हैं. डॉ. प्रदीप कुमार के मुताबिक पाली हाउस में हर पौधे को 160 दिन तक सिर्फ आधा लीटर पानी दिया गया. यही कारण है, कि पॉली हाउस की जमीन पूरी तरह से सूखी नजर आती है, लेकिन पैदावार बंपर हुई है.
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उन्होंने बताया, कि इस तरह के उत्पादन के लिए 15 से 35 डिग्री का तापमान और आर्द्रता 40% की होनी चाहिए. पौधे के प्रत्येक गुच्छे में 1 से 2 किलो टमाटर लग रहे हैं. अधिकतम 200 ग्राम तक का एक टमाटर भी यहां प्राप्त किया गया है. टमाटर के अलावा काजरी में खीरे की भी ग्राफ्टिंग तकनीक से खेती की जा रही है.