जोधपुर. शुष्क क्षेत्र में वनों के प्रसार पर काम करने वाले शुष्क वन अनुसंधान संस्थान आफरी के सहयोग से अब मारवाड़ में चंदन की खेती होगी. इसको लेकर आफरी ने फलोदी जिले के एक किसान के साथ एमओयू किया है. आफरी की ओर से किसान को तकनीक ओर प्लांट उपलब्ध करवाए जाएंगे. चंदन की खेती के दौरान आफरी के वैज्ञानिक अपना अध्ययन भी करेंगे.
आफरी के निदेशक एमआर बलोच ने बताया कि आफरी जोधपुर ने चंदन की कई किस्में अथक मेहनत और शोध से विकसित की हैं. चंदन की खेती मारवाड़ में हो सके, इसको लेकर भी हमने कई शोध किए हैं. प्रायोगिक तौर पर इस काम को सीधे खेत पर करने के लिए यह कदम उठाया गया है. उन्होंने बताया कि लोहावट के किसान विजय कृष्ण राठी से इसके लिए एमओयू किया गया है.
आफरी के निर्देशन में होगी खेती: आफरी द्वारा अपनी प्रयोगशालाओं एवं नर्सरी में तैयार जैविक उर्वरक से उपचारित चंदन के उन्नत किस्म की पौध का परीक्षण किया जा रहा है. इसे आगे बढ़ाने के लिए यह एमओयू किया गया है. किसान राठी इसके लिए आफरी को 1.5 हेक्टर जमीन मुहैया करायेंगे व संस्थान द्वारा लगाए गए पौधारोपण की देखरेख भी करेंगे. वहां पर चंदन के उच्च गुणवत्ता वाले पौधे लगाए जाएंगे.
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कैंपा के तहत हो रहा है ट्रॉयल: परियोजना की प्रभारी डॉ संगीता सिंह ने बताया कि परियोजना भारत सरकार के कैंपा के अनुदान के तहत लागू हो रही है. इसके तहत जैविक उर्वरक हमारे ही संस्थानों द्वारा तैयार किए गए है. कई वर्षों के परीक्षण के बाद मल्टीलोकेशनल ट्रायल अब किसानों के खेतो में लगाया जा रहा है. आफरी के समूह समन्वयक शोध डॉ तरूणकांत ने बताया कि चंदन की खेती से नई क्रांति आने की संभावना है. जो चंदन आज दक्षिण भारत की शोभा के रूप में जाना जाता है, वह आने वाले समय में मरूप्रदेश की शोभा बढ़ाएगा. चंदन की पौध कृषि वानिकी के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दे सकती है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी.