जोधपुर. राजस्थानी भाषा के प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित को उनकी राजस्थानी काव्य कृति ‘ पळकती प्रीत ’ को केन्द्रीय साहित्य एकेडमी का सर्वाेच्च अवॉर्ड 2023 घोषित हुआ है. एकेडमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने बताया कि नई दिल्ली स्थित साहित्य एकेडमी के रविन्द्र भवन में साधारण सभा की बैठक में यह घोषणा की गई. साहित्य एकेडमी द्वारा प्रति वर्ष 24 भारतीय भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ रचनाओं का चयन कर उनको पुरस्कृत किया जाता है. जिसमें वर्ष 2023 के लिए राजस्थानी भाषा-साहित्य की काव्य कृति 'पळकती प्रीत' का चयन किया गया है.
साहित्य एकेडमी के इस सर्वाेच्च पुरस्कार के अंतर्गत लेखक को एक लाख रुपए की राशि, ताम्र फलक एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर, एकेडमी के राष्ट्रीय समारोह में पुरस्कृत किया जायेगा. डॉ. राजपुरोहित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी भाषा विभाग में सह आचार्य के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने यह अवॉर्ड राजस्थानी भाषा-साहित्य के ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर (डॉ.) अर्जुनदेव चारण को समर्पित किया है.
प्रेम व्याखान है काव्य कृति 'पळकती प्रीत' : डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित द्वारा लिखी गई राजस्थानी काव्यकृति मध्यकालीन प्रेम व्याख्यान पर आधारित है. जिसमें मूमल-महेन्दर, ढोला-मारु, जेठवा-ऊजळी, बाघो-भारमली, नरबद-सुपियारदे, सैणी-बीझाणंद, आभल-खींवजी, नागजी-नागवती, जलाल-बूबना, सोरठ-बींझौ, केहर-कंवळ जैसे सुप्रसिद्ध प्रेमाख्यानों को पहली बार नव बोध, मानवीय संवेदना तथा आधुनिक दृष्टी से प्रबंध काव्य में रचा गया है. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के दौरान अनेक विद्वानों ने इस काव्यकृति की सराहना करते हुए इसे आधुनिक राजस्थानी काव्य की कालजयी कृति बताया था. भाव, भाषा, शिल्प एवं काव्यगुणों की दृष्टि से इस काव्य कृति की राजस्थानी साहित्य जगत में बहुत सराहना हुई है. बहुत से विद्वानों ने तो इस काव्य कृति की तुलना कवि सत्यप्रकाश जोशी एवं कवि नारायण सिंह भाटी की काव्य कृतियों से की थी.
राजपुरोहित की प्रकाशित पुस्तकें : राजस्थानी प्रबंध काव्य 'पळकती प्रीत' के अतिरिक्त डॉ. राजपुरोहित की प्रकाशित पुस्तकों में राजस्थानी साहित्य री सौरम, राजहंस, आत्मदर्शन, सुजा-शतक, जस रा आखर, राजपुरोहित आदिकाल से अब तक, अंजस, ऊमरदान लाळस तथा राजस्थानी लोक देवी देवता: परंपरा अर साहित्यिक दीठ उल्लेखनीय है.