जोधपुर. महाराजा मान सिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र की ओर से जोधपुर के मेहरानगढ़ में 10 दिवसीय प्राचीन राजस्थानी बही लिपि कार्यशाला का आयोजन हो रहा है. कार्यशाला के 7वें दिन मंगलवार को विवाह बहियों में वर्णित रीति-रिवाजों से छात्र-छात्राओं को रूबरू करवाया गया.
राजस्थानी भाषा के विशेषज्ञ डॉक्टर राजेंद्र बारहठ ने कहा कि राजस्थान में बहियों में लिखित इतिहास और साहित्य-संस्कृति के भंडार को समझने के लिए जोधपुर में प्राची विद्या विश्वविद्यालय की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि बहियों का सबसे बड़ा और समृद्ध भंडार जोधपुर में उपलब्ध है.
राजस्थान के विभिन्न अंचलों में बोले जाने वाली राजस्थानी बहियों में लिखित मुड़िया, मोड़ी, महाजनी लिपि के शब्दावली के कई शब्दों से शोधार्थियों का परिचय करवाया गया. शोध केंद्र के विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह तंवर ने राज्य लोक की बहियों, विवाह और ठिकानों की बहियों में रीति-रिवाज और प्रचलित परंपराओं की जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि राजा महाराजाओं की विवाह की बहियों में ऐसे कई प्रसंग मिलते है, जो काफी रोचक है. प्राचीन बहियों के अनुसार जब लड़की का पिता, अपनी पुत्री की शादी करवाता था, तो शादी से पहले वह अपनी पुत्री के भविष्य की पूरी सुरक्षा उसके पति और उसके परिवार से लेता था.
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यदि पति एक से अधिक विवाह कर भी ले, तो उसकी पत्नी को पहले की तरह सम्मान और सभी सुविधाएं मिले. 10 दिन तक चलने वाले प्राचीन राजस्थानी बहीलिपि कार्यशाला में शोधार्थियों को राजस्थानी भाषा के साथ कई बहियों के बारे में जानकारी दी जाएगी.