जोधपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम में इस बार जोधपुर संभाग में क्या भाजपा अपनी 2018 में हुई करारी हार का हिसाब चुका पाएगी ? क्योंकि 2013 में भाजपा को यहां 33 में 30 सीटों पर ऐतिहासिक जीत मिली थी. कांग्रेस महज तीन सीटों पर सीमित हो गई थी. 2018 में कांग्रेस भी इतनी सफल नहीं हुई. कांग्रेस को 16 और भाजपा को 14 सीटें मिली थीं. तीन सीटें अन्य के खाते में गई थीं. ऐसे में भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव अपनी-अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने का है. यही कारण है कि दोनों दलों के लोग संभाग के छह जिलों के परिणाम को लेकर चिंतित और आशंकित हैं. यह माना जा रहा है कि जो जोधपुर संभाग में सफल होगा, उसका 'राज' आएगा.
तीन में कांग्रेस, तीन में भाजपा हुई सफल : 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पाली, जालोर और सिरोही में जबरदस्त सफलता मिली थी. यहां की 14 सीटों में पार्टी को 11 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली थी. दो सीटें निर्दलीय ले गए थे, जबकि जोधपुर, बाड़मेर व जैसलमेर की 19 सीटों में 15 सीटें कांग्रेस ने अपने नाम की थी. भाजपा को तीन व एक सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के खाते में गई थी. दोनों पार्टियों का प्रदर्शन लगभग बराबर था, लेकिन 2013 के मुकाबले बड़ा नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था. कांग्रेस उस समय 3 सीटें जीती थी, जो 2018 में 16 पर पहुंच गई. भाजपा 30 से 14 पर आ गई.
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गहलोत, राजे व शेखावत ने की मेहनत : 2023 के चुनाव में कांग्रेस से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जमकर मेहनत की है. वे अकले ही बड़े प्रचारक के रूप में मोर्चा संभालते नजर आए. संभाग में उन्होंने कई सभाएं कर कांग्रेस की गारंटी योजनाओं के नाम पर वोट मांगा. वहीं, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी संभाग में अपने समर्थक प्रत्याशियों के पक्ष में सभाएं कर अपना वर्चस्व बनाए रखा. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जोधपुर, जैसलमेर व बाड़मेर पर फोकस रखा. यहां कई सभाएं की.