जोधपुर. न्यायालय के आदेश के बाद (Rajasthan highcourt order) एक मां को अपने जुड़वा बच्चों की परवरिश का अधिकार मिला है. प्रकरण राजस्थान के बाड़मेर से जुड़ा है जहां पति ने जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद एक बच्चे को अपने पास रख लिया था और दूसरे बच्चे को मां को देकर उसे घर से बाहर निकाल दिया था. पीड़ित महिला जोधपुर के केरु गांव की निवासी है जिसने मामले में अदालत की शरण ली.
इसके बाद न्यायालय उपखंड अधिकारी एवं उपखंड मजिस्ट्रेट जोधपुर (उत्तर) नीरज मिश्र ने प्रथम अभिभावक और प्राकृतिक संरक्षक के रूप में मां को यह अधिकार देने की बात कहते हुए दोनों जुड़वा बच्चों में से बाड़मेर में पिता के पास रखे गए बच्चे को मां को सुपुर्द किए जाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मां से अच्छी परवरिश इस बच्चे की कोई नहीं कर सकता है यह विधि का सर्वमान्य सिद्धांत है.
पढ़ें. पॉक्सो के तहत दर्ज एफआईआर को किया निरस्त, हाईकोर्ट ने कहा मासूम बच्चे पर ना पड़े असर
मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे और कांता राजपुरोहित ने बताया कि मामला बाड़मेर से जुड़ा था जहां मामले में परिवादीया अफसाना मूल रूप से केरु जोधपुर की निवासी है. उसका विवाह बाड़मेर के सुराब खान के साथ हुआ था. विवाह के बाद उनके 2 जुड़वा बेटे अयान और रेहान हुए थे. इसके बाद पारिवारिक विवाद के बाद सुराब खान ने एक बच्चे को अपने पास रख लिया और दूसरे को मां के साथ जोधपुर रवाना कर दिया. इस मामले में पंच पंचायती भी हुई लेकिन किसी तरह का कोई समाधान नहीं निकला जिसके बाद अफसाना ने कोर्ट की शरण ली.
कोर्ट में दलील दी गई कि मां ही प्रथम अभिभावक है. दूध मुंहे बच्चे को मां की ममता से वंचित नहीं रखा जा सकता. यह मां का मूल संविधानिक अधिकार भी है. मामले की सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट ने इस संबंध में राजीव गांधी थाना पुलिस को निर्देश दिया कि बालक को मां के सुपुर्द किया जाए, जिसके बाद महानिरीक्षक पुलिस जोधपुर रेंज ने आदेश जारी कर बाड़मेर पुलिस अधीक्षक को कारवाई करने का निर्देश दिया. इस की पालना के तहत एक वर्षीय बालक अयान को उसकी मां के सुपुर्द किया गया.