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राजस्थान हाईकोर्ट ने बजरी व खनन माफियाओं के खिलाफ लिया प्रसंज्ञान, मुख्य सचिव से मांगा जवाब - High Court taken serious note on illegal mining

राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बजरी व खनन माफियाओं के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों को जवाब तलब (High Court taken serious note on illegal mining) किया है.

High Court taken serious note on illegal mining
High Court taken serious note on illegal mining
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Published : May 26, 2023, 10:42 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने खनन माफियाओं के बढ़ते गैंगवार व बजरी माफिया के एसीपी पर हमले के मामले को गंभीरता से लेते हुए स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया. साथ ही उक्त मामले में राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने जोधपुर के सालावास मार्ग पर 24 मई को अल सुबह बजरी डम्पर चालक का पीछा करने पर एसीपी जय प्रकाश अटल को धमकाने और बाद में उनकी गाड़ी को टक्कर मारने की घटना समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर उसे गंभीरता से लिया है.

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रसंज्ञान लेकर राज्य के मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, प्रमुख सचिव गृह विभाग, प्रमुख सचिव खनन विभाग, पुलिस महानिदेशक राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए 1 जून को जवाब मांगा है. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता व अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने नोटिस स्वीकार किया है. कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश जोशी, अधिवक्त संदीप विश्नोई व अधिवक्ता प्रांजुल मेहता को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए इस मामले में सहायता करने और इससे जुड़ी सामग्री प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जोधपुर में अल सुबह पुलिस अधिकारी को धमकाना और उन पर हमला कर गाड़ी को क्षतिग्रस्त करना गंभीर मामला है. यह पहली घटना नहीं है.

आमतौर प्रदेश में खनन माफिया और बजरी माफिया के कारनामे समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे हैं. इनके बीच गैंगवार जैसी घटनाए हो रही हैं. जिसके चलते कई बार जघन्य अपराध व हत्या जैसी घटनाएं हो चुकी है. कई बार तो ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने पर उन पर भी हमले किए गए हैं. बजरी के डम्पर सड़कों और संकरी गलियों से लापरवाही व तेज गति से चलते हैं, जो कि आम जनता के जीवन के लिए गंभीर खतरा है. यहा तक उन डम्पर पर नम्बर प्लेट या तो पूरी तरह से गायब होते हैं या फिर उसे खराब कर दिया जाता है, ताकि पहचान न हो सके.

इसे भी पढ़ें - Rajasthan High Court: ट्रांसजेंडरों की शिकायतों के निस्तारण व कानून की पालना के लिए स्थापित करें शिकायत निवारण तंत्र

आम धारणा है कि राजस्थान राज्य की पुलिस या प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है और न ही इन खनन माफियाओं पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार के पास द्दढ़ इच्छाशक्ति है. ये माफिया इतने प्रभावशाली है कि कोई भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है. आम जनता इन माफियाओं से भयभीत और बेबस है. जबकि पुलिस व प्रशासन इनको रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है. कोर्ट ने अधिकारियों को जवाब तलब करते हुए कहा कि राजस्थान राज्य में आज तक खनन माफियाओं के खिलाफ क्या कारवाई हुई और इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए क्या कार्य योजना प्रस्तावित है, उसे कोर्ट के समक्ष पेश करें.

कोर्ट ने कहा कि आम लोगों में इन खनन माफियाओं का भय व्याप्त है. जिसकी वजह से कोई शिकायत भी नहीं करना चाहता है. उनको पता है कि न तो पुलिस और न ही प्रशासन कोई कार्रवाई करेगा, क्योकि ये प्रभावशाली लोग है, जिनके खिलाफ एक्शन नहीं हो रहा है.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने खनन माफियाओं के बढ़ते गैंगवार व बजरी माफिया के एसीपी पर हमले के मामले को गंभीरता से लेते हुए स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया. साथ ही उक्त मामले में राज्य के मुख्य सचिव सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. वरिष्ठ न्यायाधीश विजय विश्नोई व न्यायाधीश योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ ने जोधपुर के सालावास मार्ग पर 24 मई को अल सुबह बजरी डम्पर चालक का पीछा करने पर एसीपी जय प्रकाश अटल को धमकाने और बाद में उनकी गाड़ी को टक्कर मारने की घटना समाचार पत्रों में प्रकाशित होने पर उसे गंभीरता से लिया है.

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल प्रसंज्ञान लेकर राज्य के मुख्य सचिव राजस्थान सरकार, प्रमुख सचिव गृह विभाग, प्रमुख सचिव खनन विभाग, पुलिस महानिदेशक राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए 1 जून को जवाब मांगा है. वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता व अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने नोटिस स्वीकार किया है. कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश जोशी, अधिवक्त संदीप विश्नोई व अधिवक्ता प्रांजुल मेहता को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए इस मामले में सहायता करने और इससे जुड़ी सामग्री प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जोधपुर में अल सुबह पुलिस अधिकारी को धमकाना और उन पर हमला कर गाड़ी को क्षतिग्रस्त करना गंभीर मामला है. यह पहली घटना नहीं है.

आमतौर प्रदेश में खनन माफिया और बजरी माफिया के कारनामे समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे हैं. इनके बीच गैंगवार जैसी घटनाए हो रही हैं. जिसके चलते कई बार जघन्य अपराध व हत्या जैसी घटनाएं हो चुकी है. कई बार तो ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने पर उन पर भी हमले किए गए हैं. बजरी के डम्पर सड़कों और संकरी गलियों से लापरवाही व तेज गति से चलते हैं, जो कि आम जनता के जीवन के लिए गंभीर खतरा है. यहा तक उन डम्पर पर नम्बर प्लेट या तो पूरी तरह से गायब होते हैं या फिर उसे खराब कर दिया जाता है, ताकि पहचान न हो सके.

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आम धारणा है कि राजस्थान राज्य की पुलिस या प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है और न ही इन खनन माफियाओं पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार के पास द्दढ़ इच्छाशक्ति है. ये माफिया इतने प्रभावशाली है कि कोई भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है. आम जनता इन माफियाओं से भयभीत और बेबस है. जबकि पुलिस व प्रशासन इनको रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है. कोर्ट ने अधिकारियों को जवाब तलब करते हुए कहा कि राजस्थान राज्य में आज तक खनन माफियाओं के खिलाफ क्या कारवाई हुई और इस खतरे को नियंत्रित करने के लिए क्या कार्य योजना प्रस्तावित है, उसे कोर्ट के समक्ष पेश करें.

कोर्ट ने कहा कि आम लोगों में इन खनन माफियाओं का भय व्याप्त है. जिसकी वजह से कोई शिकायत भी नहीं करना चाहता है. उनको पता है कि न तो पुलिस और न ही प्रशासन कोई कार्रवाई करेगा, क्योकि ये प्रभावशाली लोग है, जिनके खिलाफ एक्शन नहीं हो रहा है.

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