जोधपुर. राजस्थान में एडवोकेट एक्ट के लिए आंदोलन का अभी तक सार्थक समाधान नहीं हो पाया है. एक तरफ वकीलों ने 13 मार्च को राज्य विधानसभा के घेराव की चेतावनी दी है, वहीं दूसरी ओर राजस्थान हाईकोर्ट की स्पेशल डिवीजन बेंच गुरुवार को स्व प्रसंज्ञान के आधार पर दर्ज याचिका की सुनवाई करेगी. गत 18 फरवरी को जोधपुर में अधिवक्ता जुगराज चौहान की दिनदहाड़े निर्मम हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद से जोधपुर के अधिवक्ता हड़ताल पर चल गए.
बाद में उनके समर्थन में राज्यभर के बार संघ आंदोलन पर उतर आए और एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग करने लगे. जोधपुर की दोनो एसोसिएशन और बार कौंसिल ऑफ राजस्थान के शिष्टमंडल के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर एक्ट लागू करने की मांग की थी. गत 2 मार्च को हाईकोर्ट की स्पेशल खंडपीठ में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के चैयरमेन मनन कुमार मिश्रा ने कहा था कि वे व्यक्तिगत रूप से प्रयास कर आंदोलन में शामिल बार संघों के पदाधिकारियों से वार्ता करेंगे और न्यायिक कार्य बहिष्कार को समाप्त करने का सार्थक प्रयास करेंगे.
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उन्होंने जयपुर व जोधपुर बार संघों के पदाधिकारियों से टेलीफोनिक वार्ता भी की और बीसीआई की बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा भी की. बीसीआई की बैठक में एक सदस्य सुरेश चन्द्र श्रीमाली ने न्यायिक कार्यो के बहिष्कार को समाप्त करने के लिए बार कौंसिल ऑफ राजस्थान को कोई निर्देश जारी करने के प्रस्ताव को पारित करने से स्वयं का अलग कर दिया. उन्होंने कहा कि बेशक आंदोलन की शुरुआत एक अधिवक्ता की हत्या के बाद हुई है, लेकिन इससे पहले भी कई जानलेवा हमलों में अधिवक्ताओं की मोत हो चुकी है. अधिवक्ता अपने व्यवसायिक दायित्वों के निर्वहन के दौरान सुरक्षा की मांग को लेकर अधिनियम पारित करवाने की बात रख रहे हैं.
इधर बीसीआई के निर्देशो की पालना में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान की साधारणा सभा की दो बैठकें आयोजित की गईं. पहली बैठक में कोई ठोस निर्णय नही होने पर दोबारा बैठक करने का निर्णय लिया गया, जिसमें संघर्ष समिति के मुख्य संयोजकों को बुलाया जाना प्रस्तावित किया गया. निर्धारित तिथि को आयोजित दूसरी बैठक में संघर्ष समिति का कोई मुख्य संयोजक नहीं पहुंचा इस पर बैठक दो प्रस्ताव पारित करते हुए समाप्त कर दी गई. पहला प्रस्ताव था कि साधारण सभा की बैठक में संघर्ष समिति के संयोजकों को आमंत्रित किया गया, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में किसी सार्थक निर्ष्कष पर नही पहुचा जा सका. दूसरे प्रस्ताव में बार कौंसिल ऑफ राजस्थान ने दोहराया कि राजस्थान अधिवक्ता प्रोटेक्शन अधिनियम को लागू करवाने के लिए पूर्व में भी कौंसिल प्रयासरत थी. समय-समय पर सार्थक प्रयास किए गए एवं भविष्य में भी एक्ट के लिए प्रयास किए जाएंगे.