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हाईकोर्ट का अहम आदेश, विकास के लिए गोचर भूमि का भी हो सकता है उपयोग

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Published : Apr 29, 2023, 9:45 PM IST

जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र (जेपीएमआईए) को लेकर याचिका की सुनवाई में राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि औद्योगिक विकास के लिए गोचर भूमि को भी परिवर्तित किया जा सकता है. हालांकि उसकी एवज में उतनी ही भूमि कहीं और रिजर्व करनी होगी.

HC says transit land can be used for development
हाईकोर्ट का अहम आदेश, विकास के लिए गोचर भूमि का भी हो सकता है उपयोग

जोधपुर. राजस्थान में दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर के तहत जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र (JPMIA) के लिए राह आसान हो गई है. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि औद्योगिक विकास के लिए गोचर भूमि को परिवर्तित किया जा सकता है. उसके बदले में उतनी ही भूमि अन्यत्र आरक्षित करनी होगी. कार्यवाहक सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने पप्पापुरी व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह अहम आदेश पारित किया है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश कर बताया था कि पाली जिले की रोहट तहसील के राजस्व ग्राम डूंगरपुर, सिणगारी, ढूंढली, दूदली, निम्बली पटेलान, निम्बली ब्राहम्णान, दानासनी, रोहट व दलपतगढ़ के आसपास की ओरण, गोचर व आगौर की भूमि जोधपुर पाली मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण को दी गई है. इसको लेकर पाली जिला कलेक्टर ने 16 दिसम्बर, 2020 को आदेश जारी किया है उसे निरस्त किया जाए. याचिका में यह भी कहा गया कि गोचर भूमि प्रतिबंधित है और पंचायतों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है. उसे जेपीएमआईए के लिए नहीं दी जा सकती है.

पढ़ेंः हाईकोर्ट का अहम आदेश: गोचर भूमि पर जारी नहीं होगी खनन लीज, ना होगा नवीनीकरण

यह कहा सरकार नेः सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने याचिका का जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर सेंट्रल की महत्ती योजना है और उसमें राजस्थान में पांच स्थानों पर हब बनाए जाएंगे. राजस्थान में रोजगार सहित सभी क्षेत्रों में राहत मिलेगी. राजस्थान में पहले चरण में जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र यानी जेपीएमआईए का नाम दिया गया है. जिसके विकास के लिए 12 अक्टूबर, 2020 को जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है, जिसमें समस्त शक्तियां निहित होगी.

पढ़ेंः Rajasthan High Court Order : गोचर भूमि को सेट अपार्ट करने पर रोक, सरकार को जवाब के लिए दिया अवसर...

याचिका में कहा गया कि गोचर की भूमि प्रतिबंधित है, लेकिन कानून में ऐसा कहीं प्रावधान नहीं है कि गोचर की भूमि को विकास के लिए परिवर्तित नहीं कर सकते हैं. प्रदेश में औद्योगिक विकास आवश्यक है. ऐसे में गोचर की जितनी भूमि का उपयोग या परिवर्तन किया जाएगा, उतनी ही भूमि सरकार आरक्षित करने की कार्यवाही शुरू कर चुकी है. महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि ओरण व आगौर की भूमि का ना तो उपयोग किया जा रहा है ना ही इस प्रोजेक्ट के लिए उसका परिवर्तन किया गया है. याचिका में यह गलत व भ्रामक तथ्य पेश किया गया है.

महाधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कानून के अनुसार वेस्टिंग लैंड प्राधिकरण की प्रोपर्टी रहेगी और वो उसका उपयोग कर सकते हैं. औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने प्राधिकरण का गठन किया है और प्राधिकरण को जिला कलेक्टर पाली द्वारा जो भूमि आवंटित की गई है उसमें किसी प्रकार से कानून का उल्लंघन या अति नहीं की गई है. विकास जितना आवश्यक है उतने ही कानून की मर्यादा भी आवश्यक है.

पढ़ेंः Devi Singh Bhati Wrote to CM : गोचर भूमि पर अतिक्रमण के नियमन के खिलाफ विधानसभा सत्र के दौरान एक गौ सेवक करेगा देह त्याग

कोर्ट में याचिका खारिजः एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस रेखा बोराणा ने सभी तथ्यों पर लम्बी बहस सुनने के बाद पूर्व में निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे शुक्रवार को प्रनाउंस किया गया. कोर्ट ने अपने निर्णय में सभी तथ्यो को देखते हुए याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार व जेपीएमआईए विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत दी है.

जोधपुर. राजस्थान में दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर के तहत जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र (JPMIA) के लिए राह आसान हो गई है. राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कहा कि औद्योगिक विकास के लिए गोचर भूमि को परिवर्तित किया जा सकता है. उसके बदले में उतनी ही भूमि अन्यत्र आरक्षित करनी होगी. कार्यवाहक सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने पप्पापुरी व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह अहम आदेश पारित किया है.

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका पेश कर बताया था कि पाली जिले की रोहट तहसील के राजस्व ग्राम डूंगरपुर, सिणगारी, ढूंढली, दूदली, निम्बली पटेलान, निम्बली ब्राहम्णान, दानासनी, रोहट व दलपतगढ़ के आसपास की ओरण, गोचर व आगौर की भूमि जोधपुर पाली मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण को दी गई है. इसको लेकर पाली जिला कलेक्टर ने 16 दिसम्बर, 2020 को आदेश जारी किया है उसे निरस्त किया जाए. याचिका में यह भी कहा गया कि गोचर भूमि प्रतिबंधित है और पंचायतों के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है. उसे जेपीएमआईए के लिए नहीं दी जा सकती है.

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यह कहा सरकार नेः सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने याचिका का जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर सेंट्रल की महत्ती योजना है और उसमें राजस्थान में पांच स्थानों पर हब बनाए जाएंगे. राजस्थान में रोजगार सहित सभी क्षेत्रों में राहत मिलेगी. राजस्थान में पहले चरण में जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र यानी जेपीएमआईए का नाम दिया गया है. जिसके विकास के लिए 12 अक्टूबर, 2020 को जोधपुर-पाली-मारवाड़ औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है, जिसमें समस्त शक्तियां निहित होगी.

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याचिका में कहा गया कि गोचर की भूमि प्रतिबंधित है, लेकिन कानून में ऐसा कहीं प्रावधान नहीं है कि गोचर की भूमि को विकास के लिए परिवर्तित नहीं कर सकते हैं. प्रदेश में औद्योगिक विकास आवश्यक है. ऐसे में गोचर की जितनी भूमि का उपयोग या परिवर्तन किया जाएगा, उतनी ही भूमि सरकार आरक्षित करने की कार्यवाही शुरू कर चुकी है. महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि ओरण व आगौर की भूमि का ना तो उपयोग किया जा रहा है ना ही इस प्रोजेक्ट के लिए उसका परिवर्तन किया गया है. याचिका में यह गलत व भ्रामक तथ्य पेश किया गया है.

महाधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि कानून के अनुसार वेस्टिंग लैंड प्राधिकरण की प्रोपर्टी रहेगी और वो उसका उपयोग कर सकते हैं. औद्योगिक विकास के लिए सरकार ने प्राधिकरण का गठन किया है और प्राधिकरण को जिला कलेक्टर पाली द्वारा जो भूमि आवंटित की गई है उसमें किसी प्रकार से कानून का उल्लंघन या अति नहीं की गई है. विकास जितना आवश्यक है उतने ही कानून की मर्यादा भी आवश्यक है.

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कोर्ट में याचिका खारिजः एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस रेखा बोराणा ने सभी तथ्यों पर लम्बी बहस सुनने के बाद पूर्व में निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे शुक्रवार को प्रनाउंस किया गया. कोर्ट ने अपने निर्णय में सभी तथ्यो को देखते हुए याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार व जेपीएमआईए विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत दी है.

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