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अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट पहुंची अनाथ दलित युवती, अदालत ने सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए 19 वर्षीय अनाथ दलित युवती की दायर रिट याचिका पर सुनवाई की. इसपर अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राजस्थान हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 6, 2024, 6:58 AM IST

जोधपुर. महज दो वर्ष की आयु में मां और फिर 18 वर्ष की आयु में पिता को खोने का सदमा झेल रही दलित युवती को राज्य सरकार ने भी सहारा देने से इनकार कर दिया. विशेष परिस्थितियों के बावजूद माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से नियमों की संकीर्ण व्याख्या कर अनुकम्पात्मक नियुक्ति का आवेदन खारिज किए जाने पर अनाथ युवती ने रिट याचिका दायर कर राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो न्यायाधीश अरुण मोंगा ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

विभाग ने यह कहते हुआ किया इनकार: जोधपुर जिले के पीपाड़ सिटी निवासी 19 वर्षीय अनुसूचित जाति वर्ग की दलित युवती गुनगुन की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने रिट याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता के पिता ने वर्ष 2006 में याचिकाकर्ता की माता की असामयिक मृत्यु होने पर वर्ष 2008 में राजकीय सेवा में कार्यरत महिला से पुनर्विवाह किया था. वर्ष 2022 में सेवाकाल के दौरान याचिकाकर्ता के पिता की भी असामयिक मृत्यु होने पर याचिकाकर्ता अनाथ और बेसहारा हो गई. ऐसे में उसने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जिसे विभाग ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि याचिकाकर्ता की जीवित माता के राजकीय सेवा में नियोजित होने से उन्हें अनुकम्पात्मक नियुक्ति नहीं मिलेगी.

पढ़ें. नगरीय बस सेवा बंद करने पर दायर याचिका पर नोटिस, कोर्ट ने नहीं दी याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने तर्क दिया कि राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 का उद्देश्य राज्य कर्मचारी के असामयिक निधन पर उनके आश्रितों में से किसी एक को राजकीय सेवा में नियोजित कर मृतक के सभी पारिवारिक सदस्यों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है. हालांकि, नियम-5 के अनुसार ऐसा नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होता है, जहां पति, पत्नी, पुत्र या अविवाहित पुत्री पहले से राजकीय सेवा में नियोजित हों, लेकिन इसी नियम का उपनियम यह भी अपेक्षा करता है कि अनुकम्पात्मक आधार पर नियुक्त कार्मिक मृतक आश्रित अन्य सदस्यों का भरण-पोषण करने के लिए वचनबद्ध रहेगा.

मृतक कार्मिक के सभी आश्रितों का भरण-पोषण उक्त नियम का समग्र उद्देश्य है. याचिकाकर्ता की सौतेली माता ने याचिकाकर्ता को न तो दत्तक ग्रहण किया है और न ही वह उसका भरण-पोषण करने के लिए तत्पर है. वह अपने पुत्र के साथ अपना स्वतंत्र जीवन जी रही है. ऐसे में याचिकाकर्ता के लिए जीवनयापन का संकट खड़ा हो गया है. राजकीय सेवा में पहले से चयनित पत्नी और याचिकाकर्ता अविवाहित पुत्री दोनों एक ही परिवार की दो अलग-अलग इकाई के सदस्य होने की विशेष परिस्थितयों वाले इस प्रकरण में अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नियम-5 की संकीर्ण नहीं बल्कि उदार व्याख्या किए जाने की आवश्यकता है.

इनको जारी हुए नोटिस : प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण मोंगा ने राज्य सरकार के माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव, निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय), जिला-पाली, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक-सोजत और राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, देवलीकलां के प्रधानाचार्य को नोटिस जारी कर 20 फरवरी तक जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

जोधपुर. महज दो वर्ष की आयु में मां और फिर 18 वर्ष की आयु में पिता को खोने का सदमा झेल रही दलित युवती को राज्य सरकार ने भी सहारा देने से इनकार कर दिया. विशेष परिस्थितियों के बावजूद माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से नियमों की संकीर्ण व्याख्या कर अनुकम्पात्मक नियुक्ति का आवेदन खारिज किए जाने पर अनाथ युवती ने रिट याचिका दायर कर राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो न्यायाधीश अरुण मोंगा ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

विभाग ने यह कहते हुआ किया इनकार: जोधपुर जिले के पीपाड़ सिटी निवासी 19 वर्षीय अनुसूचित जाति वर्ग की दलित युवती गुनगुन की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने रिट याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत याचिकाकर्ता के पिता ने वर्ष 2006 में याचिकाकर्ता की माता की असामयिक मृत्यु होने पर वर्ष 2008 में राजकीय सेवा में कार्यरत महिला से पुनर्विवाह किया था. वर्ष 2022 में सेवाकाल के दौरान याचिकाकर्ता के पिता की भी असामयिक मृत्यु होने पर याचिकाकर्ता अनाथ और बेसहारा हो गई. ऐसे में उसने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जिसे विभाग ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि याचिकाकर्ता की जीवित माता के राजकीय सेवा में नियोजित होने से उन्हें अनुकम्पात्मक नियुक्ति नहीं मिलेगी.

पढ़ें. नगरीय बस सेवा बंद करने पर दायर याचिका पर नोटिस, कोर्ट ने नहीं दी याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने तर्क दिया कि राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 का उद्देश्य राज्य कर्मचारी के असामयिक निधन पर उनके आश्रितों में से किसी एक को राजकीय सेवा में नियोजित कर मृतक के सभी पारिवारिक सदस्यों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है. हालांकि, नियम-5 के अनुसार ऐसा नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होता है, जहां पति, पत्नी, पुत्र या अविवाहित पुत्री पहले से राजकीय सेवा में नियोजित हों, लेकिन इसी नियम का उपनियम यह भी अपेक्षा करता है कि अनुकम्पात्मक आधार पर नियुक्त कार्मिक मृतक आश्रित अन्य सदस्यों का भरण-पोषण करने के लिए वचनबद्ध रहेगा.

मृतक कार्मिक के सभी आश्रितों का भरण-पोषण उक्त नियम का समग्र उद्देश्य है. याचिकाकर्ता की सौतेली माता ने याचिकाकर्ता को न तो दत्तक ग्रहण किया है और न ही वह उसका भरण-पोषण करने के लिए तत्पर है. वह अपने पुत्र के साथ अपना स्वतंत्र जीवन जी रही है. ऐसे में याचिकाकर्ता के लिए जीवनयापन का संकट खड़ा हो गया है. राजकीय सेवा में पहले से चयनित पत्नी और याचिकाकर्ता अविवाहित पुत्री दोनों एक ही परिवार की दो अलग-अलग इकाई के सदस्य होने की विशेष परिस्थितयों वाले इस प्रकरण में अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के समग्र उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नियम-5 की संकीर्ण नहीं बल्कि उदार व्याख्या किए जाने की आवश्यकता है.

इनको जारी हुए नोटिस : प्रारम्भिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश अरुण मोंगा ने राज्य सरकार के माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव, निदेशक, जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय), जिला-पाली, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक-सोजत और राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, देवलीकलां के प्रधानाचार्य को नोटिस जारी कर 20 फरवरी तक जवाब पेश करने का आदेश दिया है.

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