जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोविड-19 की ड्यूटी के दौरान ह्रदयाघात से निधन होने पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज योजना में डेथ क्लेम को लेकर पीड़िता की ओर से दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए तीन माह में डेथ क्लेम देने के आदेश दिए हैं. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की एकलपीठ के समक्ष मृतक राजेश माली की पत्नि सुशीला की ओर से याचिका दायर की गई थी.
याचिकाकर्ता महिला की ओर से अधिवक्ता लक्ष्यसिंह उदावत ने पैरवी करते हुए बताया कि याचिकाकर्ता महिला का पति राजेश कुमार माली एक नर्सिंग अधिकारी थे और अनुबंध के आधार पर कोविड की गहन चिकित्सा इकाई आईसीयू एम्स जोधपुर में ड्यूटी दे रहे थे. इस दौरान राजेश कुमार कोविड-19 के मरीजों के सीधे सम्पर्क में आ गए और 6 अप्रेल 2021 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई. भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 3 अप्रैल 2020 को कोविड-19 से लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज नामक बीमा योजना में शामिल किया है. पति की मौत के बाद इसी बीमा राशि के क्लेम के लिए मृतक की पत्नी ने 50 लाख रुपए के मुआवजे का दावा किया, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं राजस्थान सरकार के निदेशक ने 24 जनवरी 2022 को दावे को खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट से यह साबित नहीं होता है कि मृतक की मौत कोविड-19 की ड्यूटी के कारण या दुर्घटनावश हुई है.
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3 माह में हो आदेश की पालना : इसके बाद मृतक की पत्नी ने निदेशक के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी. केन्द्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसीटर जनरल मुकेश राजपुरोहित, राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा व इंश्योरेंस कम्पनी की ओर से अधिवक्ता जगदीश व्यास ने पक्ष रखा. कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को स्वीकार करते हुए माना कि कोविड-19 की वजह से ही मृतक को दिल का दौरा पड़ा था और उनकी मृत्यु हुई थी. ऐसे में पीड़िता को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज योजना में तय मुआवजा राशि का भुगतान आदेश के तीन माह में अदा किया जाए. संभवत: यह राजस्थान का पहला मामला होगा, जिसमें कोविड-19 की वजह से निधन होने पर मुआवजा राशि देने का आदेश दिया गया है.