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Rajasthan assembly Election 2023: जोधपुर में नए चेहरे उतारने में गहलोत ने मारी बाजी, शेखावत रहे पीछे

राजस्थान का चुनावी रण सज गया है. दोनों सियासी दलों ने अपने मोहरों को बिछाने शुरू कर दिया है. जोधपुर में कांग्रेस और बीजेपी से युवाओं को टिकट को लेकर बहुत उम्मीदें थी. वहीं कांग्रेस ने युवाओं को टिकट देकर बाजी मार ली है, जबकि बीजेपी युवाओं को टिकट देने में पीछे रही है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 7, 2023, 4:10 PM IST

Rajasthan assembly Election 2023
जोधपुर का रण

जोधपुर. मरुधरा की 200 सीटों पर चुनाव में रणबांकुरे तय होने के साथ ही दावों का दौर शुरू हो गया है. दोनों सियासी दलों ने चुनावी चौसर में अपनी बिसात बिछा दी है. सामान्यतः कहा जाता है कि भाजपा में युवाओं को ज्यादा मौके मिलते हैं, लेकिन जोधपुर में ठीक उलटा हो रहा है. विधानसभा के 2018 और 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने जोधपुर की दस विधानसभा सीटों में से नौ के चेहरे बदल दिए हैं, जबकि भाजपा बीते चार चुनाव में सिर्फ दो चेहर बदल सकी है.

ये दोनों विधायक भी उम्रदराज होने पर बदले गए हैं. इस बार भाजपा में उम्मीदें थी कि नए लोगों को मौका मिलेगा. पिछले चुनाव में आठ उम्मीदवार चुनाव हार गए थे, लेकिन पार्टी ने युवाओं को पूरी तरह से निराश किया है. बीजेपी ने इस बार एक टिकट बदला वह भी 85 साल की बुजुर्ग विधायक सूर्यकांता व्यास की जगह 64 वर्ष के देवेंद्र जोशी को दिया है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने इस बार चार नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

पढ़ें: 'मेरे हाथों में शादी नहीं सेंट्रल जेल की लकीरें थीं', जानिए दिव्या मदेरणा ने ऐसा क्यों कहा ?

कांग्रेस ने युवाओं को दिया मौका: 2018 में राजस्थान के रण के लिए कांग्रेस ने ओसियां से दिव्या मदेरणा, लूणी से महेंद्र सिंह विश्नोई, फलौदी से महेश व्यास, जोधपुर से मनीषा पंवार को नए युवा चेहरे के रूप में मैदान में उतारा था. इनमें महेश व्यास के अलावा सभी प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहाराया था. महेश व्यास को पार्टी ने इस बार भी मौका दिया है. इसी तरह से पिछले चुनाव में लोहावट से किशनाराम विश्नोई, शेरगढ़ से मीना कंवर और सूरसागर से अयूब खां नए चेहरे थे. सीएम गहलोत ने बिलाड़ा और भोपालगढ़ सुरक्षित सीटों पर प्रयोग करते हुए मोहनराम कटारिया और गीता बरवड़ को मैदान में इस बार उतारा है. ये दोनों पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, फलौदी से प्रकाशचंद छंगाणी को प्रत्याशी बनाया गया है. इस बार सबसे युवा चेहरे के रूप में सूरसागर से 28 साल के शहजाद खान को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है जो अयूब खां के बेटे हैं.

पढ़ें: बबीता फोगाट का प्रियंका गांधी पर निशाना, कहा- 'पोस्टर गर्ल' राजस्थान में बन जाती है लड़का

भाजपा में बदलाव का इंतजार करते रहे युवा: जोधपुर में 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के आठ उम्मीदवार चुनाव हार गए थे. इनमें सात तो लगातार तीन से चार चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट थे. इनमें पहली बार चुनाव लड़ने वाले सिर्फ अतुल भंसाली थे, वे भी हार गए थे. इस बार पार्टी में कई युवाओं को उम्मीद थी कि उनको मौका मिलेगा, लेकिन जिस तरीके से पार्टी ने टिकट वितरण किया उससे सभी के हाथ निराशा ही लगी. पार्टी ने सिर्फ सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास को बदला है. विधायक पब्बाराम विश्नोई को रिपीट किया गया. बाकी आठ सीटों पर सभी हारने वालों को फिर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. सबसे ज्यादा इस बार शेरगढ़ से युवा उम्मीदवार की उम्मीदें थी, लेकिन पार्टी ने पांचवीं बार बाबूसिंह को उतार कर सभी को निराश कर दिया है.

जोधपुर. मरुधरा की 200 सीटों पर चुनाव में रणबांकुरे तय होने के साथ ही दावों का दौर शुरू हो गया है. दोनों सियासी दलों ने चुनावी चौसर में अपनी बिसात बिछा दी है. सामान्यतः कहा जाता है कि भाजपा में युवाओं को ज्यादा मौके मिलते हैं, लेकिन जोधपुर में ठीक उलटा हो रहा है. विधानसभा के 2018 और 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने जोधपुर की दस विधानसभा सीटों में से नौ के चेहरे बदल दिए हैं, जबकि भाजपा बीते चार चुनाव में सिर्फ दो चेहर बदल सकी है.

ये दोनों विधायक भी उम्रदराज होने पर बदले गए हैं. इस बार भाजपा में उम्मीदें थी कि नए लोगों को मौका मिलेगा. पिछले चुनाव में आठ उम्मीदवार चुनाव हार गए थे, लेकिन पार्टी ने युवाओं को पूरी तरह से निराश किया है. बीजेपी ने इस बार एक टिकट बदला वह भी 85 साल की बुजुर्ग विधायक सूर्यकांता व्यास की जगह 64 वर्ष के देवेंद्र जोशी को दिया है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने इस बार चार नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

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कांग्रेस ने युवाओं को दिया मौका: 2018 में राजस्थान के रण के लिए कांग्रेस ने ओसियां से दिव्या मदेरणा, लूणी से महेंद्र सिंह विश्नोई, फलौदी से महेश व्यास, जोधपुर से मनीषा पंवार को नए युवा चेहरे के रूप में मैदान में उतारा था. इनमें महेश व्यास के अलावा सभी प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहाराया था. महेश व्यास को पार्टी ने इस बार भी मौका दिया है. इसी तरह से पिछले चुनाव में लोहावट से किशनाराम विश्नोई, शेरगढ़ से मीना कंवर और सूरसागर से अयूब खां नए चेहरे थे. सीएम गहलोत ने बिलाड़ा और भोपालगढ़ सुरक्षित सीटों पर प्रयोग करते हुए मोहनराम कटारिया और गीता बरवड़ को मैदान में इस बार उतारा है. ये दोनों पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, फलौदी से प्रकाशचंद छंगाणी को प्रत्याशी बनाया गया है. इस बार सबसे युवा चेहरे के रूप में सूरसागर से 28 साल के शहजाद खान को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है जो अयूब खां के बेटे हैं.

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भाजपा में बदलाव का इंतजार करते रहे युवा: जोधपुर में 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के आठ उम्मीदवार चुनाव हार गए थे. इनमें सात तो लगातार तीन से चार चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट थे. इनमें पहली बार चुनाव लड़ने वाले सिर्फ अतुल भंसाली थे, वे भी हार गए थे. इस बार पार्टी में कई युवाओं को उम्मीद थी कि उनको मौका मिलेगा, लेकिन जिस तरीके से पार्टी ने टिकट वितरण किया उससे सभी के हाथ निराशा ही लगी. पार्टी ने सिर्फ सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास को बदला है. विधायक पब्बाराम विश्नोई को रिपीट किया गया. बाकी आठ सीटों पर सभी हारने वालों को फिर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. सबसे ज्यादा इस बार शेरगढ़ से युवा उम्मीदवार की उम्मीदें थी, लेकिन पार्टी ने पांचवीं बार बाबूसिंह को उतार कर सभी को निराश कर दिया है.

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