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सरदारपुरा है सीएम गहलोत का 'तिलिस्म', इसे 25 साल में नहीं भेद पाई भाजपा

BJP Status in Sardarpura, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ जोधपुर का सरदारपुरा ऐसा 'किला' है, जिसे भाजपा ढाई दशक में भेद नहीं पाई है. इस क्षेत्र के 10 फीसदी बूथ ऐसे हैं, जहां भाजपा को 3, 4 वोट ही मिले थे. पढ़िए कैसे अशोक गहलोत ने पिछले 25 साल से इस सीट पर मजबूत पकड़ बना रखी है.

Rajasthan assembly Election 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 31, 2023, 8:34 PM IST

Updated : Dec 1, 2023, 5:21 PM IST

सरदारपुरा से गहलोत की जीत का तिलिस्म

जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरदारपुरा से इस बार छठवीं बार विधायक का चुनाव लड़ेंगे. लगातार 25 साल से वह यहां से विधायक हैं. कहा जाता है सरदारपुरा गहलोत का अभेद किला है, जिसे भाजपा तमाम प्रयासों के बावजूद ढाई दशक में भेद नहीं पाई है. इसकी वजह है अशोक गहलोत की उनके क्षेत्र में लोगों में पकड़ और विश्वास. 200 से ज्यादा पोलिंग बूथ वाले सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में 10 फिसदी से ज्यादा बूथ ऐसे हैं, जिनसे गहलोत की जीत सुनिश्चित हो जाती है.

जीत के इस तिलिस्म को तोड़ नहीं सकी बीजेपी : दरअसल, सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र माली जाति का गढ़ है. गहलोत भी इसी जाति से आते हैं. जब वे खुद चुनाव लड़ते हैं तो अधिकांश माली उनके समर्थन में मतदान करते हैं. मंडोर के क्षेत्र के ऐसे बूथों पर गहलोत के पक्ष में एकतरफा वोटिंग होती है. इसी तरह से ऐसे अल्पसंख्यकों के बूथ भी हैं, जहां गहलोत के पक्ष में ही वोटिंग होती है. इसकी पूर्ति भाजपा कहीं से भी पूरा नहीं कर पाती है. इन बूथों पर भाजपा के प्रत्याशी को इकाई और दहाई के आंकड़े तक समेट दिया जाता है. गहलोत इन बूथों से निर्णायक बढ़त लेते हैं, जिसके बूते वे जीत दर्ज करते हैं. यह सिलसिला साल 1999 से चल रहा है. भाजपा सीएम अशोक गहलोत की जीत के इस तिलिस्म को तोड़ नहीं सकी है.

Rajasthan assembly Election 2023
इन बूथों पर भाजपा इकाई-दहाई में सिमटी

पढ़ें. RAJASTHAN SEAT SCAN: सरदारपुरा में चलती है गहलोत की 'सरदारी', प्रदेश के राजनीतिक समीकरण का नहीं यहां असर

2018 में 25 बूथ में एकतरफा पोलिंग : गत विधानसभा चुनाव में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में 207 मतदान केंद्र थे. इनमें 25 बूथ ऐसे थे, जिनमें भाजपा इकाई और दहाई में सिमट गई. इनमें बूथ नंबर 90, 176 और 184 ऐसे थे, जिनमें भाजपा को 9, 3 और 3 मत ही मिले. इसके अलावा बाकी के 23 बूथों में भाजपा प्रत्याशी को 99 से ज्यादा मत नहीं मिले. इन 25 बूथों से अशोक गहलोत को 18628 मत मिले, जबकि भाजपा के उम्मीदवार शंभूसिंह खेतासर को 1106 ही मिले. इससे पहले 2013 में 21 बूथों पर इस तरह की वोटिंग हुई थी, लेकिन 2008 में जब भाजपा से राजेंद्र गहलोत ने चुनाव लड़ा तो यह संख्या 13 रह गई थी.

अब तक 12 चुनाव, दस जीते : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सक्रिय राजनीति में आज तक अपना पहला विधायक का चुनाव साल 1977 में हारा था. इसके बाद 1998 में राजस्थान की राजनीति में वापसी करते हुए गहलोत मुख्यमंत्री बने. साल 1999 में सरदारपुरा से उपचुनाव जीता था, तब से लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हो रहे हैं. पूर्व में गहलोत ने साल 1980 से 1998 तक 6 बार सांसद का चुनाव लड़ा, जिसमें वे पांच बार निर्वाचित हुए थे.

सरदारपुरा से गहलोत की जीत का तिलिस्म

जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरदारपुरा से इस बार छठवीं बार विधायक का चुनाव लड़ेंगे. लगातार 25 साल से वह यहां से विधायक हैं. कहा जाता है सरदारपुरा गहलोत का अभेद किला है, जिसे भाजपा तमाम प्रयासों के बावजूद ढाई दशक में भेद नहीं पाई है. इसकी वजह है अशोक गहलोत की उनके क्षेत्र में लोगों में पकड़ और विश्वास. 200 से ज्यादा पोलिंग बूथ वाले सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में 10 फिसदी से ज्यादा बूथ ऐसे हैं, जिनसे गहलोत की जीत सुनिश्चित हो जाती है.

जीत के इस तिलिस्म को तोड़ नहीं सकी बीजेपी : दरअसल, सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र माली जाति का गढ़ है. गहलोत भी इसी जाति से आते हैं. जब वे खुद चुनाव लड़ते हैं तो अधिकांश माली उनके समर्थन में मतदान करते हैं. मंडोर के क्षेत्र के ऐसे बूथों पर गहलोत के पक्ष में एकतरफा वोटिंग होती है. इसी तरह से ऐसे अल्पसंख्यकों के बूथ भी हैं, जहां गहलोत के पक्ष में ही वोटिंग होती है. इसकी पूर्ति भाजपा कहीं से भी पूरा नहीं कर पाती है. इन बूथों पर भाजपा के प्रत्याशी को इकाई और दहाई के आंकड़े तक समेट दिया जाता है. गहलोत इन बूथों से निर्णायक बढ़त लेते हैं, जिसके बूते वे जीत दर्ज करते हैं. यह सिलसिला साल 1999 से चल रहा है. भाजपा सीएम अशोक गहलोत की जीत के इस तिलिस्म को तोड़ नहीं सकी है.

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इन बूथों पर भाजपा इकाई-दहाई में सिमटी

पढ़ें. RAJASTHAN SEAT SCAN: सरदारपुरा में चलती है गहलोत की 'सरदारी', प्रदेश के राजनीतिक समीकरण का नहीं यहां असर

2018 में 25 बूथ में एकतरफा पोलिंग : गत विधानसभा चुनाव में सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र में 207 मतदान केंद्र थे. इनमें 25 बूथ ऐसे थे, जिनमें भाजपा इकाई और दहाई में सिमट गई. इनमें बूथ नंबर 90, 176 और 184 ऐसे थे, जिनमें भाजपा को 9, 3 और 3 मत ही मिले. इसके अलावा बाकी के 23 बूथों में भाजपा प्रत्याशी को 99 से ज्यादा मत नहीं मिले. इन 25 बूथों से अशोक गहलोत को 18628 मत मिले, जबकि भाजपा के उम्मीदवार शंभूसिंह खेतासर को 1106 ही मिले. इससे पहले 2013 में 21 बूथों पर इस तरह की वोटिंग हुई थी, लेकिन 2008 में जब भाजपा से राजेंद्र गहलोत ने चुनाव लड़ा तो यह संख्या 13 रह गई थी.

अब तक 12 चुनाव, दस जीते : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सक्रिय राजनीति में आज तक अपना पहला विधायक का चुनाव साल 1977 में हारा था. इसके बाद 1998 में राजस्थान की राजनीति में वापसी करते हुए गहलोत मुख्यमंत्री बने. साल 1999 में सरदारपुरा से उपचुनाव जीता था, तब से लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हो रहे हैं. पूर्व में गहलोत ने साल 1980 से 1998 तक 6 बार सांसद का चुनाव लड़ा, जिसमें वे पांच बार निर्वाचित हुए थे.

Last Updated : Dec 1, 2023, 5:21 PM IST
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