जोधपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को जोधपुर में सिविल एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के भवन का शिलान्यास करने के लिए आएंगे. इस बीच शहर के प्रमुख बुद्धिजीवी वर्ग ने जोधपुर के एयरपोर्ट का नाम महाराजा उम्मेद सिंह के नाम से नामकरण करने की मांग की है.
मारवाड़ नागरिक मंच के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एनएम माथुर, पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण सिंह माणकलाव, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डा ओपीएन कल्ला, शहर के उद्योगपति रवि अग्रवाल, कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एलएन हर्ष और शरद भंडारी ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर बताया कि आधुनिक जोधपुर के निर्माता महाराजा उम्मेद सिंह ने ही राजस्थान में एविएशन की नींव रखी थी.
उन्होंने उड्डयन क्षेत्र को अपने कार्यकाल में इतना विकसित किया था कि जोधपुर से आजादी से पहले ही अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट का संचालन होता था. राजस्थान सहित देश के अन्य हिस्सों के लिए घरेलू उड़ते भी यहां से संचालित होती थी. इतना ही नहीं जोधपुर के लोगों को शहर दिखाने के लिए 5 रुपए में हवाई यात्रा करवाई जाती थी. उन्होंने 1931 में जोधपुर फ्लाइंग क्लब की स्थापना की. उस समय जोधपुर रियासत के पास खुद के विमान थे. इसको लेकर हमारे प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को ज्ञापन भी दिया है.
1924 में बनाई पहली हवाई पट्टी: महाराजा उम्मेद सिंह को हवाई जहाज का शौक था. उन्होंने 1924 में ही अपने क्षेत्र में हवाई पट्टियां बनवानी शुरू दी थीं. साथ ही जोधपुर में हवाई अड्डा विकसित किया. दूसरा उत्तरलाई में बनाया. आज यह दोनों ही भारतीय वायु सेना के सबसे मजबूत एअरबेस हैं. रियासत काल में जब उन्होंने 24 हवाई पट्टियां बनाई, तो अंग्रेजो को उन्हें रेाकना पड़ा. अंग्रेजों ने जब रॉयल एयरफोर्स बनाई तो उम्मेद सिंह को एयर चीफ मार्शल बनाया गया था.
1936 में इंटरनेशनल एअरपोर्ट: जोधपुर का एयरपोर्ट दुनिया में जोधपुर फ्लाइंग क्लब के नाम से मशहूर था. भारत के गिनती के एयरपोर्ट में से एक जोधपुर का था. यहां 1936 में इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू हुई. जोधपुर से लंदन, पेरिस, कराची, रंगून, सिंगापुर, जर्काता और जापान तक चलती थी. एयर फ्रांस, डीकेएलएम एयरलाइंस और इंडियन ट्रांसकोन्टिनेंटल एयरवेज शामिल थीं. मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट में दर्ज जानकारी के अनुसार 1936 में जोधपुर एयरपोर्ट पर 761 प्लेन की लैडिंग हुई थी.