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Rajasthan Jat Politics : OBC आरक्षण का मुद्दा धुर विरोधियों को मिलाएगा या दूरी रहेगी बरकरार ?

राजस्थान में ओबीसी आरक्षण विसंगति को लेकर राजनीति चरम पर है, खासकर जाट पॉलिटिक्स. हरीश चौधरी ने तो मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है. इस मामले में बेनीवाल और दिव्या मदेरणा भी मुखर हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह मुद्दा धुर विरोधियों को मिलाएगा या दूरी बरकरार रहेगी ?

OBC Reservation Discrepancy Issue
राजस्थान के जाट नेता...
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Published : Nov 17, 2022, 9:21 PM IST

जोधपुर. ओबीसी आरक्षण की विसंगति को लेकर सर्वाधिक मुखर वो जाट नेता हो रहे हैं, जो मारवाड़ से आते हैं. इसकी वजह यह है कि मारवाड़ की राजनीति में ओबीसी वोट बैंक सबसे बड़ा निर्णायक फैक्टर होता है. जिसके चलते (Jat Leaders on OBC Reservation) हर कोई अपना कद बढ़ाने में लगा है. पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने इसकी शुरुआत की, इसके बाद ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने इसका समर्थन किया. हाल ही में रालोपा सांसद हनुमान बेनीवाल भी इसमें कूद गए. सब इसका श्रेय लेना चाहते हैं.

ऐसे में क्या आने वाले समय में इस मुद्दे पर यह सभी धुर विरोधी एक होंगे ? ऐसी संभावना इसलिए है कि जब बुधवार को हरीश चौधरी ने कहा था कि वे अपनी लड़ाई लड़ लेंगे, इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करें. इसके बाद बेनीवाल के ट्विटर हैंडल पर सोमवार को जो ट्वीट किए गए थे वो नजर नहीं आए हैं. जबकि इससे पहले बेनीवाल ने हरीश चौधरी द्वारा शुरू किए गए आरक्षण के आंदोलन की मंशा पर सवाल उठाया. बेनीवाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से चौधरी पर हमला बोला. जिसके बाद चौधरी और बेनीवाल के बयानों से तो आपस में संघर्ष की स्थिति भी बन गई थी.

बायतु में एक सभा के दौरान हरीश चौधरी...

चौधरी ने अपील भी की और जवाब भी दिया : हरीश चौधरी ने बायतू में आयोजित एक सभा में हनुमान बेनीवाल से अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति मत करो. यह किसी जाति नहीं, पूरे ओबीसी वर्ग का मामला है. ओबीसी आरक्षण में विसंगतियों में विवाद व राजनीति कर मुद्दे को भटकाने व कमजोर करने के लिए साजिश का हिस्सा मत बनो. हम राजनीतिक लड़ाई दूसरे तरीके से लड़ लेंगे. यह प्रदेश के लाखों युवाओ के भविष्य का सवाल है. साथ ही हनुमान बेनीवाल द्वारा जाट आरक्षण आंदोलन के समय चौधरी को लेकर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जाट आरक्षण के समय जो अगुवाई कर रहे थे, उनमें विजय पूनिया, राजाराम मील, एडवोकेट डालूराम चौधरी व सोनाराम थे. उनसे पूछना कि हरीश चौधरी उस दौरान विरोध में था या पक्ष में. गलत-सही तय करना लोकतंत्र में हर किसी को अधिकार है.

हमारी नहीं बनती तो नहीं बनती : बायतू में हरीश चौधरी ने आरक्षण आंदोलन को लेकर 30 सितंबर को की गई घोषणा पूरी नहीं होने को लेकर मेरे पर आरोप लगाए गए. लेकिन मैं चुप रहा हूं. बेनीवाल का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि हमारी नहीं बनती है तो नहीं बनती है. आगे किसी मोड़ पर (Harish Chaudhary Appeal to Hanuman Beniwal) बनेगी तो किसी से पूछेंगे नहीं. अमेरिका और वियतनाम में नहीं बनी थी, जब बनी तो किसी से पूछा नहीं था. जब सहमति बनेगी तो बन जाएगी, लेकिन हमारी असहमति को किसी विवाद में कोई और इस्तेमाल करे, यह नहीं होना चाहिए.

दिव्या ने भी उठाई आवाज : ओबीसी आरक्षण की विसंगति दूर करवाने के लिए हरीश चौधरी के बाद मारवाड़ में दिव्या मदेरणा ने आवाज उठाई थी. दिव्या मदेरणा ने जयपुर में आयोजित प्रदर्शन में भी भाग लिया था. मुख्यमंत्री को इसको लेकर पत्र भी लिखा, जिसमें तंज कसा था कि क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है. यूं कहें तो दिव्या मदेरणा ने हरीश चौधरी का एक तरह से समर्थन कर उनकी आवाज को मजबूत किया था.

पढ़ें : Exclusive : OBC विसंगति मामले को डेफर करने के लिए CM गहलोत जिम्मेदार : हरीश चौधरी

बेनीवाल व चौधरी में खींचतान : हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. नागौर के अलावा जोधपुर व बाड़मेर उनके बडे़ केंद्र हैं. बाड़मेर में उनके सबसे बड़ी बाधा हरीश चौधरी है, जिसके चलते वे लगातार उन पर हमलावर रहे हैं. कमलेश प्रजापति एनकाउंटर में भी उनका नाम घसीटा गया. बेनीवाल व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के काफिले पर जब 2019 में हमला हुआ था, तब भी चौधरी पर आरोप लगा. लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के निर्देश पर हाल ही में एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें हरीश चौधरी का भी नाम है.

दिव्या-बेनीवाल में भी 36 का आंकड़ा : ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा और हनुमान बे​नीवाल के बीच भी 36 का आंकड़ा है. दोनों ने गत दिनों एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी की थी. दिव्या मदेरणा तो बेनीवाल के गृह क्षेत्र खींवसर गई थीं और बयान दिया था कि यहां का राजनीतिक पारा नापने आई हूं. इसको लेकर बेनीवाल ने भी यहां तक कहा था कि (Beniwal Targets Divya Maderna) ओसियां में मेरी पार्टी का उम्मीदवार होता तो परिणाम कुछ और होता. बेनीवाल ने इसके बाद दिव्या मदेरणा को शादी करने की भी सलाह दी थी.

जोधपुर. ओबीसी आरक्षण की विसंगति को लेकर सर्वाधिक मुखर वो जाट नेता हो रहे हैं, जो मारवाड़ से आते हैं. इसकी वजह यह है कि मारवाड़ की राजनीति में ओबीसी वोट बैंक सबसे बड़ा निर्णायक फैक्टर होता है. जिसके चलते (Jat Leaders on OBC Reservation) हर कोई अपना कद बढ़ाने में लगा है. पूर्व मंत्री हरीश चौधरी ने इसकी शुरुआत की, इसके बाद ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने इसका समर्थन किया. हाल ही में रालोपा सांसद हनुमान बेनीवाल भी इसमें कूद गए. सब इसका श्रेय लेना चाहते हैं.

ऐसे में क्या आने वाले समय में इस मुद्दे पर यह सभी धुर विरोधी एक होंगे ? ऐसी संभावना इसलिए है कि जब बुधवार को हरीश चौधरी ने कहा था कि वे अपनी लड़ाई लड़ लेंगे, इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करें. इसके बाद बेनीवाल के ट्विटर हैंडल पर सोमवार को जो ट्वीट किए गए थे वो नजर नहीं आए हैं. जबकि इससे पहले बेनीवाल ने हरीश चौधरी द्वारा शुरू किए गए आरक्षण के आंदोलन की मंशा पर सवाल उठाया. बेनीवाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से चौधरी पर हमला बोला. जिसके बाद चौधरी और बेनीवाल के बयानों से तो आपस में संघर्ष की स्थिति भी बन गई थी.

बायतु में एक सभा के दौरान हरीश चौधरी...

चौधरी ने अपील भी की और जवाब भी दिया : हरीश चौधरी ने बायतू में आयोजित एक सभा में हनुमान बेनीवाल से अपील करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति मत करो. यह किसी जाति नहीं, पूरे ओबीसी वर्ग का मामला है. ओबीसी आरक्षण में विसंगतियों में विवाद व राजनीति कर मुद्दे को भटकाने व कमजोर करने के लिए साजिश का हिस्सा मत बनो. हम राजनीतिक लड़ाई दूसरे तरीके से लड़ लेंगे. यह प्रदेश के लाखों युवाओ के भविष्य का सवाल है. साथ ही हनुमान बेनीवाल द्वारा जाट आरक्षण आंदोलन के समय चौधरी को लेकर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जाट आरक्षण के समय जो अगुवाई कर रहे थे, उनमें विजय पूनिया, राजाराम मील, एडवोकेट डालूराम चौधरी व सोनाराम थे. उनसे पूछना कि हरीश चौधरी उस दौरान विरोध में था या पक्ष में. गलत-सही तय करना लोकतंत्र में हर किसी को अधिकार है.

हमारी नहीं बनती तो नहीं बनती : बायतू में हरीश चौधरी ने आरक्षण आंदोलन को लेकर 30 सितंबर को की गई घोषणा पूरी नहीं होने को लेकर मेरे पर आरोप लगाए गए. लेकिन मैं चुप रहा हूं. बेनीवाल का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि हमारी नहीं बनती है तो नहीं बनती है. आगे किसी मोड़ पर (Harish Chaudhary Appeal to Hanuman Beniwal) बनेगी तो किसी से पूछेंगे नहीं. अमेरिका और वियतनाम में नहीं बनी थी, जब बनी तो किसी से पूछा नहीं था. जब सहमति बनेगी तो बन जाएगी, लेकिन हमारी असहमति को किसी विवाद में कोई और इस्तेमाल करे, यह नहीं होना चाहिए.

दिव्या ने भी उठाई आवाज : ओबीसी आरक्षण की विसंगति दूर करवाने के लिए हरीश चौधरी के बाद मारवाड़ में दिव्या मदेरणा ने आवाज उठाई थी. दिव्या मदेरणा ने जयपुर में आयोजित प्रदर्शन में भी भाग लिया था. मुख्यमंत्री को इसको लेकर पत्र भी लिखा, जिसमें तंज कसा था कि क्या इसमें भी ब्यूरोक्रेसी भारी पड़ रही है. यूं कहें तो दिव्या मदेरणा ने हरीश चौधरी का एक तरह से समर्थन कर उनकी आवाज को मजबूत किया था.

पढ़ें : Exclusive : OBC विसंगति मामले को डेफर करने के लिए CM गहलोत जिम्मेदार : हरीश चौधरी

बेनीवाल व चौधरी में खींचतान : हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. नागौर के अलावा जोधपुर व बाड़मेर उनके बडे़ केंद्र हैं. बाड़मेर में उनके सबसे बड़ी बाधा हरीश चौधरी है, जिसके चलते वे लगातार उन पर हमलावर रहे हैं. कमलेश प्रजापति एनकाउंटर में भी उनका नाम घसीटा गया. बेनीवाल व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के काफिले पर जब 2019 में हमला हुआ था, तब भी चौधरी पर आरोप लगा. लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के निर्देश पर हाल ही में एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें हरीश चौधरी का भी नाम है.

दिव्या-बेनीवाल में भी 36 का आंकड़ा : ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा और हनुमान बे​नीवाल के बीच भी 36 का आंकड़ा है. दोनों ने गत दिनों एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी की थी. दिव्या मदेरणा तो बेनीवाल के गृह क्षेत्र खींवसर गई थीं और बयान दिया था कि यहां का राजनीतिक पारा नापने आई हूं. इसको लेकर बेनीवाल ने भी यहां तक कहा था कि (Beniwal Targets Divya Maderna) ओसियां में मेरी पार्टी का उम्मीदवार होता तो परिणाम कुछ और होता. बेनीवाल ने इसके बाद दिव्या मदेरणा को शादी करने की भी सलाह दी थी.

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