जोधपुर. पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों की वीरांगनाओं के बीते कई दिनों से जयपुर में चल रहे प्रदर्शन और धरने पर पहली बार राज्य सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह जसोल ने बयान दिया है. जसोल ने कहा है कि राजस्थान सरकार के नियमानुसार वीरांगनाओ और उनके बच्चों को ही नौकरी दे सकते हैं. यह विषय सीआरपीएफ के जवानों से जुड़ा है, जो केंद्र का गृह मंत्रालय देखता है. उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय चाहे तो किसी भी परिजन को नौकरी दे सकता है, यह उनका प्रावधान भी है.
मानवेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय अगर किसी परिजन को नौकरी देता है, तो भी प्रदेश की तरफ से वीरांगना या उसके बच्चे के लिए नौकरी सुरक्षित है. राजस्थान सरकार सिर्फ इनको ही नौकरी दे सकती है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सांसदों को इसके लिए केंद्र में गृह मंत्रालय से अपील करनी चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य है कि पुलमावा के शहीदों के मामले में राजनीति हो रही है. जसोल ने वीरांगनाओ के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर कहा कि जिन्होंने भी ऐसा किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. मैं जल्दी मुख्यमंत्री से मिलकर इसके लिए कहूंगा. किसी भी महिला या वीरांगना के साथ दुर्व्यवहार स्वीकार्य नहीं है.
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शुक्रवार को जोधपुर सर्किट हाउस में मीडिया से बात करते हुए मानवेंद्र सिंह जसोल ने कहा कि मैं खुद इन वीरांगनाओं से मिला हूं. दो वीरांगना चाहती हैं कि उनके देवर को नौकरी मिले, लेकिन यह संभव नहीं है. क्योंकि हमारे प्रावधान वीरांगना और उनके बच्चों को लेकर ही हैं. जसोल ने कहा कि शहीद हेमराज की वीरांगना तीसरी मूर्ति लगाने की मांग कर रही है. जबकि दो मूर्तियां पूर्व में लग चुकी हैं. तीसरी लगाना संभव नहीं है.
पूर्व सैनिक आरक्षण पर देंगे रिपोर्ट: जसोल ने बताया कि राज्य में पूर्व सैनिकों के आरक्षण पर पुरानी व्यवस्था पर रोक लगी है. लेकिन पूर्व सैनिक पुरानी व्यवस्था ही चाहते हैं. जिसको लेकर सलाहकार समिति ने एक रिपोर्ट तैयार की है. यह रिपोर्ट में इसी सप्ताह मुखमंत्री को देने जाऊंगा. उस समय वीरांगनाओ के साथ हुई बदसलूकी को लेकर भी बात करूंगा.