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हर दिन ग्रीन एनर्जी के लिए कुर्बान हो रही हरी खेजड़ी, राज्य वृक्ष को बचाने के लिए अभियान शुरू

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Published : Nov 20, 2022, 6:42 PM IST

Updated : Nov 20, 2022, 10:45 PM IST

राजस्थान के जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर में ग्रीन एनर्जी के लिए स्थापित किए जा रहे सोलर प्लांट्स के लिए खेजड़ियों की बलि ली जा रही (Khejri tree cut down for solar plants in Rajasthan) है. दूसरी ओर खेजड़ी के नए पौधे भी तैयार नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में इस राज्य वृक्ष पर संकट गहरा गया है. ऐसे में जोधपुर में खेजड़ी सहेजो अभियान चलाया जा रहा है.

Khejri trees cut down for solar plants, save Khejri campaign begins in Jodhpur
हर दिन ग्रीन एनर्जी के लिए कुर्बान हो रही हरी खेजड़ी, राज्य वृक्ष को बचाने के लिए अभियान शुरू

जोधपुर. वैकल्पिक उर्जा के मामले में राजस्थान अग्रणी हो रहा है. इसमें सौर उर्जा सबसे आगे है. ग्रीन एनर्जी के लिए प्रदेश के पश्चिमी भूभाग पर हजारों बीघा में सोलर प्लांट लग रहे हैं. लेकिन इस ग्रीन एनर्जी के लिए खेजड़ी कुर्बान हो रही है. इस वर्ष जोधपुर के फलोदी क्षेत्र में हजारों की संख्या में खेजड़ी के पेड़ काट दिए गए. अब बीकानेर में भी ऐसा ही हो रहा है. इसके साथ ही इसका विरोध भी बढ़ रहा है.

खेजड़ी के संरक्षण को लेकर कड़े प्रावधान नहीं हैं. अलबत्ता सोलर प्लांट के लिए एनवायरमेंट क्लीरेंस की बाध्यता नहीं होने का बेजा फायदा उठाया जा रहा है. परेशानी इस बात की है कि बरसों से खेतों में नई खेजड़ी तैयार नहीं हुई है. पुरानी खेजड़ियां ही हैं. अगर समय रहते इसे संरक्षण नहीं दिया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब यह राजस्थान का यह कल्पवृक्ष सिर्फ फोटो में ही देखने को मिलेगा. ऐसे में खेजड़ी बचाने की आवश्यकता है.

खेजड़ी को बचाने के लिए जोधपुर में चला अभियान

पढ़ें: Save Khejri Tree : मारवाड़ में राज्य वृक्ष खेजड़ी पर संकट...कड़े प्रावधान नहीं होने से जमकर हो रही कटाई...अलग नीति बनाने की जरूरत

ट्रैक्टर से कृषि निगल जाती है नई पौध: वन विभाग के पूर्व सीसीएफ रहे डॉ ओमाराम चौधरी बताते हैं कि खेतों में खेजड़ी के बीज उसके नीचे गिरने से उसके आसपास ही दूसरी खेजड़ी पैदा होती थी. लेकिन यह क्रम अब खत्म हो गया है. क्योंकि अब ट्रैक्टर से खेत की बुवाई होती है. जिसमें खेजड़ी के नीचे से ट्रैक्टर में लगे उपकरण से सभी छोटे-मोटे पौध निकल जाते हैं. जबकि पहले जब बैल से जुताई होती थी, तो ऐसे पौधे बच जाते थे. आज उस समय के बचाए हुए पेड़ ही खेतों में मौजूद हैं. ऐसे में जरूरत है लोगों में खेजड़ी की महत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ाए जाने की. किसान इस वृक्ष को अपने खेत के श्रृंगार के रूप में चारों ओर लगाएं जिससे इस कल्पवृक्ष को बचाया जा सकता है.

पढ़ें: Save Khejri Tree: मंदिर की जमीन में राज्य वृक्ष खेजड़ी...काटने की बजाय सुरक्षित रखने का फैसला, बचाने में आएगा लाखों रुपए खर्चा

खेजड़ी सहेजो अभियान: जोधपुर में खेजड़ी बचाने को लेकर अभियान शुरू किया गया (Save Khejri campaign in Jodhpur) है. गहरी फाउंडेशन ने खेजड़ी सहेजो की मुहिम चलाई जा रही है. सेल्फी विथ खेजड़ी अभियान चलाकर सम्मानित किया जाता (Selfie with Khejri campaign) है. साथ ही लोगों को नई खेजड़ी लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. फाउंडेशन के बलदेव गोरा का कहना है कि जिले में सोलर प्लांट के लिए हजारो खेजड़ियां काट दी गई. प्लांट वाले नियमों की अवहेलना करते हैं. जिसके चलते खेजड़ी पर संकट आया है. हम लगातार खेतों में नई खेजड़ी लगाने के प्रयास कर रहे हैं.

पढ़ें: जोधपुर के खेजड़ली में पर्यावरण शहीदों का स्मारक : पेड़ के लिए बलिदान होने वाले 363 लोगों के नाम अंकित

बना रहे है नर्सरी: वन विभाग की नर्सरी में खेजड़ी के पौधे नहीं मिलते हैं. सरकारी स्तर पर इसके प्रयास भी नहीं है. लेकिन गहरी फांउडेशन ने यह बीड़ा उठाया है. फाउंडेशन ने जोधपुर के पास ही एक नर्सरी विकसित की है. जिससे आने वाले दिनों में लोगों को निशुल्क खेजड़ी का पौधा दिया जा सकेगा. बलदेव गोरा बताते हैं कि पश्चिम राजस्थान में जगह-जगह पर अंग्रेजी बबूल पाया जाता है. इसे हटाकर खेजड़ी का पौधरोपण किया जाना चाहिए. हमने सरकार से अगले बजट में इसके प्रावधान करने का सुझाव दिया है.

इस तरह से कारगर खेजड़ी: खेजड़ी कम पानी में भी पनपने वाल वृक्ष है. इसे राज्य वृक्ष का सम्मान मिला हुआ है. हर वर्ष किसान इससे जलाने वाली लकड़ी प्राप्त करता है. इसके अलावा इसके पत्ते से लूंग मिलता है. जो पशुओं के चारे में प्रयुक्त होता है. इसके अलावा इससे प्राप्त होने वाली सांगरी की सब्जी बनती है. सूखी सांगरी बाजार में एक हजार रुपए किलो तक मिलती है. इतना ही नहीं प्रदेश व देश के बाहर भी इसकी मांग रहती है. लेकिन सोलर प्लांट के लिए इसे काटना जैव विविधता के लिए शुभ संकेत नहीं है.

जोधपुर. वैकल्पिक उर्जा के मामले में राजस्थान अग्रणी हो रहा है. इसमें सौर उर्जा सबसे आगे है. ग्रीन एनर्जी के लिए प्रदेश के पश्चिमी भूभाग पर हजारों बीघा में सोलर प्लांट लग रहे हैं. लेकिन इस ग्रीन एनर्जी के लिए खेजड़ी कुर्बान हो रही है. इस वर्ष जोधपुर के फलोदी क्षेत्र में हजारों की संख्या में खेजड़ी के पेड़ काट दिए गए. अब बीकानेर में भी ऐसा ही हो रहा है. इसके साथ ही इसका विरोध भी बढ़ रहा है.

खेजड़ी के संरक्षण को लेकर कड़े प्रावधान नहीं हैं. अलबत्ता सोलर प्लांट के लिए एनवायरमेंट क्लीरेंस की बाध्यता नहीं होने का बेजा फायदा उठाया जा रहा है. परेशानी इस बात की है कि बरसों से खेतों में नई खेजड़ी तैयार नहीं हुई है. पुरानी खेजड़ियां ही हैं. अगर समय रहते इसे संरक्षण नहीं दिया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब यह राजस्थान का यह कल्पवृक्ष सिर्फ फोटो में ही देखने को मिलेगा. ऐसे में खेजड़ी बचाने की आवश्यकता है.

खेजड़ी को बचाने के लिए जोधपुर में चला अभियान

पढ़ें: Save Khejri Tree : मारवाड़ में राज्य वृक्ष खेजड़ी पर संकट...कड़े प्रावधान नहीं होने से जमकर हो रही कटाई...अलग नीति बनाने की जरूरत

ट्रैक्टर से कृषि निगल जाती है नई पौध: वन विभाग के पूर्व सीसीएफ रहे डॉ ओमाराम चौधरी बताते हैं कि खेतों में खेजड़ी के बीज उसके नीचे गिरने से उसके आसपास ही दूसरी खेजड़ी पैदा होती थी. लेकिन यह क्रम अब खत्म हो गया है. क्योंकि अब ट्रैक्टर से खेत की बुवाई होती है. जिसमें खेजड़ी के नीचे से ट्रैक्टर में लगे उपकरण से सभी छोटे-मोटे पौध निकल जाते हैं. जबकि पहले जब बैल से जुताई होती थी, तो ऐसे पौधे बच जाते थे. आज उस समय के बचाए हुए पेड़ ही खेतों में मौजूद हैं. ऐसे में जरूरत है लोगों में खेजड़ी की महत्ता के प्रति जागरूकता बढ़ाए जाने की. किसान इस वृक्ष को अपने खेत के श्रृंगार के रूप में चारों ओर लगाएं जिससे इस कल्पवृक्ष को बचाया जा सकता है.

पढ़ें: Save Khejri Tree: मंदिर की जमीन में राज्य वृक्ष खेजड़ी...काटने की बजाय सुरक्षित रखने का फैसला, बचाने में आएगा लाखों रुपए खर्चा

खेजड़ी सहेजो अभियान: जोधपुर में खेजड़ी बचाने को लेकर अभियान शुरू किया गया (Save Khejri campaign in Jodhpur) है. गहरी फाउंडेशन ने खेजड़ी सहेजो की मुहिम चलाई जा रही है. सेल्फी विथ खेजड़ी अभियान चलाकर सम्मानित किया जाता (Selfie with Khejri campaign) है. साथ ही लोगों को नई खेजड़ी लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. फाउंडेशन के बलदेव गोरा का कहना है कि जिले में सोलर प्लांट के लिए हजारो खेजड़ियां काट दी गई. प्लांट वाले नियमों की अवहेलना करते हैं. जिसके चलते खेजड़ी पर संकट आया है. हम लगातार खेतों में नई खेजड़ी लगाने के प्रयास कर रहे हैं.

पढ़ें: जोधपुर के खेजड़ली में पर्यावरण शहीदों का स्मारक : पेड़ के लिए बलिदान होने वाले 363 लोगों के नाम अंकित

बना रहे है नर्सरी: वन विभाग की नर्सरी में खेजड़ी के पौधे नहीं मिलते हैं. सरकारी स्तर पर इसके प्रयास भी नहीं है. लेकिन गहरी फांउडेशन ने यह बीड़ा उठाया है. फाउंडेशन ने जोधपुर के पास ही एक नर्सरी विकसित की है. जिससे आने वाले दिनों में लोगों को निशुल्क खेजड़ी का पौधा दिया जा सकेगा. बलदेव गोरा बताते हैं कि पश्चिम राजस्थान में जगह-जगह पर अंग्रेजी बबूल पाया जाता है. इसे हटाकर खेजड़ी का पौधरोपण किया जाना चाहिए. हमने सरकार से अगले बजट में इसके प्रावधान करने का सुझाव दिया है.

इस तरह से कारगर खेजड़ी: खेजड़ी कम पानी में भी पनपने वाल वृक्ष है. इसे राज्य वृक्ष का सम्मान मिला हुआ है. हर वर्ष किसान इससे जलाने वाली लकड़ी प्राप्त करता है. इसके अलावा इसके पत्ते से लूंग मिलता है. जो पशुओं के चारे में प्रयुक्त होता है. इसके अलावा इससे प्राप्त होने वाली सांगरी की सब्जी बनती है. सूखी सांगरी बाजार में एक हजार रुपए किलो तक मिलती है. इतना ही नहीं प्रदेश व देश के बाहर भी इसकी मांग रहती है. लेकिन सोलर प्लांट के लिए इसे काटना जैव विविधता के लिए शुभ संकेत नहीं है.

Last Updated : Nov 20, 2022, 10:45 PM IST
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