जयपुर : राजस्थान विधानसभा में 'दादी' शब्द को लेकर गतिरोध जारी है. विपक्ष जहां मंत्री अविनाश गहलोत से माफी मंगवाने की मांग पर अड़ा है. वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि विपक्ष की आपत्ति पर स्पीकर ने इस शब्द को हटाने की व्यवस्था दे दी थी. इसके बाद भी विपक्ष हठधर्मिता का प्रदर्शन कर रहा है. इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर ने कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने स्पीकर पर हमला किया, जिसमें स्पीकर बाल-बाल बच गए. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस विधायकों के खिलाफ प्रस्ताव लाने का फैसला संसदीय कार्यमंत्री और पार्टी करेगी. वहीं, जूली बोले, "मंत्री (अविनाश गहलोत) ने इंदिरा गांधी के लिए कहा कि वो कांग्रेस नेताओं की 'दादी' हैं. हम कह रहे हैं हमारी 'दादी' हैं, लेकिन जिस प्रकार ये शब्दों का प्रयोग करते हैं, वो गलत है. इस पर मंत्री को माफी मांगनी चाहिए."
हम सदन में गाली खाने नहीं आते : मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, "इस लोकतंत्र के मंदिर में किस प्रकार से भाजपा सदन चलाना चाह रही है. हम जनता की बात कहने के लिए आते हैं. किसी की गाली खाने के लिए नहीं आते. यह पहला मौका नहीं है, इससे पहले भी भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पर टिप्पणी की थी. सदन में 7 फरवरी को जब गतिरोध था, तब इन्होंने पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को और उन्हें खुद को गालियां दी. हम फिर भी चुप रहे."
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सत्ता पक्ष नहीं चाहता सदन चले : जूली ने कहा कि "आज जिस प्रकार देश की पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई है. स्पीकर इसे कार्यवाही से हटाना नहीं चाहते हैं. मंत्री इस प्रकार की बातें कर रहे हैं. यहां मंत्री जवाब तो दे नहीं पाते, उन्हें बचाने में लग जाते हैं. सत्ता पक्ष नहीं चाहता सदन चले. ये डरे और घबराए हुए हैं. सत्ता पक्ष के विधायक ही मंत्रियों के जवाब से संतुष्ट नहीं है. इससे बचने के लिए ये इस तरह गतिरोध पैदा करते हैं.
दिलावर बोले, डोटासरा का व्यवहार शर्मनाक : कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर ने कहा, "दादी सम्मानजनक शब्द है. यह कोई आपत्तिजनक शब्द नहीं है, फिर भी आसन ने यह व्यवस्था दी थी कि इसे विलोपित कर दें, लेकिन कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का व्यवहार शर्मनाक था. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर आक्रमण किया, वो तो बाल-बाल बच गए, यह निंदनीय है. लोकतंत्र में ऐसा होता नहीं है. यह गंभीर प्रकरण है, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष को निर्णय करना है. कांग्रेस विधायकों के खिलाफ प्रस्ताव लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो संसदीय कार्यमंत्री और पार्टी तय करेगी कि क्या करना है.
सत्ता पक्ष दबाव में लेना चाहता है स्पीकर को : डोटासरा बोले, "मंत्रियों की खुद की तैयारी नहीं है. दो मंत्रियों ने आज कहा कि सवाल उनके विभाग का नहीं है. यह क्या जवाब हुआ ? जब सदन में सवाल आता है तो उसका जवाब आना चाहिए. उठने से पहले ही कहते हैं बैठ जा,यहां क्या क्लास लगा रखी है ? सदन में सभी सदस्य बराबर हैं, वो सरकार में हैं तो मंत्री बन गए. पहले हम भी मंत्री थे. व्यवस्थाएं स्पीकर को देनी है. व्यवस्था देंगे, उसके बाद देखते हैं. उन्होंने कहा कि जवाब एक मंत्री को देना होता है, लेकिन तीन मंत्री खड़े हो रहे हैं. हम देख रहे हैं कि स्पीकर सदन को ठीक चलाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें अनावश्यक दबाव में लिया जा रहा है. वे बोले, तीन दिन पहले उन्होंने स्पीकर को बताया कि एक अनर्गल टिप्पणी है, लेकिन आज तक कोई व्यवस्था नहीं दी."