जोधपुर. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान पर्यटन नगरी जोधपुर का पर्यटन व्यवसाय अपने बुरे दौर से गुजर रहा है. पर्याटन स्थल सूनसान पड़े हुए हैं. इसके साथ ही इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के सामने भी आर्थिक संकट पैदा हो गया है. जानकारों का कहना है कि अगर स्थिति सामान्य भी हो जाती है तो अब जोधपुर जिले के पर्याटन को कम से कम एक साल का वक्त लगेगा उबरने के लिए.
- लॉकडाउन की वजह से जोधपुर के 400 बड़े होटल प्रभावित
- 300 से ज्यादा छोटे होटल और गेस्ट हाउस प्रभावित
- लॉकडाउन में 300 रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड बेरोजगार
- जोधपुर में हर साल 11 लाख से ज्यादा आते हैं देशी पयर्टक
- हर साल 1 लाख 75 हजार से ज्यादा आते हैं विदेशी पयर्टक
जोधपुर का पर्यटन विदेशी सैलानियों की पसंद माना जाता है. यहां ज्यादातर यूरोपियन देश के लोग आते है. लेकिन कोरोना के चलते अब एक साल तक लोगों की विदेश से आवाजाही प्रभावित होगी. हालांकि इस बात की उम्मीद की जा रही है कि सितंबर अक्टूबर तक अगर हालात सामान्य हुए तो घरेलू पर्यटकों का आना शुरू हो जाएंगे तो इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को थोड़ी राहत मिल सकती है.
हलांकि इस उम्मीद के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा. जोधपुर में पर्यटन का प्रमुख आकर्षण यहां का मेहरानगढ़ किला है इसके बाद उम्मेद भवन पैलेस. यहां हर साल 11 लाख देसी और विदेशी पयर्टक आते हैं. मेहरानागढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के निदेशक करणी सिंह जसोल बताते हैं कि टूरिज्म की चैन बहुत लंबी है. एक टूरिस्ट के आने से टैक्सी चालक से लेकर सब्जी विक्रेता तक की आमदनी का जरिया बनता है.
इस व्यवसाय से जुडे़ लोगों के सामने बहुत चुनौतियां पैदा हो रही है. जोधपुर टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के महासचिव मानसिंह मेडतिया बताते हैं कि गाइड्स के मार्फत विदेशी पर्यटक घूमते हैं तो हर वर्ग को लाभ होता है. हम भी कमाई होने पर टैक्स भी भरते हैं. लेकिन सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं सोचा हमे मजूदरों के बराबर दर्जा दिया गया है. जबकि पर्यटन व्यवसाय बाधित होने से सबसे ज्यादा हमें ही नुकसान हुआ है.
उन्होंने कहा कि होटल, गेस्ट हाउस, के साथ इस व्यवसाय से जुड़े छोटे दुकानदार से लेकर बड़े सभी संकट के दौर से गुजर रहे हैं. मानसिंह कहते हैं कि सरकार को चाहिए कि हमारी मदद करे.
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वहीं होटल संचालक पवन मेहता बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते हमारी इंडस्ट्रीज सबसे पहले बंद हुई थी और सबसे अंत में हमें अनुमति मिलेगी. जोधपुर में 400 बड़े होटल हैं जबकि 300 छोटी होटल, गेस्ट हाउस और बार हैं. करीब बीस हजार लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुए हैं. इन संस्थानों के सभी के संचालक परेशान है. कर्मचारियों को वेतन देना चुनौती बन गया है.
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मेहता ने कहा केंद्र सरकार के पैकेज में भी हमें कुछ नहीं मिला अब सिर्फ आस राज्य सरकार से है. उन्होंने कहा होटल बार में रखा माल खराब हो रहा है. राजस्थान में होटल इंडस्ट्रीज को इस लॉकडाउन से करीब 1 हजार करोड़ का नुकसान होने वाला है आगे कितने दिन तक यह बंद रहेगी इसका कुछ कहा भी नहीं जा सकता.