जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जोधपुर के हैरिटेज रेलवे स्टेशन को नया रूप देने की कवायद शुरू हो गई है. रेलवे करीब 500 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक इमारत बनाने की तैयारी में है. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार नया स्टेशन बनाए, लेकिन मौजूदा हैरिटेज इमारत को यथावत रखा जाए.
रेलवे ने नई इमारत का मॉडल जनता के अवलोकन के लिए लगा दिया गया है. जिसमें 1885 में बने स्टेशन की मौजूदा 137 साल पुरानी हैरिटेज इमारत को बनाए रखने का कोई प्रावधान नहीं है. खास बात यह है कि जोधपुर रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव का गृहनगर भी है. ऐसे में जोधपुर के लोग अपने शहर की पुरानी पहचान को बचाने के लिए सक्रिय हो गए हैं. लोगों का कहना है कि रेलवे स्टेशन का भवन हमारी पहचान है. सरकार नया स्टेशन बनाए, लेकिन मौजूदा हैरिटेज स्ट्रेक्चर को शामिल करे. क्योंकि देश में ऐसे कई बड़े स्टेशन हैं जिनको नया बनाया गया है, लेकिन उनके हैरिटेज लुक को यथावत रखा गया है.
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अंग्रेजों के समय 1885 में तत्कालीन राज परिवार ने इसका निर्माण करवाया था. उस समय भी इस स्टेशन की इमारत मौजूदा स्वरूप के आसपास थी. बाद में आवश्यकतानुसार इसमें सुविधाएं बढ़ाने के लिए काम हुआ. 1933 में जोधपुर रेलवे के 50 वर्ष पर महाराज उम्मेदसिंह ने इसे और भव्य बनवाया. लेकिन पुराने लुक के साथ ज्यादा बदलाव नहीं हुआ. आजादी के बाद 1951 में पहली बार यहां बड़े स्तर काम हुआ. लेकिन स्टेशन के क्लॉक टावर इमारत को नहीं छेड़ा गया. इसके बाद 1995 में आदर्श स्टेशन बनाया गया. उसमें भी पुराने स्वरूप को यथावथ रखा गया.
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नेता भी हुए सक्रिय: सूर्यनगरी की पहचान इस इमारत को बचाने के लिए नेता भी सक्रिय हो गए हैं. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसके लिए रेल मंत्री से बात करने की बात कही है. वहीं राज्य सभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने कहा कि यह हमारे शहर की ऐतिहासिक पहचान है. इसे बचाना ही होगा. इसके लिए मैं रेल मंत्री को पत्र लिखूंगा. रेलवे नया स्टेशन बनाए लेकिन हैरिटेज इमारत को भी रखे. जिससे हमारे शहर की पहचान कायम रहे. इसके अलावा शहर के लोग भी इसको लेकर सक्रिय हो गए हैं. सोशल मीडिया पर भी इस धरोहर बचाने के लिए समर्थन लिया जा रहा है.
जोधपुर से कराची तक चलती थी ट्रेन: अंग्रेजों के समय जोधपुर रेलवे की स्थापना हुई थी. जोधपुर रेलवे का कार्यक्षेत्र वर्तमान पाकिस्तान के सिंध व हैदराबाद व कराची तक था. जोधपुर से कराची तक ट्रेन चलती थी. जोधपुर रेलवे स्टेशन से 9 मार्च, 1885 को पहली रेलगाड़ी लूणी तक चलाई गई थी. इसके बाद बीकानेर रेलवे बनने के बाद जोधपुर-बीकानेर को जोड़ दिया गया. 1900 में जोधपुर से हैदराबाद वर्तमान पाकिस्तान रेलवे से जुड़ गया. बंटवारे में जोधपुर रेलवे का एक हिस्सा पाकिस्तान चला गया. आजादी के बाद जोधपुर रेल मंडल बनाया गया था.
आधुनिकीकरण में वर्तमान दृश्य रहे मौजूद: शहरवासी वरुण धनाडिया ने बताया कि हम चाहते हैं कि जोधपुर रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण हो. लेकिन स्टेशन के ऐतिहासिक लुक के साथ छेड़छाड़ नहीं हो. ललित श्रीमाली का कहना है कि यह हमारे पुरखों की पहचान है. इमारत बहुत मजबूत है. आधुनिकीकरण में वर्तमान दृश्य मौजूद रहे.