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नोटबंदी के 3 साल होने पर जोधपुर के युवा और व्यापारियों की प्रतिक्रिया..जानिए क्या कहा

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Published : Nov 6, 2019, 7:08 PM IST

नोटबंदी को तीन साल पूरा हो चुका है. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी. इसके बाद बड़े नोट को चलन से बाहर कर दिया. जिसके बाद पैसों के लिए जनता को बैंकों और एटीएम के बाहर लाइनों में लगना पड़ा . हालांकि इस नोटबंदी के फैसले पर जनता की मिली जुली राय सामने आई थी, लेकिन विपक्ष ने मोदी सरकार की काफी आलोचना की थी. वहीं अब नोटबंदी के तीन साल 8 नवंबर को पूरा होने जा रहे है. ऐसे में जोधपुर के युवाओं और व्यापारियों की क्या प्रतिक्रिया है..जानिए

3 years of demonetisation, Jodhpur people Reaction on demonetisation

जोधपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में देश के सबसे बड़े नोटबंदी के फैसले को 8 नवंबर को 3 साल पूरे हो जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा 8 नवंबर के दिन की थी. इसके बाद से देश में अभी तक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटने पर बेरोजगारी बढ़ने की बातें सामने आ रही है. इन सब मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने जोधपुर शहर के युवाओं और व्यापारियों से उनकी प्रतिक्रिया जानी.

नोटबंदी के 3 साल पर जोधपुर के युवा और व्यापारियों की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर जोधपुर के युवाओं का कहना था कि नोटबंदी के बाद रोजगार में कमी आई है. खासतौर से प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की कमी है. युवाओं को संतोषजनक वेतन नहीं मिलने से उन्हें बार-बार जॉब भी बदलनी पड़ती है. प्राइवेट सर्विस करने वाले रोहित प्रजापत का कहना था कि वह खुद एक जॉब बदल चुके हैं और अभी भी संतुष्ट नहीं है. क्योंकि काम की कमी के चलते प्रेशर बना हुआ है.

पढ़ें- अपार्टमेंट में फ्लैट जिसका जमीन भी उसकी....जल्द लागू होगा अपार्टमेंट ओनरशिप बिल

इसी तरह कार्तिक ने बताया कि निजीकरण बढ़ा है. नोटबंदी के बाद सरकारी नौकरी में लगातार कमी हो रही है. युवा धर्मेश का कहना था कि सबसे बुरा असर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर आया है. ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार में कमी महसूस होने लगी है, हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें थोड़ी सामान्य हुई है, लेकिन परेशानी अभी भी है, तो आशु गुर्जर का कहना था कि नोटबंदी के चलते ही 70 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी देखने को मिल रही है.

पढ़ें- महेश जोशी ने लिखा मंत्री बीडी कल्ला को पत्र, घरेलू नल कनेक्शन से स्टांप ड्यूटी हटाने की रखी मांग

वहीं व्यापार के सिलसिले में जोधपुर आए नागौर जिले के रामप्रसाद जो कि कसूरी मैथी के व्यापारी हैं. उनका कहना था कि जब नोटबंदी हुई तो शुरुआती समय में तो बहुत दिक्कतें आई, काम पूरा ठप हो गया, पेमेंट भी नहीं आया. लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो रही है. किसान भी चेक लेने लगे हैं. डिजिटल पेमेंट को स्वीकार करना पड़ रहा है. वहीं गवर्नमेंट कांट्रेक्टर महेंद्र सिंह का कहना था कि सरकारी ठेकों में बहुत परेशानी हुई नोटबंदी के समय पर लेकिन अब हर चीज की लिमिट हो गई है. जहां पहले 10 लाख का काम सीधा हो जाता था, लेकिन अब 5 लाख की लिमिट में ऑनलाइन होने लगा है.

जोधपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में देश के सबसे बड़े नोटबंदी के फैसले को 8 नवंबर को 3 साल पूरे हो जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा 8 नवंबर के दिन की थी. इसके बाद से देश में अभी तक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटने पर बेरोजगारी बढ़ने की बातें सामने आ रही है. इन सब मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने जोधपुर शहर के युवाओं और व्यापारियों से उनकी प्रतिक्रिया जानी.

नोटबंदी के 3 साल पर जोधपुर के युवा और व्यापारियों की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर जोधपुर के युवाओं का कहना था कि नोटबंदी के बाद रोजगार में कमी आई है. खासतौर से प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की कमी है. युवाओं को संतोषजनक वेतन नहीं मिलने से उन्हें बार-बार जॉब भी बदलनी पड़ती है. प्राइवेट सर्विस करने वाले रोहित प्रजापत का कहना था कि वह खुद एक जॉब बदल चुके हैं और अभी भी संतुष्ट नहीं है. क्योंकि काम की कमी के चलते प्रेशर बना हुआ है.

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इसी तरह कार्तिक ने बताया कि निजीकरण बढ़ा है. नोटबंदी के बाद सरकारी नौकरी में लगातार कमी हो रही है. युवा धर्मेश का कहना था कि सबसे बुरा असर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर आया है. ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार में कमी महसूस होने लगी है, हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें थोड़ी सामान्य हुई है, लेकिन परेशानी अभी भी है, तो आशु गुर्जर का कहना था कि नोटबंदी के चलते ही 70 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी देखने को मिल रही है.

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वहीं व्यापार के सिलसिले में जोधपुर आए नागौर जिले के रामप्रसाद जो कि कसूरी मैथी के व्यापारी हैं. उनका कहना था कि जब नोटबंदी हुई तो शुरुआती समय में तो बहुत दिक्कतें आई, काम पूरा ठप हो गया, पेमेंट भी नहीं आया. लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो रही है. किसान भी चेक लेने लगे हैं. डिजिटल पेमेंट को स्वीकार करना पड़ रहा है. वहीं गवर्नमेंट कांट्रेक्टर महेंद्र सिंह का कहना था कि सरकारी ठेकों में बहुत परेशानी हुई नोटबंदी के समय पर लेकिन अब हर चीज की लिमिट हो गई है. जहां पहले 10 लाख का काम सीधा हो जाता था, लेकिन अब 5 लाख की लिमिट में ऑनलाइन होने लगा है.

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Body:नोटबंदी पर रिएक्शन
जोधपुर देश पर नोटबंदी के 8 नवंबर को 3 साल पूरे हो जाएंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में 500 1000 के नॉट बंद करने की घोषणा 8 नवंबर के दिन की थी इसके बाद से देश में अभी तक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटने पर बेरोजगारी बढ़ने की बातें सामने आ रही है इन सब को लेकर ईटीवी भारत में जोधपुर शहर के युवाओं से बात की तो उनका कहना था कि नोटबंदी के बाद रोजगार में कमी आई है खासतौर से प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की कमी आई है युवाओं को संतोषजनक वेतन नहीं मिलने से उन्हें बार-बार जो भी बदलना पड़ा है प्राइवेट सर्विस करने वाले रोहित प्रजापत का कहना था कि वह खुद एक जो बदल चुके हैं और अभी भी संतुष्ट नहीं है क्योंकि काम की कमी के चलते प्रेशर बना हुआ है इसी तरह कार्तिक ने बताया कि प्राइवेटाइजेशन बड़ा है नोटबंदी के बाद सरकारी नौकरी में लगातार कमी हो रही है धर्मेश का कहना था कि सबसे बुरा असर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर आया है ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार मैं कमी महसूस होने लगी है हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें थोड़ी सामान्य हुई है लेकिन परेशानी अभी भी है तो आशु गुर्जर का कहना था कि नोटबंदी के चलते ही 70 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी देखने को मिल रही है व्यापार के सिलसिले में जोधपुर आए नागौर जिले के रामप्रसाद जोकि कसूरी मेथी के व्यापारी हैं उनका कहना था कि जब नोट बंदी हुई तो शुरुआती समय में तो बहुत दिक्कतें आई कानपुर से ठप हो गया पेमेंट भी नहीं आया लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो रही है किसान भी चेक लेने लगे हैं डिजिटल पेमेंट को स्वीकार करना पड़ रहा है गवर्नमेंट कांट्रेक्टर महेंद्र सिंह का कहना था कि सरकारी ठेकों में बहुत परेशानी हुई नोटबंदी के समय पर अब हर चीज की लिमिट हो गई है जहां पहले 1000000 का काम सीधा हो जाता था लेकिन अब 500000 के लिमिट में ऑनलाइन होने लगा है हम इसके अभ्यस्त भी हो रहे हैं।
बाईट 1 रोहित प्रजापत, 
बाईट 2 कार्तिक
बाईट 3 धर्मेश
बाईट 4 आशू गुर्जर
बाईट 5 रामप्रसाद
बाईट 6 महेंद्र सिंह





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