जोधपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में देश के सबसे बड़े नोटबंदी के फैसले को 8 नवंबर को 3 साल पूरे हो जाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा 8 नवंबर के दिन की थी. इसके बाद से देश में अभी तक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौटने पर बेरोजगारी बढ़ने की बातें सामने आ रही है. इन सब मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने जोधपुर शहर के युवाओं और व्यापारियों से उनकी प्रतिक्रिया जानी.
इस मुद्दे पर जोधपुर के युवाओं का कहना था कि नोटबंदी के बाद रोजगार में कमी आई है. खासतौर से प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की कमी है. युवाओं को संतोषजनक वेतन नहीं मिलने से उन्हें बार-बार जॉब भी बदलनी पड़ती है. प्राइवेट सर्विस करने वाले रोहित प्रजापत का कहना था कि वह खुद एक जॉब बदल चुके हैं और अभी भी संतुष्ट नहीं है. क्योंकि काम की कमी के चलते प्रेशर बना हुआ है.
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इसी तरह कार्तिक ने बताया कि निजीकरण बढ़ा है. नोटबंदी के बाद सरकारी नौकरी में लगातार कमी हो रही है. युवा धर्मेश का कहना था कि सबसे बुरा असर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर आया है. ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार में कमी महसूस होने लगी है, हालांकि अब धीरे-धीरे चीजें थोड़ी सामान्य हुई है, लेकिन परेशानी अभी भी है, तो आशु गुर्जर का कहना था कि नोटबंदी के चलते ही 70 साल की सबसे बड़ी बेरोजगारी देखने को मिल रही है.
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वहीं व्यापार के सिलसिले में जोधपुर आए नागौर जिले के रामप्रसाद जो कि कसूरी मैथी के व्यापारी हैं. उनका कहना था कि जब नोटबंदी हुई तो शुरुआती समय में तो बहुत दिक्कतें आई, काम पूरा ठप हो गया, पेमेंट भी नहीं आया. लेकिन अब धीरे-धीरे चीजें सामान्य हो रही है. किसान भी चेक लेने लगे हैं. डिजिटल पेमेंट को स्वीकार करना पड़ रहा है. वहीं गवर्नमेंट कांट्रेक्टर महेंद्र सिंह का कहना था कि सरकारी ठेकों में बहुत परेशानी हुई नोटबंदी के समय पर लेकिन अब हर चीज की लिमिट हो गई है. जहां पहले 10 लाख का काम सीधा हो जाता था, लेकिन अब 5 लाख की लिमिट में ऑनलाइन होने लगा है.