जयपुर. राजस्थान विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरने का काम किया है. इस बीच जोधपुर के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा की चर्चा हर तरफ हो रही है. 15 मार्च को सदन में चर्चा के बीच वीरांगनाओं के नाता प्रथा पर मंत्री शांति धारीवाल के बयान और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को लेकर की गई टिप्पणी पर अपनी पार्टी के नेताओं को दिव्या ने जमकर आड़े हाथों लिया.
यह पहला मौका नहीं था, जब दिव्या मदेरणा मुखर होकर बोलती हुई देखी गईं. इसके पहले भी कई मर्तबा उनके तल्खी के चर्चे होते रहे हैं. वे लगातार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर उनके नजदीकी माने जाने वाले मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेन्द्र राठौड़ समेत ब्यूरोक्रेसी के अफसरों को निशाना साधती रही हैं. गौरतलब है कि परसराम मदेरणा, महिपाल मदेरणा के बाद दिव्या मदेरणा इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में विधानसभा तक पहुंची हैं.
इन मुद्दों पर दिव्या के तीखे तेवर : प्रदेश में जाट, गुर्जर और मीणा जाति को कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक का हिस्सा बताकर दिव्या मदेरणा ने हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सीधे निशाने पर लिया था. उन्होंने मंजू जाट, किरोड़ी लाल मीणा और सुंदरी देवी के मामले पर वीरांगना और विपक्ष के नेता को लेकर की गई टिप्पणी के जरिए कांग्रेस को चुनावी साल में सावधानी बरतने का मशवरा दिया. साथ ही गहलोत के नजदीकी नेताओं को सदन में घेरा. इसके पहले दिव्या मदेरणा ने फरवरी में जोधपुर में एक वकील की सरेराह हत्या को लेकर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा था.
इन मुद्दों पर खुलकर बोलीं : उन्होंने साल 2022 में ओसियां में पानी की टंकी के आवंटन की संख्या में कटौती को लेकर जलदाय मंत्री महेश जोशी को रबर स्टांप बताकर ब्यूरोक्रेसी के हावी रहने की बात कही थी. मई 2022 में बाड़ी से विधायक गिरिराज मलिंगा के सरेंडर के मामले को लेकर भी मदेरणा ने तत्कालीन डीजीपी के रुख पर सवाल उठाए थे. इसी तरह से उन्होंने मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी पर लगे संगीन आरोपों के मामले में राजस्थान में एफआईआर नहीं होने पर सवाल उठाए थे.
दिव्या ने छात्रसंघ चुनावों में कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई की प्रदेश में करारी हार के बाद उन्होंने संगठन के अध्यक्ष अभिषेक चौधरी से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर उंगलियां उठाई थी. इसके अलावा अक्टूबर 2022 में दिल्ली में महेश जोशी की ओर से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर मल्लिकार्जुन खड़गे को दी गई बधाई पर भी दिव्या मदेरणा ने ट्वीटर पर शायराना अंदाज में तंज कसा था, उनका ये ट्वीट भी सुर्खियों में रहा.
चिरंजीवी योजना पर भी सवाल : उन्होंने बीते साल नवंबर में ओबीसी आरक्षण में विसंगतियों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. उन्होंने सरकार पर ब्यरोक्रेसी के हावी होने का आरोप लगाया था. बीते साल मानसून सत्र के दौरान दिव्या मदेरणा ने अशोक गहलोत सरकार की महत्वाकांक्षी चिरंजीवी योजना पर निजी अस्पतालों की मनमानी को लेकर सरकार की नियत पर सवाल किए.
यह है मदेरणा परिवार की राजनीतिक विरासत : जोधपुर जिले के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा परिवार की तीसरी पीढ़ी की विधायक हैं. दादा परसराम मदेरणा नेता प्रतिपक्ष, विधानसभाध्यक्ष, पीसीसी चीफ रहे. वहीं, पिता महिपाल मदेरणा मंत्री रहे. दिव्या मदेरणा के दादा परसराम मदेरणा राजस्थान के बड़े नेता थे. जाट राजनीति के शिखर पर किसी दौर में उनका नाम आता था. साल 1998 में उनके प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस ने रिकॉर्ड 151 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके पहले नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी उनकी भूमिका का प्रदेश ने लोहा माना था. इसके बाद मदेरणा विधानसभा अध्यक्ष के रूप में भी रहे.
इसी तरह से महिपाल मदेरणा ने भी मंत्री रहते हुए मदेरणा परिवार की विरासत को मारवाड़ में हमेशा चर्चा में रखा था. महिपाल मदेरणा के भंवरी कांड में जेल जाने के बाद जोधपुर संभाग में जाट समाज की राजनीति के विकल्प के रूप में कई परिवार उभरने लगे. इसी बीच मदेरणा परिवार को पाली से पूर्व सांसद बद्रीराम जाखड़ और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की चुनौती भी मिली. इन सबके बीच ओसियां से विधायक निर्वाचित होने के बाद स्थानीय प्रशासन से लेकर प्रदेश में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर तक दिव्या ने मदेरणा परिवार की विरासत के रुख को कायम रखा. वहीं उनकी मां लीला मदेरणा फिलहाल जोधपुर से जिला प्रमुख हैं.
प्रताप सिंह भी दिव्या के कायल : खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास भी दिव्या मदेरणा के साथ खड़े नजर आए. प्रताप सिंह विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिव्या के तेवर के समर्थन में बोलते हुए दिखे. उन्होंने दिव्या को युवा नेता बताते हुए मारवाड़ की उम्मीद बताया. उन्होंने कहा कि सदन में किसी भी दल का कोई विधायक मुद्दा उठाता है, तो इसे दलगत राजनीति से ऊपर क्षेत्र की जनता से जुड़ा हुआ देखा जाना चाहिए. दिव्या मदेरणा ने भी अपने क्षेत्र के मुद्दों को उठाया है.