जोधपुर. जिले के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में मंगलवार को कर्मचारी संघ के तत्वाधान में यूनिवर्सिटी के अंतर्गत कार्य करने वाले सभी कर्मचारियों ने पेन डाउन हड़ताल की घोषणा की है. इस दौरान कर्मचारियों ने किसी भी कार्यालय में कार्य नहीं किया. कर्मचारियों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालय के पी डी खाते में ग्रांट समय पर जमा नहीं की गई है. जिसके चलते कर्मचारियों को पैसा नहीं मिल रहा है. जानकारी के अनुसार सभी कर्मचारियों को पिछले 4 महीने से ग्रांड का पैसा नहीं मिला है. जिसके चलते पेन डाउन हड़ताल करने की घोषणा की गई है. साथ ही कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनके अकाउंट में पैसा नहीं आएगा, तब तक ये लोग कार्य नहीं करेंगे.
वहीं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारियों ने बैंक से लोन ले रखा है. समय पर वेतन नहीं मिलने के चलते ये लोग बैंक की किस्तें नहीं भर पा रहे हैं और ना ही घरेलू खर्च निकाल पा रहे हैं. जिसके चलते कर्मचारियों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही कर्मचारियों का कहना है कि 9 दिसंबर को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में होने वाले दीक्षांत समारोह का भी सभी कर्मचारियों की ओर से बहिष्कार किया जाएगा.
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वहीं मंगलवार को विश्वविद्यालय में काफी संख्या में छात्र-छात्राओं का जमावड़ा भी देखने को मिला.छात्र-छात्राओं विवि में माइग्रेशन सर्टिफिकेट सहित अन्य दस्तावेज लेने के लिए आए थे, लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल होने के चलते उनके कार्य नहीं हो पाए. कुछ विद्यार्थियों ने बताया कि बुधवार को आरपीएससी में काउंसलिंग की अंतिम तिथि है और उन्हें दस्तावेज लेकर बुद्धवार को अजमेर में जमा करवाने हैं, लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल के चलते उनके काम नहीं हो पा रहे हैं.
विश्वविद्यालय में आए छात्र-छात्राओं के कार्य नहीं होने पर जोधपुर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटी मौके पर पहुंचे और उन्होंने कुलपति से बात की, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला. इस पर छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा कि अगर समय रहते कुलपति की ओर से कर्मचारियों की मांगों को लेकर कोई रास्ता नहीं निकाला गया, तो विद्यार्थियों का भी छात्रसंघ अध्यक्ष के नेतृत्व में उग्र प्रदर्शन किया जाएगा. क्योंकि विश्वविद्यालय और कर्मचारियों की लड़ाई में छात्र-छात्राओं को समस्या का सामना करना पड़ रहा है.