जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री ऋण माफी योजना में अनियमितताओं के मामले में अलग-अलग जिलों में दर्ज 16 एफआईआर में एक जांच दल गठित करने के लिए पुलिस महानिदेशक अपराध को निर्देश दिए हैं. इसके अलावा रजिस्ट्रार सहकारिता को भी निर्देशित किया है कि दोषी सोसायटियों के खिलाफ अब तक कारवाई क्यों नहीं की गई. जबकि पूर्व में दो माह के अन्दर सभी जांच पूरी होने पर दोषियों के खिलाफ कारवाई का आश्वासन दिया गया था.
जस्टिस विजय विश्नोई व जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ के समक्ष सिमरथा राम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित व अधिवक्ता निखिल डुंगावत ने कहा कि लम्बे समय से कोर्ट के निर्देश के बावजूद अभी तक इस मामले में कारवाई आगे नहीं बढ़ी है. विधानसभा में भी यह जानकारी पेश की गई कि 2361 सोसायटी के खिलाफ अनियमितताएं उजागर हो चुकी हैं, लेकिन आज तक कारवाई नहीं हुई.
मुख्यमंत्री ऋण माफी योजना में इतनी अनियमितताएं होने और हाईकोर्ट में सहकारिता रजिस्ट्रार ने आश्वासन तक दिया लेकिन अभी तक दोषियों के खिलाफ सख्त कारवाई नहीं हुई. राज्य के अलग-अलग जिलों में अब तक केवल 16 मुकदमें दर्ज किए गए हैं. जिसकी जांच पुलिस कर रही है. ऐसे में सभी ही एक ही प्रकृति के मामले में होने से पुलिस महानिदेशक अपराध को निर्देश दिए जाएं कि इस मामले में एक जांच दल गठित करे. ताकि निष्पक्ष अनुसंधान हो सके. कोर्ट ने सभी को सुनने के बाद पुलिस महानिदेशक अपराध को निर्देश दिए हैं कि एक जांच दल गठित कर सभी मामलों में अनुसंधान कर जुलाई 2023 में कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करे.