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जोधपुर में इला अरुण को मिला सर्वोच्च फेलोशिप अवॉर्ड, सरदारपुरा के मकान नंबर 532 को किया समर्पित - इला को मिला पहला सरकारी अवॉर्ड

गायिका एवं फिल्म अभिनेत्री इला अरुण को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से शनिवार को जोधपुर में सर्वोच्च फेलोशिप पुरस्कार दिया गया. यह सम्मान प्रदेश के कला एवं सांस्कृतिक मंत्री बीडी कल्ला ने प्रदान किया.

ila arun received fellowship award in Jodhpur
जोधपुर में इला अरुण को मिला सर्वोच्च फेलोशिप अवॉर्ड
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Published : Mar 25, 2023, 8:26 PM IST

इला अरुण को मिला सर्वोच्च फेलोशिप अवॉर्ड

जोधपुर. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से शनिवार को जोधपुर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में संगीत कला से जुड़े प्रावधानों का सम्मान किया गया. इस सम्मान समारोह में अकादमी का सर्वोच्च फेलोशिप पुरस्कार कला एवं संस्कृतिक मंत्री बीडी कल्ला ने जानी-माने गायिका एवं फिल्म कलाकार इला अरुण को दिया गया.

विभिन्न विधाओं में दिए गए 12 अवार्डः पुरस्कार ग्रहण करने के बाद इला अरुण ने यह पुरस्कार जोधपुर के सरदारपुरा मोहल्ले की नौवीं रोड स्थित 532 नंबर मकान को समर्पित किया, जहां उनका जन्म हुआ था. खास बात यह है कि इला अरुण ने अपनी बात मारवाड़ी में कही जो वो खुद लिख कर लेकर आई थीं. इला ने सरकार के कला पुरोधाओं के सम्मान को सराहा. दस वर्ष बाद हुए सम्मान समारोह में कला की विभिन्न विधाओं में 12 अवार्ड क्रमश मुकुंद क्षीरसागर ( शास्त्रीय गायन), नियाज़ अहमद ( सितार), रेखा ठाकर ( कत्थक नृत्य), नाथुलाल सोलंकी ( नगाड़ा वादन), मामे खान ( लोक गायन), विजय लक्ष्मी अमेठा ( लोक नृत्य ), अली गनी ( सुगम गायन ), रमेश बोहरा ( अभिनय ), बृजमोहन व्यास ( निर्देशन ) शहजोर अली ( रंग शिल्प) व हरिदत्त कल्ला ( कला समग्र ) को प्रदान कर सम्मानित किया गया. इसमें पचास हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए. इसके अलावा युवा एव बाल कलाकारों को भी सम्मानित किया गया.

ये भी पढ़ेंः अंजस महोत्सव: पुरानी जड़ों से जुड़े रहने के साथ नई चीजों का अवलोकन भी जरूरी- इला अरुण

इला को मिला पहला सरकारी अवॉर्डः गत दिसंबर में आयोजित अंजस महोत्सव में इला अरुण ने कहा था कि उनका अवार्ड उनके प्रशंसक हैं. वह किसी के सामने हाथ फैलाकर अवॉर्ड नहीं मांग सकतीं. इसके लिए किसी मंत्री प्रधानमंत्री के सामने जूतियां नहीं रगड़ सकतीं. ऐसे अवॉर्ड लेने के बाद रात अहसास होता है कि अवार्ड मिला नहीं लिया गया है, लेकिन शनिवार को फेलोशिप मिला है वह बहुत महत्वपूर्ण क्योंकि मेरी शुरुआत यहीं से हुई थी.

ये भी पढ़ेः Jodhpur RIFF : जोधपुर की फिजा में बिखरा संगीत, देशी-विदेशी सहित लोक कलाकार देंगे प्रस्तुति

जयपुर में हुई पढ़ाई, रघुनाथ पहले गुरुः इला अरुण के जन्म के कुछ समय बाद परिवार जयपुर शिफ्ट हो गया था. जबकि उनका परिवार मूलत उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. एक बार एक कार्यक्रम में इला ने कहा था कि उनकी गायिकी का पहला शिक्षक रघुनाथ था. वह प्रतिदिन साइकल पर बैठाकर स्कूल ले जाता था. वह रास्ते में राजस्थानी गाने गाता था. उनसे ही मैंने गायन में राजस्थानी अंदाज सीखा.

इला अरुण को मिला सर्वोच्च फेलोशिप अवॉर्ड

जोधपुर. राजस्थान संगीत नाटक अकादमी की ओर से शनिवार को जोधपुर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में संगीत कला से जुड़े प्रावधानों का सम्मान किया गया. इस सम्मान समारोह में अकादमी का सर्वोच्च फेलोशिप पुरस्कार कला एवं संस्कृतिक मंत्री बीडी कल्ला ने जानी-माने गायिका एवं फिल्म कलाकार इला अरुण को दिया गया.

विभिन्न विधाओं में दिए गए 12 अवार्डः पुरस्कार ग्रहण करने के बाद इला अरुण ने यह पुरस्कार जोधपुर के सरदारपुरा मोहल्ले की नौवीं रोड स्थित 532 नंबर मकान को समर्पित किया, जहां उनका जन्म हुआ था. खास बात यह है कि इला अरुण ने अपनी बात मारवाड़ी में कही जो वो खुद लिख कर लेकर आई थीं. इला ने सरकार के कला पुरोधाओं के सम्मान को सराहा. दस वर्ष बाद हुए सम्मान समारोह में कला की विभिन्न विधाओं में 12 अवार्ड क्रमश मुकुंद क्षीरसागर ( शास्त्रीय गायन), नियाज़ अहमद ( सितार), रेखा ठाकर ( कत्थक नृत्य), नाथुलाल सोलंकी ( नगाड़ा वादन), मामे खान ( लोक गायन), विजय लक्ष्मी अमेठा ( लोक नृत्य ), अली गनी ( सुगम गायन ), रमेश बोहरा ( अभिनय ), बृजमोहन व्यास ( निर्देशन ) शहजोर अली ( रंग शिल्प) व हरिदत्त कल्ला ( कला समग्र ) को प्रदान कर सम्मानित किया गया. इसमें पचास हजार रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए. इसके अलावा युवा एव बाल कलाकारों को भी सम्मानित किया गया.

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इला को मिला पहला सरकारी अवॉर्डः गत दिसंबर में आयोजित अंजस महोत्सव में इला अरुण ने कहा था कि उनका अवार्ड उनके प्रशंसक हैं. वह किसी के सामने हाथ फैलाकर अवॉर्ड नहीं मांग सकतीं. इसके लिए किसी मंत्री प्रधानमंत्री के सामने जूतियां नहीं रगड़ सकतीं. ऐसे अवॉर्ड लेने के बाद रात अहसास होता है कि अवार्ड मिला नहीं लिया गया है, लेकिन शनिवार को फेलोशिप मिला है वह बहुत महत्वपूर्ण क्योंकि मेरी शुरुआत यहीं से हुई थी.

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जयपुर में हुई पढ़ाई, रघुनाथ पहले गुरुः इला अरुण के जन्म के कुछ समय बाद परिवार जयपुर शिफ्ट हो गया था. जबकि उनका परिवार मूलत उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. एक बार एक कार्यक्रम में इला ने कहा था कि उनकी गायिकी का पहला शिक्षक रघुनाथ था. वह प्रतिदिन साइकल पर बैठाकर स्कूल ले जाता था. वह रास्ते में राजस्थानी गाने गाता था. उनसे ही मैंने गायन में राजस्थानी अंदाज सीखा.

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