ETV Bharat / state

Hydroponics Technique : बिना मिट्टी के उगाएं सब्जियां, कम लागत से छत या बालकनी में कर सकेंगे खेती

शहरी क्षेत्रों में किचन गार्डन का चलन तेजी से बढ़ रहा (Hydroponics Technique for Farming) है. अब हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से ग्रामीण और शहरी इलाके में भी किसान बिना मिट्टी, कम जगह और लागत में खेती कर सकते हैं. जानिए क्या है ये तकनीक...

Hydroponics Technique for Farming
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से खेती
author img

By

Published : Feb 18, 2023, 5:47 PM IST

Updated : Feb 18, 2023, 6:09 PM IST

बिना मिट्टी के उगाएं सब्जियां

जोधपुर. शहरी क्षेत्र में घर की बालकनी, छत पर बिना मिट्टी और बहुत कम पानी के साथ किसानी करना आसान हो गया है. लोग थोड़े निवेश से अब किचन गार्डन में ऑर्गेनिक सब्जियां उगा रहे हैं. यह तकनीक है हाइड्रोपोनिक्स. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी (CAZRI) इसे बढ़ावा दे रहा है. इसके लिए यहां हाइड्रोपोनिक्स ईकाई स्थापित की गई है, जिससे शहरी व ग्रामीण किसानों को जानकारी दी जाती है.

काजरी के निदेशक डॉ ओपी यादव का कहना है​ कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से 80 से 90 फीसदी पानी की बचत की जा सकती है. इससे उत्पादित होने वाले क्रॉप हाईवैल्यू होते हैं. किसान को बाजार से जुड़ना चाहिए. ये इतना आसान है कि किसान अपने खेत में छोटे पॉली हाउस या फिर कंटेनर में भी इसकी खेती कर सकते हैं.

पढ़ें. Organic Farming in Bharatpur: जैविक आंवला और अमरूद स्वाद में लाजवाब के साथ कमाई में भी दमदार, अरब तक हो रही सप्लाई

वर्टिकल टावर में खेती : काजरी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ प्रदीप कुमार का कहना है कि यह तकनीक शहरी क्षेत्र में ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि यहां लोगों के पास जगह नहीं होती है. ऐसे में वे छत या बालकनी में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल कर छोटी खेती कर सकते हैं. इसके अलावा इस तकनीक से 6 से 8 फीट के वर्टिकल टावर लगाकर भी खेती की जा सकती है. एक से दो वर्ग फीट के टावर की कीमत करीब 18 हजार आती है. इसमें 42 पौधे लगाए जा सकते हैं. इनको प्रति सप्ताह सिर्फ 25 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. जबकि सामान्य खेती में इतने पौधे के लिए 50 वर्ग फीट जगह चाहिए होती है.

पानी में ही मिलाए जाते हैं पोषक तत्व : डॉ प्रदीप कुमार के मुताबिक इस खेती में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में छोटे-छोटे कप में पौधे विकसित होते हैं. इनकी जड़ें हमेशा गिली रहती है. बहुत धीमी गति से पानी पूरे टेबल या टावर में सप्लाई होता है, जिसमें मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. इससे पौधा विकसित होता है और उसमें किसी तरह के कीट नहीं लगते हैं. इसमें सामान्य खेती से 90 फीसदी कम कीटनाशक का उपयोग होता है.

Hydroponics Technique for Farming
छत या बालकनी में कर सकते हैं सेटअप

पढ़ें. Special : IIT पासआउट जॉब छोड़ कर रहे इनडोर फार्मिंग, यह तकनीक क्लाइमेट में भी कर सकती है बदलाव

पत्तेदार सब्जियां ज्यादा उगाते हैं : हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की खेती में पूरे साल फसल लगाई जा सकती है. इसके लिए तापमान का ध्यान रखना होता है. इस तकनीक से पत्तेदार सब्जियां जैसे लेट्यूस, केलेरी, पार्सेली, बासिल उगाए जा सकते हैं. ये सभी सब्जियां बड़े रेस्टोरेंट्स में सलाद के लिए उपयोग में लिए जाते हैं. इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं. इसके अलावा पत्तागोभी, फूलगोभी, खीरा, चेरी टमाटर की फसल भी लगाई जाती है. इसके अलावा अन्य सब्जियां भी उगा सकते हैं. सामान्य खेती और इस उत्पादन की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होती है. खेतों में कभी कभी प्रदूषण का असर सब्जियों पर होता है, जबकि घर या छत पर होने वाले उत्पादन प्रदूषण से बचे रहते हैं.

बच्चों को खेती से जोड़ने का नवाचार : काजरी में लगी इस इकाई को देखने के लिए स्कूली छात्र भी आते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि खेती के परंपरागत तरीके से दूर होते बच्चों में नई तकनीक उन्हें इससे जोड़ने में सहायक होती है. बच्चों में उत्सुकता रहती है कि खेत में फावड़ा चलाने के बजाय वे इस तरीके से भी खेती कर कमाई कर सकते हैं. घरों में तीन से चार टावर लगाकर जागरूक महिलाएं भी प्रतिदिन की ताजी सब्जिया प्राप्त कर सकती हैं. साथ ही वे इससे कमा भी सकती हैं.

पढ़ें. Button Mushroom Farming : एक बीघा जमीन से हर महीने लाखों कमा रहे अजीराम, खरीदारों की लगी भीड़

ऐसे होती है हाइड्रोपोनिक्स खेती : इस खेती में टेबल स्टेंड लगाए जाते हैं, जिनमें पानी का प्रवाह होता है. एक निश्चित अंतराल के बाद पौधों के लिए कप लगाए जाते हैं. पानी का प्रवाह ​बना रहे इसके लिए स्टेंड या वर्टिकल टावर से सीधे पाईप जोड़ा जाता है. इसके लिए अलग से पानी की टंकी लगाई जाती है. लंबे स्टैंड की स्थिति में टंकी से पानी का प्रेशर बना रहे इसके लिए मोटर लगाई जाती है. पोधों के कप में जड़ें खड़ी रहे इसके लिए सामान्य क्लेबॉल डाली जाती है.

एरोपोनिक्स भी कारगर : हाइड्रोपोनिक्स की तरह ही एरोपोनिक्स पद्धति से भी खेती होती है. यह खेती जमीन पर होती है. इसमें भी बड़ी मात्रा में पानी बचाया जा सकता है. इस तकनीक में पॉली हाउस बनाकर छोटे छोटे सिप्रंक्लर लगते हैं. ये जड़ों में नाम मात्र का पानी स्प्रे करते रहते हैं. इस तकनीक में वर्टिकल खेती ज्यादा सफल होती है. खासकर टमाटर व खीरा पूरे साल उत्पादित किया जाता है. इसमें पौधे के बजाय टमाटर बेल के रूप पर लगते हैं.

बिना मिट्टी के उगाएं सब्जियां

जोधपुर. शहरी क्षेत्र में घर की बालकनी, छत पर बिना मिट्टी और बहुत कम पानी के साथ किसानी करना आसान हो गया है. लोग थोड़े निवेश से अब किचन गार्डन में ऑर्गेनिक सब्जियां उगा रहे हैं. यह तकनीक है हाइड्रोपोनिक्स. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी (CAZRI) इसे बढ़ावा दे रहा है. इसके लिए यहां हाइड्रोपोनिक्स ईकाई स्थापित की गई है, जिससे शहरी व ग्रामीण किसानों को जानकारी दी जाती है.

काजरी के निदेशक डॉ ओपी यादव का कहना है​ कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से 80 से 90 फीसदी पानी की बचत की जा सकती है. इससे उत्पादित होने वाले क्रॉप हाईवैल्यू होते हैं. किसान को बाजार से जुड़ना चाहिए. ये इतना आसान है कि किसान अपने खेत में छोटे पॉली हाउस या फिर कंटेनर में भी इसकी खेती कर सकते हैं.

पढ़ें. Organic Farming in Bharatpur: जैविक आंवला और अमरूद स्वाद में लाजवाब के साथ कमाई में भी दमदार, अरब तक हो रही सप्लाई

वर्टिकल टावर में खेती : काजरी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ प्रदीप कुमार का कहना है कि यह तकनीक शहरी क्षेत्र में ज्यादा लोकप्रिय है, क्योंकि यहां लोगों के पास जगह नहीं होती है. ऐसे में वे छत या बालकनी में हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल कर छोटी खेती कर सकते हैं. इसके अलावा इस तकनीक से 6 से 8 फीट के वर्टिकल टावर लगाकर भी खेती की जा सकती है. एक से दो वर्ग फीट के टावर की कीमत करीब 18 हजार आती है. इसमें 42 पौधे लगाए जा सकते हैं. इनको प्रति सप्ताह सिर्फ 25 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. जबकि सामान्य खेती में इतने पौधे के लिए 50 वर्ग फीट जगह चाहिए होती है.

पानी में ही मिलाए जाते हैं पोषक तत्व : डॉ प्रदीप कुमार के मुताबिक इस खेती में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में छोटे-छोटे कप में पौधे विकसित होते हैं. इनकी जड़ें हमेशा गिली रहती है. बहुत धीमी गति से पानी पूरे टेबल या टावर में सप्लाई होता है, जिसमें मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्व मिलाए जाते हैं. इससे पौधा विकसित होता है और उसमें किसी तरह के कीट नहीं लगते हैं. इसमें सामान्य खेती से 90 फीसदी कम कीटनाशक का उपयोग होता है.

Hydroponics Technique for Farming
छत या बालकनी में कर सकते हैं सेटअप

पढ़ें. Special : IIT पासआउट जॉब छोड़ कर रहे इनडोर फार्मिंग, यह तकनीक क्लाइमेट में भी कर सकती है बदलाव

पत्तेदार सब्जियां ज्यादा उगाते हैं : हाइड्रोपोनिक्स तकनीक की खेती में पूरे साल फसल लगाई जा सकती है. इसके लिए तापमान का ध्यान रखना होता है. इस तकनीक से पत्तेदार सब्जियां जैसे लेट्यूस, केलेरी, पार्सेली, बासिल उगाए जा सकते हैं. ये सभी सब्जियां बड़े रेस्टोरेंट्स में सलाद के लिए उपयोग में लिए जाते हैं. इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं. इसके अलावा पत्तागोभी, फूलगोभी, खीरा, चेरी टमाटर की फसल भी लगाई जाती है. इसके अलावा अन्य सब्जियां भी उगा सकते हैं. सामान्य खेती और इस उत्पादन की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं होती है. खेतों में कभी कभी प्रदूषण का असर सब्जियों पर होता है, जबकि घर या छत पर होने वाले उत्पादन प्रदूषण से बचे रहते हैं.

बच्चों को खेती से जोड़ने का नवाचार : काजरी में लगी इस इकाई को देखने के लिए स्कूली छात्र भी आते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि खेती के परंपरागत तरीके से दूर होते बच्चों में नई तकनीक उन्हें इससे जोड़ने में सहायक होती है. बच्चों में उत्सुकता रहती है कि खेत में फावड़ा चलाने के बजाय वे इस तरीके से भी खेती कर कमाई कर सकते हैं. घरों में तीन से चार टावर लगाकर जागरूक महिलाएं भी प्रतिदिन की ताजी सब्जिया प्राप्त कर सकती हैं. साथ ही वे इससे कमा भी सकती हैं.

पढ़ें. Button Mushroom Farming : एक बीघा जमीन से हर महीने लाखों कमा रहे अजीराम, खरीदारों की लगी भीड़

ऐसे होती है हाइड्रोपोनिक्स खेती : इस खेती में टेबल स्टेंड लगाए जाते हैं, जिनमें पानी का प्रवाह होता है. एक निश्चित अंतराल के बाद पौधों के लिए कप लगाए जाते हैं. पानी का प्रवाह ​बना रहे इसके लिए स्टेंड या वर्टिकल टावर से सीधे पाईप जोड़ा जाता है. इसके लिए अलग से पानी की टंकी लगाई जाती है. लंबे स्टैंड की स्थिति में टंकी से पानी का प्रेशर बना रहे इसके लिए मोटर लगाई जाती है. पोधों के कप में जड़ें खड़ी रहे इसके लिए सामान्य क्लेबॉल डाली जाती है.

एरोपोनिक्स भी कारगर : हाइड्रोपोनिक्स की तरह ही एरोपोनिक्स पद्धति से भी खेती होती है. यह खेती जमीन पर होती है. इसमें भी बड़ी मात्रा में पानी बचाया जा सकता है. इस तकनीक में पॉली हाउस बनाकर छोटे छोटे सिप्रंक्लर लगते हैं. ये जड़ों में नाम मात्र का पानी स्प्रे करते रहते हैं. इस तकनीक में वर्टिकल खेती ज्यादा सफल होती है. खासकर टमाटर व खीरा पूरे साल उत्पादित किया जाता है. इसमें पौधे के बजाय टमाटर बेल के रूप पर लगते हैं.

Last Updated : Feb 18, 2023, 6:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.