जोधपुर. सूर्यनगरी की प्यास बुझाने के लिए 1996 में इंदिरा गांधी नहर का पानी जोधपुर (Himalayan Water In Jodhpur) पहुंचा था. इसके लिए राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल बनाई गई थी. समय के साथ साथ जनसंख्या बढ़ने और शहर के बाद आस पास के गांवों में जल वितरण से नहर का पानी कम पड़ने लगा. इसको लेकर लंबे समय से इस बात की कवायद चल रही थी कि लिफ्ट कैनाल की क्षमता बढ़ाई जाए. इस प्रक्रिया में व्यवधान पड़ा. जिसकी वजह केंद्र और विदेशी सहयोग में हो रही देरी थी. इसके बाद गहलोत सरकार ने बजट घोषणा कर इसकी स्वीकृति दी. तब जाकर अब काम शुरू हो रहा है.
योजनानुसार 2025 तक 213 किमी लंबी पाइप लाइन बिछाई जाएगी. जिससे पानी की कमी पूरी हो सके. परियोजना वर्ष 2054 को ध्यान में रखकर बनाई गई है. इतना ही नहीं इसके साथ ही इंदिरा गांधी मुख्य कैनाल पर एक डिग्गी का भी निर्माण करवाया जायेगा जिसमे 70 दिन के उपयोग के लिए पानी स्टोरेज की क्षमता होगी. इससे हर साल होने वाले क्लोजर की वजह होने वाली परेशानी से निजात मिलेगी.
जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता नीरज माथुर ने बताया कि राजीव गांधी लिफ्ट नहर परियोजना तृतीय चरण की प्रशासनिक स्वीकृति वर्ष 2017 में 1,454 करोड़ रुपए की जारी की गई थी. जिसे जेआईसीए लोन प्रक्रिया में देरी के कारण राज्य सरकार ने राज्य मद में जेजेएम शहरी के तहत वित्त पोषण का निर्णय लिया. उन्होंने बताया कि लागत राशि बढ़ने और पाली जिले के अतिरिक्त 34 गांव सम्मिलित होने के कारण योजना की संशोधित डीपीआर राशि 1,799 करोड़ की बनाई गई, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी. 11 मई को एल एंड टी कंपनी को इसके कार्य आदेश जारी कर दिए गए हैं. योजना का काम 2025 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. तीन साल में परियोजना पूरी होने के दौरान ही आईएनजीपी पर एक डिग्गी बनेगी जिसे बड़े जलाशय के रूप् में क्लोजर के दौरान काम में लिया जाएगा. विश्वास है कि जिससे कम से कम परेशानी होगी.
पाइप लाइन से आएगा पानी: वर्तमान में मदासर से जोधपुर तक लिफ्ट कैनाल खुली है. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी दिया जाता है लेकिन तीसरे चरण में नहर पाइप लाइन के रूप में आएगी. मदासर से जोधपुर तक की 213 किमी में कहीं पर भी बीच में पानी नहीं दिया जाएगा. सीधा जोधपुर पानी आएगा. इसके लिए स्टील की 2 मीटर और 1.8 मीटर मोटाई वाली पाइप लाइन मदासर गांव के पास प्रस्तावित एस्केप Reservoir से जोधपुर तक बिछाई जाएगी. ये लाईन राजीव गांधी नहर के साथ-साथ ही चलेगी. इसमें कुल चार उच्च क्षमता के पंप हाउस भी बनाए जाएंगे. योजना के क्रियान्वयन के बाद वर्तमान राजीव गांधी नहर को साथ में उपयोग करते हुए वर्ष 2054 तक की शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की पेयजल मांग की पूर्ति हो सकेगी.
योजना में कुल 2167 गांव को होगा फायदा: थर्ड स्टेज की इस योजना से जोधपुर शहर, फलोदी, पीपाड़, बिलाड़ा, भोपालगढ़ व समदड़ी कस्बे और जोधपुर जिले के 1830 गांव, बाड़मेर के 211 गांव, पाली के 126 गांव, कुल 2167 गांवो को फायदा (Many Villages Will be Benefited By Rajiv Gandhi Lift Canal Project) पहुंचेगा. इनके अतिरिक्त योजना में रोहट में प्रस्तावित डीएमआईसी की भी 60 एमएलडी मांग इसमें शामिल की गई है.
हिमालय के रास्ते मरुभूमि पहुंचता पानी: करीब 800 किलोमीटर का सफर तय कर हिमालय जल राजस्थान पहुंचता है. हिमाचल की व्यास नदी पर बना पौंग डेम जोधपुर की प्यास बुझाता है. इसके साथ ही रावी नदी पर बने हरिके बैराज से भी कल-कल करता जल इंदिरा गांधी नहर के जरिए जोधपुर को तर करता है. पंजाब हरियाणा में नहर 204 किमी का सफर तय करती है. इसके बाद राजस्थान में 445 किमी तक की इसकी लम्बाई है. इस तरह इंदिरा गांधी नहर के मदासर से 205 किलोमीटर लंबी राजीव गांधी लिफ्ट नहर के जरिये हिमालय का पानी जोधपुर पहुंचता है. जोधपुर तक पानी पहुंचाने के लिए इसे 240 मीटर तक लिफ्ट करना पड़ता है. यहीं मदासर से जोधपुर तक ओपन कैनाल के साथ साथ पाइप लाइन बिछाई जा रही है.