जोधपुर. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत दोनों एक ही शहर से आते हैं, लेकिन दोनों अलग-अलग सियासी दलों से ताल्लुक रखते हैं. अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि विचारधारा पृथक होने के बावजूद नेताओं के आपसी संबंध मधुर होते हैं, लेकिन मारवाड़ के इन दोनों नेताओं की सियासी अदावत लगातार गहरी होती जा रही है. दोनों नेताओं के बीच अब अदालती दाव पेंच में शह-मात का खेल शुरू हो गया है.
आगामी 7 अगस्त को शेखावत की ओर से दिल्ली में दायर मानहानि मामले में सीएम गहलोत को कोर्ट में पेश होना है तो वहीं, बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट में संजीवनी मामले में शेखावत की गिरफ्तारी पर लगी रोक के खिलाफ सरकार की तरफ से दायर अर्जी पर सुनवाई होनी है. ऐसे में अगर शेखावत की गिरफ्तारी से रोक हटती है तो गहलोत फिर से मजबूत होकर उबरेंगे, बावजूद इसके सबकी नजर आगामी 7 अगस्त को मानहानि मामले में दिल्ली में होने वाली सुनवाई पर होगी.
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संजीवनी मामले ने बढ़ाई तल्खियां - सरकार के सियासी संकट से उबरने के बाद सीएम गहलोत ने संजीवनी मामले की जांच एसओजी को सौंप दी. इसके बाद मामले में कई गिरफ्तारियां हुई. इसी साल 19 फरवरी को सीएम ने जोधपुर में संजीवनी के निवेशकों से मुलाकात की थी. इसके बाद सर्किट हाउस में मीडिया से रुबरु हुए गहलोत ने पहली बार यह कहा था कि संजीवनी मामले में बचने के लिए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जेड सिक्योरिटी ली है. शेखावत को जनता के सामने आकर अपनी स्थिति साफ कर देनी चाहिए. गहलोत ने कहा था कि उनके परिवार के लोग भी इसमें शामिल हैं. जिसके बाद शेखावत ने अपनी मां का नाम लिए जाने से आहत होकर दिल्ली कोर्ट में गहलोत के खिलाफ मानहानि का दावा किया.
सरकार ने पेश की रिपोर्ट - मार्च में दिल्ली कोर्ट में दायर मानहानि के मामले के बाद शेखावत की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में संजीवनी मामले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर कोर्ट में याचिका लगाई गई. सरकार की ओर से हाईकोर्ट में एसओजी की एक रिपोर्ट पेश की गई थी. जिसमें तथ्य पेश किए गए कि शेखावत की इस मामले में भूमिका है, लेकिन सरकारी वकील ढंग से कोर्ट में अपनी बात रख नहीं पाए. इसके चलते शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक लग गई, तब गहलोत ने फिर बयान दिया था कि बचने के लिए शेखावत सीबीआई से जांच की मांग कर रहे हैं.