जोधपुर. आमतौर पर हैंडीक्राफ्ट, यानी लकड़ी पर कारीगिरी यही सोच के साथ ही व्यक्ति, हैंडीक्राफ्ट की तस्वीर अपने दिमाग में बनाता है. लेकिन, जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट के नए-नए रूप देखने को मिलते हैं. यहां के वृहद हैंडीक्राफ्ट बाजार में कारोबारियों की कल्पना शक्ति के नए-नए उदाहरण देखने को मिलते हैं. शहर में चल रहे हस्तशिल्प मेले में कबाड़ से नायाब चीजें बनी हुई नजर आती है. यह भी जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स की सोच है जो आज दुनिया के 40 देशों में एक्सपोर्ट की जा रही है.
इस मेले के लिए विशेष रूप से एक्सपोर्टर अजय शर्मा ने पूरा एक डोम बनाया. जिसमें कबाड़ से बनाए गए सेटेलाइट की लॉन्चिंग नजर आती है. साथ ही पूरा सौरमंडल और तारामंडल भी इसके अलावा पुरानी साइकिल हो या साइकिल के रिम, पुराने स्कूटर चार पहिया वाहनों के बोनट सभी को जब लोग
कबाड़ समझकर कबाड़ी को दे देते हैं. तो, जोधपुर के एक्सपोर्टर उसमें भी कुछ न कुछ नया तलाशते हैं और उसे नया रूप दे देते हैं.
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अजय शर्मा ने बताया कि हमारा प्रयास होता है कि हर वेस्ट को बेस्ट बनाते हुए उपयोगी कैसे बनाया जाए. मेले के लिए विशेष रूप से उन्होंने चरखे से आईटी क्रांति की थीम पर कबाड़ को नया रूप दिया. इस मेले में गांधीजी के तीन बंदर भी पूरी तरह से कबाड़ के बनाए गए हैं जिसमें छोटे बियरिंग और साइकिल में चैन के चक्कों को लगाया गया है.
मेला संयोजक सुनील परिहार बताते हैं कि हमारे हस्तशिल्पी और आर्टिजंस की यह बहुत बड़ी सोच है जिसने कबाड़ को नया रूप दिया है और हमारा प्रयास होता है कि हम इस तरह के स्टार्टअप को हमेशा आगे बढ़ाएं और इस तरह के मेले के आयोजन से इन्हें ख्याति मिलती है.