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21 साल के बेटे ने दिया पिता को लिवर, एम्स जोधपुर में पहला सफल लाइव लिवर ट्रांसप्लांट

जोधपुर एम्स में पहला सफल लाइव लिवर ट्रांसप्लांट (First Live Liver Transplant in AIIMS Jodhpur) किया गया. 21 साल के बेटे में अपने पिता को लिवर ट्रांसप्लांट किया है.

बेटे ने दिया पिता को लिवर
बेटे ने दिया पिता को लिवर
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Published : Feb 12, 2023, 11:06 PM IST

जोधपुर. एम्स जोधपुर के डॉक्टरों की टीम ने इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज नई दिल्ली के सहयोग से पश्चिमी राजस्थान में पहला सफल लिवर प्रत्यारोपण किया गया. यह सरकारी क्षेत्र के भीतर राजस्थान में पहला सफल लिविंग डोनर लीवर ट्रांसप्लांट (एलडीएलटी) है. 21 साल के एक बेटे ने अपने पिता को लिवर ट्रांसप्लांट किया है.

एम्स के कार्यकारी निदेशक कर्नल सीडीएस कटोच के अनुसार जोधपुर शहर निवासी 49 वर्षीय पुरुष अपने लिवर खराब होने के कारण लंबे समय से बीमार चल रहा था. उपचार के लिए कई केंद्रों पर जाने पर जोधपुर एम्स में जांच के बाद उन्हें एम्स, जोधपुर में डॉक्टरों की टीम की ओर से लिवर ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया गया. इसके लिए उनके 21 वर्षीय बेटे ने अपने लिवर का एक हिस्सा अपने बीमार पिता को डोटेन कर दिया. 11 फरवरी को लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी करीब दस घंटे तक चला. लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है.

पढ़ें. राजस्थान: SMS अस्पताल में पहला स्किन डोनेशन, जयपुर की अनिता गोयल के परिजनों ने की स्किन डोनेट

50 लोगों की टीम बनाई गई
सर्जरी की इस टीम में सर्जन, हेपेटोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, नर्सिंग अधिकारी और तकनीशियन सहित 50 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल थे. आईएलबीएस, नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर शिव कुमार सरीन ने डॉ. निहार रंजन महापात्रा और डॉ. अनुभव पंवार सहित आईएलबीएस के प्रत्यारोपण सर्जिकल टीम को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रोफेसर विनियेंद्र पामेचा लिवर प्रत्यारोपण करने के लिए प्रमुख सर्जन थे.

उनके साथ एम्स जोधपुर के डॉ. वैभव वार्ष्णेय, डॉ सुभाष सोनी, डॉ सेल्वाकुमार बी, डॉ. पीयूष वार्ष्णेय, डॉ. लोकेश अग्रवाल शामिल थे. एनेस्थिस्या की टीम में डॉ. गौरव सिंदवानी, डॉ. सरवनन मुथुसामी, डॉ. प्रदीप भाटिया आदि शामिल थे.

पढ़ें. SMS Hospital : ट्रॉमा सेंटर में पहला स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सफल, 7 साल के ब्लड कैंसर पेशेंट को मिली नई जिंदगी

क्या होता है एलडीएलटी
लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट (एलडीएलटी) एक जटिल ऑपरेशन है. इसमें एक स्वस्थ दानदाता से उसके लिवर (यकृत) के एक हिस्से का प्रयोग पेशेंट के खराब हुए लिवर को बदलने के लिए किया जाता है. क्योंकि मानव शरीर में लिवर एक ऐसा अंग है जिसके एक हिस्से को बदलने पर वह हिस्सा स्वत रिजेनरेट होता है जो धीरे-धीरे पूरे स्वरूप में आ जाता है. इससे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. एम्स जोधपुर के उप निदेशक (प्रशासन) एनआर बिश्नोई ने बताया कि एम्स जोधपुर में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग विभिन्न प्रकार की जटिल हेपेटो-अग्नाशय-पित्त सर्जरी की सुविधा दी जा रही है.

जोधपुर. एम्स जोधपुर के डॉक्टरों की टीम ने इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज नई दिल्ली के सहयोग से पश्चिमी राजस्थान में पहला सफल लिवर प्रत्यारोपण किया गया. यह सरकारी क्षेत्र के भीतर राजस्थान में पहला सफल लिविंग डोनर लीवर ट्रांसप्लांट (एलडीएलटी) है. 21 साल के एक बेटे ने अपने पिता को लिवर ट्रांसप्लांट किया है.

एम्स के कार्यकारी निदेशक कर्नल सीडीएस कटोच के अनुसार जोधपुर शहर निवासी 49 वर्षीय पुरुष अपने लिवर खराब होने के कारण लंबे समय से बीमार चल रहा था. उपचार के लिए कई केंद्रों पर जाने पर जोधपुर एम्स में जांच के बाद उन्हें एम्स, जोधपुर में डॉक्टरों की टीम की ओर से लिवर ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया गया. इसके लिए उनके 21 वर्षीय बेटे ने अपने लिवर का एक हिस्सा अपने बीमार पिता को डोटेन कर दिया. 11 फरवरी को लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी करीब दस घंटे तक चला. लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है.

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50 लोगों की टीम बनाई गई
सर्जरी की इस टीम में सर्जन, हेपेटोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, नर्सिंग अधिकारी और तकनीशियन सहित 50 से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल थे. आईएलबीएस, नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर शिव कुमार सरीन ने डॉ. निहार रंजन महापात्रा और डॉ. अनुभव पंवार सहित आईएलबीएस के प्रत्यारोपण सर्जिकल टीम को जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. प्रोफेसर विनियेंद्र पामेचा लिवर प्रत्यारोपण करने के लिए प्रमुख सर्जन थे.

उनके साथ एम्स जोधपुर के डॉ. वैभव वार्ष्णेय, डॉ सुभाष सोनी, डॉ सेल्वाकुमार बी, डॉ. पीयूष वार्ष्णेय, डॉ. लोकेश अग्रवाल शामिल थे. एनेस्थिस्या की टीम में डॉ. गौरव सिंदवानी, डॉ. सरवनन मुथुसामी, डॉ. प्रदीप भाटिया आदि शामिल थे.

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क्या होता है एलडीएलटी
लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट (एलडीएलटी) एक जटिल ऑपरेशन है. इसमें एक स्वस्थ दानदाता से उसके लिवर (यकृत) के एक हिस्से का प्रयोग पेशेंट के खराब हुए लिवर को बदलने के लिए किया जाता है. क्योंकि मानव शरीर में लिवर एक ऐसा अंग है जिसके एक हिस्से को बदलने पर वह हिस्सा स्वत रिजेनरेट होता है जो धीरे-धीरे पूरे स्वरूप में आ जाता है. इससे मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है. एम्स जोधपुर के उप निदेशक (प्रशासन) एनआर बिश्नोई ने बताया कि एम्स जोधपुर में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग विभिन्न प्रकार की जटिल हेपेटो-अग्नाशय-पित्त सर्जरी की सुविधा दी जा रही है.

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