बिलाड़ा (जोधपुर). जहां एक ओर इमारत बनाने के लिए लोग हरे पेड़ों की कटाई धड़ल्ले से कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उखाड़े गए पेड़ों को फिर लगाने की कवायद कर रहे हैं. जी हां.. हम जोधपुर के ऐसे ही लोगों के एक प्रयास की बात कर रहे हैं. जहां एक किसान ने 33 खेजड़ी के पेड़ों को उखाड़ दिया तो पर्यावरण प्रेमियों ने उन्हें फिर से लगाया है.
जिले की मंडोर पंचायत समिति के दईकड़ा बुधनगर गांव की सरहद में सोमवार को एक खातेदारी खेत मालिक पीराराम जाट ने हरे राज्य वृक्ष खेजड़ी के 33 पेड़ों को उखाड़ कर जमींदोज कर दिया था. इसकी जानकारी मिलने पर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम चलाने वाले पर्यावरण प्रेमियों ने इसका विरोध करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के सामने आपत्ति दर्ज कराई. लेकिन मौके पर आए पटवारी ने महज जुर्माना वसूलने की कार्रवाई का नोटिस देते हुए इतिश्री कर ली थी.
शुक्रवार को मनाए जा रहे विश्व पर्यावरण दिवस पर उखाड़े पेड़ों को फिर से जिंदा करने की ठानकर उखाड़े गए सभी 33 पेड़ों को उसी स्थान पर जेसीबी की सहायता से फिर से रोपा गया है. पिछले दो दिनों से गुरुवार रात तक इन पेड़ों को खड़ा कर जीवनदान देने में करीब 20 पर्यावरण प्रेमी जुटे हुए हैं. वहीं पर्यावरण प्रेमियों की शिकायत पर राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 की धारा 84 के तहत एसडीएम ने किसान पीराराम को नोटिस देते हुए 3 दिन में स्पष्टीकरण मांगा.
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इन पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि फिर से रोपे गए पेड़ों की देखभाल का जिम्मा 2 माह तक उन्हीं के कंधों पर है. अगर इन पर्यावरण प्रेमियों की मेहनत सफल हुई तो यह पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नई इबारत लिखी जा सकती है.
क्या है टेनेंसी एक्ट ?
राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1956 की धारा 84 में सजा का कोई प्रावधान नहीं है. यह कानून इतना लचीला है कि इसमें राज्यवृक्ष खेजड़ी को काटने वाले व्यक्ति से महज 100 रुपये जुर्माना वसूला जाता है और उसको किसी प्रकार की कोई सजा नहीं मिलती है. पर पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से हरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाना पर्यावरण दोहन की श्रेणी में आता है.
खातेदारी की है जमीन
किसान पीराराम पुत्र बस्तीराम का खेत खातेदारी कृषि भूमि में आया हुआ है. उसने 5 दिन पहले 33 राज्य वृक्ष खेजड़ी के पेड़ बिना प्रशासन की अनुमति के उखड़वा दिए थे, जो राजस्थान टेनेंसी एक्ट 1955 की धारा 84 के तहत दंडनीय अपराध है. पेड़ों को वापस खड़ा करने में 12 घंटे से अधिक का समय लगा. जेसीबी, हाइड्रो, पानी के टैंकर, यूरिया, खाद, कृषि वैज्ञानिक को लाना-ले जाना आदि मिलाकर हमारे करीब 30 हजार रुपये खर्च हुए. इस काम को 20 से अधिक पर्यावरण प्रेमियों ने मिलकर पूरा किया और अब हम 2 महीने तक इनके हरा-भरा होने तक पूरी सार संभाल करेंगे.
20 से ज्यादा लोगों ने 12 घंटे काम किया
पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि इसके लिए खेत मालिक से सहयोग मांगा तो पहले तो उसने इसके लिए सहमति दे दी, लेकिन बाद में उसने यह कहते हुए सहयोग नहीं किया कि मुझे टेनेंसी एक्ट में जुर्माना देना है तो मैं एक जगह की राशि वहन कर सकता हूं. उसने फिर से पेड़ लगवाने में जरूर सहयोग किया.