जोधपुर. अयोध्या में भव्य राम मंदिर की आगामी 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होगी. राम मंदिर के लिए कई कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, जिसमें जोधपुर के प्रोफेसर महेंद्रनाथ अरोड़ा भी शामिल थे. प्रो. अरोड़ा के परिवार को भी समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. उनकी पुत्री वीरा अरोड़ा ने बताया कि वो अयोध्या जाएंगी, क्योंकि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर उनके पिता का सपना था. आज वो बहुत खुश हैं, लेकिन उन्हें अफसोस है कि आज उनके पिता इस पावन उत्सव में शामिल होने के लिए स्वयं मौजूद नहीं हैं.
मेरे पिता ने राम मंदिर के लिए दिया बलिदान : उन्होंने कहा, ''यह हमारे लिए बहुत भावुक पल है, क्योंकि इस पल का हमें बेसब्री से इंतजार था. मेरे पिता प्रो. महेंद्रनाथ अरोड़ा राम मंदिर बनने का सपना देखा करते थे और इसी मंदिर के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी.'' वहीं, प्रो. महेंद्रनाथ अरोड़ा के पुत्र नरेंद्रनाथ ने कहा, ''मैं उस महान व्यक्ति के घर पैदा हुआ हूं, जिन्होंने राम मंदिर के लिए बलिदान दिया और जोधपुर में उनके पिता की स्मृति में एक चौराहा भी बनाया गया है.''
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वीएचपी की जोधपुर में स्थापना करने वाले थे अरोड़ा : वीरा अरोड़ा ने बताया, ''जोधपुर में विश्व हिंदू परिषद की स्थापना करने वालों में उनके पिता भी शामिल थे. उन्होंने जीवनभर सनातन धर्म के लिए काम किया. राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रहे और आज राम मंदिर बन चुका है. उसमें मेरे पिता के अलावा कई कारसेवक शामिल थे, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी थी. कई के नाम सामने आए तो कई अनाम ही राम भक्ति में आहुत हो गए.'' वीरा ने कहा, ''पिताजी के जाने के बाद अक्सर उनकी मां कहा करती थी कि एक दिन उनका बलिदान जरूर रंग लाएगा. राम मंदिर बनके रहेगा और आज उनके पिता का सपना साकार हो चुका है.''
कभी नहीं सोचा था कि अयोध्या में गोली चलेगी : वीरा ने कहा, ''हमें इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि राम मंदिर के लिए कभी गोली चलेगी. इस आंदोलन से पहले पिताजी आपातकाल में भी जेल जा चुके थे. मां सुमति देवी भी एबीवीपी से जुड़ी थीं इसलिए आंदोलन में वे जाते तो हम सब आश्वस्त रहते थे, लेकिन कारसेवा में ऐसा हो जाएगा कभी सोचा भी नहीं था. जब सूचना मिली तो हम सब अवाक रह गए थे. हमारे लिए उनका जाना गहरा सदमा था. पिताजी के जाने के बाद दो भाई भी सड़क दुर्घटना में चले गए.''
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अयोध्या में मौजूद अंकल ने पहचाना था पापा को : स्वर्गीय प्रो. अरोड़ा के पुत्र नरेंद्रनाथ ने बताया, ''30 अक्टूबर, 1990 को प्रो. महेंद्रनाथ अरोड़ा जोधपुर से अयोध्या करसेवा के लिए रवाना हुए थे. 2 नवंबर की सुबह उनको गोली लगी. वहां पर एक भारतीय वायु सेना के जवान मौजूद थे, जिन्हें हम रैना अंकल कहते थे. उन्होंने शव को पहचाना था. इसके बाद पापा की जेब से उनका कार्ड बरामद हुआ था. वहीं, रैना अंकल ने इसकी सूचना दी थी. इसके बाद 5 नवंबर को जोधपुर में उनके पिता का अंतिम संस्कार हुआ था.''
अध्यापन के साथ करते थे धर्म की सेवा : प्रो. महेंद्रनाथ अरोड़ा जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में इंग्लिश के प्रोफेसर थे. उनका एनसीसी से भी जुड़ाव था. यूनिवर्सिटी में क्लासेस के बाद वो विश्व हिंदू परिषद से जुड़े काम करते थे. उनकी पत्नी भी केमस्ट्री की प्रोफेसर थीं, जो विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थीं और परिषद की गतिविधियों में शामिल होकर काम किया करती थीं.