जोधपुर. 'लोग कहते हैं कि शादी कर लो, मैंने कभी जवाब नहीं दिया, लेकिन आज देती हूं. मेरे हाथों में शादी की लकीरें नहीं, सेंट्रल जेल की लकीरें थीं'. ओसियां से दूसरी बार विधायक के लिए नामांकन भरने के बाद सोमवार को अपनी रैली को संबोधित करते हुए दिव्या मदेरणा ने ये बातें कहीं. इस दौरान उन्होंने विरोधियों पर जमकर हमला बोला. साथ ही विक्टिम कार्ड भी खेला.
रैली के दौरान दिव्या ने कहा कि मुझ पर निम्न से निम्न स्तर के वार किए गए. सोचिए अगर पिता जेल की सलाखों में हो तो बेटी शादी कैसे कर ले. उनकी एक-एक रात जेल में कैसे गुजरी होगी, ऐसे में बेटी को शादी करना शोभा नहीं देता है. मेरे भाग्य की लकीरों में सेंट्रल जेल थी. मैंने 10 साल वहां के फेरे किए हैं. पिता की सेवा करना ही मेरा कर्तव्य था. संबोधन के दौरान दिव्या मदेरणा ने अपने पिता की जेल की स्थिति और उपचार के हालात बताए. इस दौरान वह कई बार भावुक भी हो गईं. उन्होंने कहा कि मेरे पास अब सिर्फ एक ही काम है- ओसियां की जनता की सेवा करना. सभा में जिला प्रमुख और उनकी मां लीला मदेरणा सहित अन्य नेता मौजूद थे.
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मैंने 10 साल अपने जीवन के (एक दशक )यहाँ पर सजदे किए है। मेरी राजनीतिक पैदाइश इस दर्द और वेदना से हुई है । क्रूंदन और विरह जो नियति ने मेरे भाग्य में लिखा वही से मेरे राजनीतिक संघर्ष का आग़ाज़ हुआ । इस अभिशाप के साथ नियति ने मुझे फ़ोलाद की सलाख़ों से दोस्ताना कराया और उन सलाख़ों… pic.twitter.com/xAW7vELz6l
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शेरनी की तरह लडूंगी चुनाव : दिव्या मदरेणा ने कहा कि वो शेरनी की तरह चुनाव लड़ेंगी. कुछ लोग कहते हैं कि शेरनी को जंगल में भेज दो, वहां भूख-प्यास मिट जाएगी. शेरनी शेर के साथ ही रहती है. ओसियां विधायक ने कहा कि उन लोगों की इन बातों पर हंसी आती है, लेकिन क्या वो ऐसी बातें अपनी बेटी के साथ कर सकते हैं ? वो न भूखी हैं, न प्यासी हैं, वो तृप्त हैं. ओसियां की जनता के लिए हमेशा काम करती रहूंगी.
कार्यकर्ताओं में भरा जोश : दिव्या मदेरणा ने अपने कार्यकर्ताओं की टीम से कहा कि मुझे मेरे माता-पिता के बाद सबसे ज्यादा भरोसा आप पर है. मेरा एक-एक कार्यकर्ता कमांडर है. इनके लिए ही मुझे काम करना है.
नामांकन से पहले गईं जेल : दिव्या मदेरणा सोमवार को नामांकन से पहले जोधपुर सेंट्रल गईं. जेल के मुख्य द्वार पर जाकर अपने पिता को याद करते हुए हाथ जोड़ें. अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने लिखा - मैंने दस साल अपने जीवन के यहां पर सजदे किए हैं. मेरी राजनीतिक पैदाइश इस दर्द और वेदना से हुई है. क्रूंदन और विरह जो नियति ने मेरे भाग्य में लिखा वहीं से मेरे राजनीतिक संघर्ष का आगाज हुआ.