जोधपुर. राजस्थान की भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है. मंत्रिमंडल गठन में पार्टी ने सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया है, लेकिन राजपूत समाज कम प्रतिनिधित्व को लेकर नाराज है. समाज के लोगों का कहना है कि अगर भाजपा ने इस पर विचार नहीं किया तो लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा.
मारवाड़-राजपूत सभा के अध्यक्ष हनुमान सिंह खांगटा का कहना है कि राजपूत समाज 90 प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी को वोट देता है, लेकिन पार्टी देने के समय हमें इग्नोर करती है. मंत्रिमंडल में सिर्फ तीन राजपूत को मंत्री बनाया गया है, जबकि यह संख्या कम से कम पांच होनी चाहिए थी. रविवार को प्रेसवार्ता कर खांगटा ने कहा कि "भारतीय जनता पार्टी के अभी तक के विकास में राजस्थान में राजपूत समाज का महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन धीरे-धीरे समाज को प्रतिनिधित्व कम दिया जा रहा है. भाजपा को लगता है कि राजपूत हमेशा उनसे बंधे रहेंगे, ऐसा नहीं होगा. पार्टी को विचार करना होगा, नहीं तो लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा. समाज में हर स्तर पर इससे नाराजगी है."
पढ़ें. चुनाव में कांग्रेस की खिलाफत, मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भाजपा के विरोध में गुर्जर समाज
26 टिकट 16 प्रत्याशी जीते : खांगटा ने कहा कि भाजपा ने इस बार 26 राजपूत समाज के लोगों को प्रत्याशी बनाया था, इसमें से 16 लोग चुनाव जीत के आए. इसके अलावा, दो निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं. पार्टी को इसके अनुरूप जगह देनी चाहिए थी, लेकिन इस बार सिर्फ तीन मंत्री बनाए गए हैं. कई इलाकों में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है. खांगटा ने कहा कि किसी समाज को कितने पद दिए यह हमारा विषय नहीं है, लेकिन सबसे ज्यादा समर्थन देने वालों की अनदेखी सहन नहीं होगी.
सबसे ज्यादा जाट मंत्री बने : राज्य के मंत्रिमंडल में 30 विधायक मंत्री बन सकते हैं. अभी भाजपा ने 25 मंत्री बनाए हैं, जिसमें मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी शामिल हैं. खांगटा ने कहा कि इनमें सर्वाधिक चार मंत्री जाट जाति से हैं, जबकि भाजपा को जाट बाहुल्य इलाकों में उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिला. पार्टी को कई जगह नुकसान उठाना पड़ा. बता दें कि भाजपा ने इस बार राजपूत समाज से दीया कुमारी को उपमुख्यमंत्री बनाया, जबकि गजेंद्र सिंह खींवसर और कर्नल राजवर्धन सिंह राठौड़ को कैबिनेट में जगह दी है.