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जोधपुर में इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की बढ़ी डिमांड, ये मूर्तिकार लेता है IIT में क्लास

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 17, 2023, 7:20 PM IST

Ganesh Chaturthi 2023, जोधपुर में इस बार इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की मांग बढ़ी है. यही वजह है कि अबकी स्थानीय बाजारों में इन गणेश प्रतिमाओं की खरीदारी जारी है.

Demand for eco friendly Ganesh idols
Demand for eco friendly Ganesh idols
मूर्तिकार गोपाल प्रजापत

जोधपुर. गणेश चतुर्थी के अवसर पर घर-घर व गली-मोहल्लों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित होती है. ऐसे में इस बार जोधपुर में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बाजार में इको फ्रेंडली मूर्तियां बेची जा रही हैं. इन मूर्तियों की खास बात यह है कि पूजा के उपरांत इन्हें आसानी से विसर्जित किया जा सकेगा. छोटी मूर्तियों को घर में टब में पानी भरकर विसर्जित किया जा सकता है तो बड़ी प्रतिमाओं को तालाब में विसर्जन के लिए ले जाया जा सकेगा. इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा.

खास तौर से शहर के तालाब जहां पर मूर्तियों का विसर्जन होता है, वहां इको फ्रेंडली मूर्तियों के विसर्जन से जल में रहने वाले जीवों को कोई नुकसान नहीं होगा. इससे पहले शहर में प्लास्टर और पेरिस की मूर्तियों की बिक्री हुआ करती थी, जिनके तालाबों में विसर्जन पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद इको फ्रेंडली मूर्तियों का चलन बढ़ा है और आज शहर के प्रमुख बाजारों में इको फ्रेंडली मूर्तियां बिक रही हैं.

Demand for eco friendly Ganesh idols
जोधपुर में ईको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की डिमांड

इसे भी पढ़ें - प्रतापगढ़ में सृजन सेवा संस्थान की पहल, ईको फ्रेंडली गणेश जी बनाकर दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

ऐसे हुआ पुश्तैनी काम से जुड़ाव - जोधपुर में इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने वाले गोपाल प्रजापत आज शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी प्रतिमाएं सप्लाई करते हैं. मूर्तिकार गोपाल आरएएस बनना चाहते थे, लेकिन कोरोना के दौरान हालात एकदम से बदल गए. आखिरकार गोपाल ने आरएएस की तैयारी छोड़ दी और अपने पुश्तैनी काम को संभालने लगे. उन्होंने बताया कि परिवार के लोगों से काम सीखने के बाद उन्होंने इको फ्रेंडली मूर्तियां बनानी शुरू की और आज वो दूसरों को भी मूर्ति बनाना सिखाते हैं.

NIFT और IIT में कराते हैं वर्कशॉप - गोपाल ने अपने पुश्तैनी काम को व्यावसायिक रूप में आगे बढ़ाया. मिट्टी का सामान बनाने के साथ-साथ आज वो निफ्ट और आईआईटी जैसे संस्थानों में वर्कशॉप भी कराते हैं. जोधपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी और आईआईटी जोधपुर में गोपाल विद्यार्थियों को मूर्तिकला के गुर को सिखाते हैं.

मूर्तिकार गोपाल प्रजापत

जोधपुर. गणेश चतुर्थी के अवसर पर घर-घर व गली-मोहल्लों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित होती है. ऐसे में इस बार जोधपुर में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बाजार में इको फ्रेंडली मूर्तियां बेची जा रही हैं. इन मूर्तियों की खास बात यह है कि पूजा के उपरांत इन्हें आसानी से विसर्जित किया जा सकेगा. छोटी मूर्तियों को घर में टब में पानी भरकर विसर्जित किया जा सकता है तो बड़ी प्रतिमाओं को तालाब में विसर्जन के लिए ले जाया जा सकेगा. इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा.

खास तौर से शहर के तालाब जहां पर मूर्तियों का विसर्जन होता है, वहां इको फ्रेंडली मूर्तियों के विसर्जन से जल में रहने वाले जीवों को कोई नुकसान नहीं होगा. इससे पहले शहर में प्लास्टर और पेरिस की मूर्तियों की बिक्री हुआ करती थी, जिनके तालाबों में विसर्जन पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद इको फ्रेंडली मूर्तियों का चलन बढ़ा है और आज शहर के प्रमुख बाजारों में इको फ्रेंडली मूर्तियां बिक रही हैं.

Demand for eco friendly Ganesh idols
जोधपुर में ईको फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की डिमांड

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ऐसे हुआ पुश्तैनी काम से जुड़ाव - जोधपुर में इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाने वाले गोपाल प्रजापत आज शहर के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी प्रतिमाएं सप्लाई करते हैं. मूर्तिकार गोपाल आरएएस बनना चाहते थे, लेकिन कोरोना के दौरान हालात एकदम से बदल गए. आखिरकार गोपाल ने आरएएस की तैयारी छोड़ दी और अपने पुश्तैनी काम को संभालने लगे. उन्होंने बताया कि परिवार के लोगों से काम सीखने के बाद उन्होंने इको फ्रेंडली मूर्तियां बनानी शुरू की और आज वो दूसरों को भी मूर्ति बनाना सिखाते हैं.

NIFT और IIT में कराते हैं वर्कशॉप - गोपाल ने अपने पुश्तैनी काम को व्यावसायिक रूप में आगे बढ़ाया. मिट्टी का सामान बनाने के साथ-साथ आज वो निफ्ट और आईआईटी जैसे संस्थानों में वर्कशॉप भी कराते हैं. जोधपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी और आईआईटी जोधपुर में गोपाल विद्यार्थियों को मूर्तिकला के गुर को सिखाते हैं.

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