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जोधपुर : काजरी की नई पहल, वैज्ञानिक बता रहे खेती की नई तकनीकें - CAZRI

जोधपुर काजरी ने फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए फसल वाटिका लगाई है. इस वाटिका में रबी की फसलों जैसे इसबगोल, जीरा ,सरसों, मेथी और राजगिरा की उन्नत किस्मों को एक ही स्थान पर लगाया गया है. जिसका उद्देश्य किसानों को खेती के नए तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करना है.

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जोधपुर काजरी की फसल वाटिका
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Published : Mar 6, 2020, 6:13 PM IST

जोधपुर. किसानों की पैदावार को बढ़ाने के लिए जोधपुर काजरी ने नया उपाय निकाला है. काजरी ने शुष्क क्षेत्र की प्रमुख रबी की फसलों के नए किस्मों को वाटिका के रूप में लगाया है. इस फसल वाटिका के जरिए किसानों को खेती की नई तकनीकों के रूबरू करवाया जा रहा है.

जोधपुर काजरी की फसल वाटिका

काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हंसराज मेला ने बताया कि यहां आने वाले किसान वाटिका को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि किस बीज से उत्पादन अधिक हो रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी किसान मेले में किसानों के लिए यह फसलों के लिए चयन करने का अच्छा माध्यम बनेगी. इसके लिए सरसों की 30 प्रकार की किस्म, मैथी और ईसबगोल की 9-9 किस्म, राजगिरा की 6 और जीरे की 4 किस्म लगाई हुई है. सभी फसलों को पंक्तिबद्ध लगाया गया है. साथ ही हर किस्म की फसल में थोड़ी जगह दी गई है. इससे किसान प्रत्येक फसल के उत्पादन में अंतर खुद देख सकता है.

यह भी पढ़ें- सरकार ने किसानों का कोई पेमेंट नहीं रोका, PM बीमा योजना में नहीं है कोई कट ऑफ डेट : कृषि मंत्री

संस्थान के निदेशक डॉ. ओपी यादव का कहना है, कि पश्चिमी राजस्थान में अक्सर किसान जीरा, ईसबगोल, सरसों, मैथी, राजगिरा आदि की बुवाई बीज को हाथ में लेकर जमीन पर डालकर करते हैं. इसमें बीज की मात्रा पंक्तियों में बुवाई की तुलना में लगभग दुगुनी लगती है. उन्होंने कहा कि पंक्तियों में बुवाई करने से उत्पादन लागत तो बढ़ती है. साथ ही उन्नत बीज भी अधिक क्षेत्र की बुवाई के लिए काम में लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसानों का ज्यादा से ज्यादा फायदा हो, इसके लिए काजरी में प्रदर्शन इकाई प्रत्येक फसल वर्ष में किसान मेले का आयोजन करती है.

जोधपुर. किसानों की पैदावार को बढ़ाने के लिए जोधपुर काजरी ने नया उपाय निकाला है. काजरी ने शुष्क क्षेत्र की प्रमुख रबी की फसलों के नए किस्मों को वाटिका के रूप में लगाया है. इस फसल वाटिका के जरिए किसानों को खेती की नई तकनीकों के रूबरू करवाया जा रहा है.

जोधपुर काजरी की फसल वाटिका

काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हंसराज मेला ने बताया कि यहां आने वाले किसान वाटिका को देखकर यह पता लगा सकते हैं कि किस बीज से उत्पादन अधिक हो रहा है. उन्होंने बताया कि आगामी किसान मेले में किसानों के लिए यह फसलों के लिए चयन करने का अच्छा माध्यम बनेगी. इसके लिए सरसों की 30 प्रकार की किस्म, मैथी और ईसबगोल की 9-9 किस्म, राजगिरा की 6 और जीरे की 4 किस्म लगाई हुई है. सभी फसलों को पंक्तिबद्ध लगाया गया है. साथ ही हर किस्म की फसल में थोड़ी जगह दी गई है. इससे किसान प्रत्येक फसल के उत्पादन में अंतर खुद देख सकता है.

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संस्थान के निदेशक डॉ. ओपी यादव का कहना है, कि पश्चिमी राजस्थान में अक्सर किसान जीरा, ईसबगोल, सरसों, मैथी, राजगिरा आदि की बुवाई बीज को हाथ में लेकर जमीन पर डालकर करते हैं. इसमें बीज की मात्रा पंक्तियों में बुवाई की तुलना में लगभग दुगुनी लगती है. उन्होंने कहा कि पंक्तियों में बुवाई करने से उत्पादन लागत तो बढ़ती है. साथ ही उन्नत बीज भी अधिक क्षेत्र की बुवाई के लिए काम में लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसानों का ज्यादा से ज्यादा फायदा हो, इसके लिए काजरी में प्रदर्शन इकाई प्रत्येक फसल वर्ष में किसान मेले का आयोजन करती है.

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